वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं तो इस काल को संक्रांति कहते हैं. इस दिन को पर्व के रूप में मनाया जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार कुछ दिनों में सूर्य देव मेष राशि से दूसरी राशि में गोचर करेंगे. इस काल में ही संक्रांति मनाई जाएगी. संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूरे विधि-विधान से पूजा-अनुष्ठान करने का विधान होता है. मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से सूर्य देव को अर्घ्य के साथ पूजा करने से जातक के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, उसे सभी रोगों से मुक्ति मिलती है. इस दिन दान-धर्म भी करना चाहिए. आइए जानते हैं वृषभ संक्रांति की मूल तिथि, अनुष्ठान एवं दान-धर्म आदि के बारे में...
कब है वृषभ संक्रांति?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव इस समय अनीस में स्थित हैं. 14 मई को वह मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य देव वृषभ राशि में 10.50 AM से 06.30 PM तक रहेंगे. इस बीच महान पुण्य काल रहेगा. महापुण्य काल की शुभ तिथि 03.49 PM से 06.04 PM तक रहेंगे. यानी वृषभ संक्रांति 06.04 PM तक रहेगी. यह भी पढ़े :Ganga Saptami 2024: ‘गंगा सप्तमी’ पर मोक्ष-दायिनी ‘गंगा’ पर कोट्स के जरिये भेजें अपनी शुभकामनाएं!
वृषभ संक्रांति का महत्व
वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह दिन दान-धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि जो लोग इस दिन जाप करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. संक्रांति के दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना सबसे ज्यादा पुण्यदायी होता है. इस दिन भोजन के साथ वस्त्र एवं धन का दान करने से जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. इसके अलावा इस दिन व्रत एवं सूर्य देव की पूजा का भी बहुत महत्व है. ऐसा करने से जातक के सारे शारीरिक एवं मानसिक कष्ट दूर होते हैं, जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है. इस वर्ष वृषभ संक्रांति सर्वार्थ सिद्धि योग एवं आश्लेषा नक्षत्र में है. इसी दिन प्रातःकाल रवि योग एवं पुष्य नक्षत्र भी बन रहा है.
कब है वृषभ संक्रांति
इस वर्ष की वृषभ संक्रांति 14 मई, 2024, मंगलवार को पड़ रही है. सूर्य देव प्रातः 06:04 बजे शुक्र की राशि वृषभ में प्रवेश करेंगे. यह सूर्य की वृषभ संक्रांति का समय होगा.
वृषभ संक्रांति काल
14 मई को वृषभ संक्रांति के दिन महापुण्य काल 7 घंटे 14 मिनट तक है. महापुण्य काल 10.50 AM से शुरू होकर 06.04 PM तक रहेगा
वृषभ संक्रांति का पुण्यकाल
वृषभ संक्रांति का महापुण्य काल 2 घंटे 16 मिनट का होता है. उस दिन महापुण्य काल दोपहर 03.49 PM शुरू होकर 06.04 PM तक रहेगा.
वृषभ संक्रांति पर स्नान का शुभ समय
वृषभ संक्रांति के दिन महापुण्य काल में स्नान-दान किया जा सकता है
वृषभ संक्रांति पर क्या दान करना चाहिए?
वृषभ संक्रांति पर स्नान-ध्यान के बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान किया जा सकता है. इस दिन मुख्य रूप से गेहूं, लाल डोटे, लाल फूल, गुड़, घी, तांबे के बर्तन आदि का दान कर सकते हैं.
सूर्य देव की पूजा कैसे करें?
14 मई 2024 सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. तांबे के लोटे में स्वच्छ जल, लाल पुष्प, एवं लाल चंदन पाउडर डालकर सूर्य देव का ध्यान कर निम्न मंत्र का जाप करते हुए उन्हें जल अर्पित करें. इसके पश्चात सूर्य चालीसा एवं आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें. अंत में शुद्ध घी का दीपक या कपूर से सूर्यदेव की आरती उतारें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.