Video: कर्नाटक (Karnataka) और तमिलनाडु (Tamil Nadu) की सीमा पर स्थित गुमतापुरा गांव (Gumtapura Village) के स्थानीय लोग हर साल एक दूसरे पर गोबर फेंक कर दिवाली के त्यौहार को अलविदा कहता हैं. ग्रामीणों ने शनिवार को इस मनाया जिसे 'गोरहब्बा उत्सव' कहा जाता है. कथित तौर पर यह त्योहार सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. दोपहर में, प्रतिभागी गांव में गाय-मालिकों के घरों में जाते हैं और अपना गोबर इकट्ठा करते हैं. इसके बाद गाय के गोबर को ट्रैक्टर से गांव के मंदिर में लाया जाता है. पंडित द्वारा गांव को आशीर्वाद देने के बाद, गोबर को खुले क्षेत्र में फेंक दिया जाता है. यह भी पढ़ें: Kukur Tihar 2021: नेपाल में मनाया जाता है कुकुर तिहार त्योहार, जानें इस दिन क्यों की जाती कुत्तों की पूजा
इसके बाद पुरुष खुले गड्ढे में घुस जाते हैं और एक-दूसरे पर मुट्ठी भर का गोबर फेंकने लगते हैं. इस उत्सव को देखने के लिए हर साल भारत के विभिन्न हिस्सों से लोग गांव में आते हैं. कहा जाता है कि गोबर की लड़ाई देखने से स्वास्थ्य लाभ होता है. स्थानीय किसान महेश ने एएफपी की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा, "अगर उन्हें कोई बीमारी है, तो वह ठीक हो जाएगी."स्थानीय लोगों का मानना है कि गाय के गोबर के चमत्कारी गुणों से उनकी बीमारियां दूर हो जाएंगी. कुछ हिंदू मानते हैं कि गाय जो भी पैदा करती है, वह पवित्र और शुद्ध होता है.
देखें वीडियो:
#WATCH | Villagers of Gumatapura on the Tamil Nadu-Karnataka border throw cow dung on each other as part of Deepavali celebrations, marking the end of the festival. (06.11.2021) pic.twitter.com/w1fhrp0na5
— ANI (@ANI) November 8, 2021
लोग हर साल दूर-दराज के शहरों से गुमतापुरा आते हैं इस त्यौहार को देखने के लिए. यह त्यौहार स्पेन के "ला टोमाटीना त्यौहार की तरह ही है, जिसमें लोग टमाटर से एक दूसरे को नहलाते हैं. कोविड-19 महामारी के बावजूद साल 2020 में भी 'गोरहब्बा उत्सव' मनाया गया था. स्थानीय अधिकारियों ने आयोजन की अनुमति दी थी और लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया, हालांकि लोगों ने कम संख्या में भाग लिया था.