Valentine's Day 2024: क्यों प्यार का प्रचार-प्रसार करते थे संत वैलेंटाइन? जानें एक रोचक कथा!
Valentine Week 2024 (File Image)

  फरवरी माह दो प्यार करने वालों के लिए बहुत खास महीना माना जाता है. यह प्यार प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी, भाई-बहन, किसी भी स्नेहिल रिश्तों को परिभाषित करता है. यूं तो यह पाश्चात्य देशों की परंपरा है, लेकिन ग्लोबलाइजेशन के बाद भारत और अन्य सभी में इस दिन को मौज-मस्ती के साथ मनाया जाता है.7 फरवरी को रोज दिवस से शुरू होकर 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के दिन खत्म होता है. यहां हम बात करेंगे, वैलेंटाइन डे से संदर्भित एक रोचक कथा के बारे में, जिसके बाद से ही वैलेंटाइन डे की शुरुआत हुई और रोम से दुनिया भर में फैल गई.

वैलेंटाइन डे की शुरुआत कैसे हुई?

  वैलेंटाइन डे की कहानी रोम के एक पादरी (संत) से जुड़ी है, जो प्यार का प्रचार करते थे, उनकी सोच थी कि प्यार करने वाले हमेशा प्रसन्न रहते हैं और सकारात्मक जीवन जीते हैं. इसके विपरीत रोम के तत्कालीन किंग क्लाउडियस संत वैलेंटाइन से एकदम विपरीत सोच रखते थे. उनके अनुसार प्यार करने से पुरुष की शक्ति खत्म हो जाती है. वह मानते थे कि अगर सभी रोमांटिक हो जाएंगे, तो कामकाज ठप्प हो जायेंगे, और यह प्रवृत्ति अगर सेना में भी घर कर गई तो, देश की रक्षा कौन करेगा. देश कमजोर हो जायेगा. इसके बाद उन्होंने इस इस प्रवृत्ति पर प्रतिबंध लगा दिया, और प्यार करने वालों पर सजा की घोषणा कर दिया.

14 फरवरी को ही क्यों मनाते हैं वैलेंटाइन डे?

  संत वैलेंटाइन को अपनी सोच पर पूरा भरोसा था. उन्होंने राजाज्ञा के विपरीत जाकर लोगों के बीच प्यार का प्रचार-प्रसार करते रहे. बल्कि कई कपल्स को विवाह के सूत्र में बांधने में मदद भी की. कई सामूहिक विवाह भी करवाए, ऐसा करवाकर संत ने साबित कर दिया कि प्यार में बड़ी ताकत होती है. संत द्वारा राजाज्ञा का विरोध करने पर किंग क्लाउडियस ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई. और 14 फरवरी को उन्हें फांसी पर चढ़ दिया गया. इस घटना बाद संत के अनुयायियों ने संत वैलेंटाइन डे के विचारों को आगे बढ़ाया, और उनकी पुण्यतिथि के दिन ही वैलेंटाइन डे मनाने की परंपरा शुरू की. इसके बाद से ही वैलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत हुई, जो रोम से शुरू होकर दुनिया भर में फैल गई.  

संत वैलेंटाइन से जुड़ी एक रोचक घटना, जिसने प्यार की अवधारणा को पुख्ता किया

  कहा जाता है का जब संत फांसी की सजा से पूर्व जेल में कैद थे, वहां जेलर की एक नेत्रहीन बेटी जैकोबस अक्सर आती रहती थी, संत ने जैकोबस को अपनी आंख दान देने का फैसला किया. उसने इस संदर्भ में जैकोबस को पत्र लिखा. संत की मृत्यु के पश्चात उनकी आंखों ने जैकोबस की दुनिया को रोशन कर दिया.