Diwali Calendar 2025: इस दिन से शुरू होगा दीपावली का महापर्व! जानें धनतेरस से भाई दूज तक की मूल तिथियां, और सभी अनुष्ठान के बारे में!

   दीपावली जिसे दीपों का त्योहार भी कहते हैंभारत ही नहीं बल्कि आज दुनिया भर में सनातनियों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा पर्व है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तक चलने वाला यह पर्व मूलतः अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है, जिसे पांच दिनों तक विशेष और विभिन्न अनुष्ठानोंप्रार्थनाओं, परंपराओं और हर्षोल्लास से मनाया जाता है. धनतेरस (18 अक्टूबर 2025) से प्रारंभ होकर भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा (23 अक्टूबर 2025) तक चलने वाले इस महापर्व के सभी पर्वों की मूल तिथियों, एवं संदर्भित कार्यक्रमों को आप यहां देख सकते हैं. यह भी पढ़ें : Valmiki Jayanti 2025: वाल्मीकि और श्रीराम से जुड़े कुछ रोचक एवं अनछुए प्रसंग! जानें कैसे लिखी वाल्मीकि ने संस्कृत में रामायण!

हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली 2025 का पूरा कैलेंडर

दिन-1: धनतेरस, (18 अक्टूबर, 2025)

कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी आरंभ: 12.18 PM (18 अक्टूबर 2025, शनिवार)

कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी समाप्त: 01.51 PM (19 अक्टूबर 2025, रविवार)

विशेषः धनतेरस के दिन सोनाचांदी, नये बर्तन या अन्य मूल्यवान वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इससे घर में समृद्धि और सौभाग्य आता है. इस दिन घरों और व्यावसायिक परिसरों को दीपों और रंगोली से सजाया जाता है. इस दिन श्रद्धालु आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं.

यम दीपमः इसी दिन लोग यम दीपम के अंतर्गत सूर्यास्त के पश्चात घर के प्रवेशद्वार पर एक दीया जलाते हैं, ताकि नकारात्मक शक्तियां दूर हों, और परिवार की सुरक्षा हेतु मृत्यु देवता यमराज का सम्मान किया जाए.

दिन 2: छोटी दिवाली/नरक चतुर्दशी (20 अक्टूबर, 2025)

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी प्रारंभः 01.51 PM (19 अक्टूबर 2025, रविवार)

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी समाप्त 03.44 PM (20 अक्टूबर 2025, सोमवार)

नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली के नाम से भी मनाया जाता है. यह पर्व भगवान कृष्ण की राक्षस नरकासुर पर विजय का प्रतीक है. इस दिन लोग सूर्योदय से पूर्व उठकर सुगंधित तेल लगाते हैं और स्नान करते हैं. सूर्यास्त के पश्चात घरों को दीयों से सजाया जाता है. दीपावली की तैयारी शुरु हो जाती है.

दिन 3: दीपावली/लक्ष्मी पूजन (21अक्टूबर 2025)

कार्तिक अमावस्या प्रारंभ: 03.44 PM (20 अक्टूबर 2025, सोमवार)

कार्तिक अमावस्या प्रारंभ: 05.54 PM (21 अक्टूबर 2025, बुधवार)

यह दीपावली का मुख्य त्योहार है. इस दिन सूर्यास्त के पश्चात लोग भगवान बुद्धि के देवता गणेश और धन एवं समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, और जीवन में सुख, शांति, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं. पूजा के पश्चात संपूर्ण घर को प्रज्वलित दीपों एवं विद्युत लड़ियों सजाते हैं. इसके बाद आतिशबाजी एवं उपहारों का आदान-प्रदान होता है. इष्ट-मित्रों को मिठाइयां बांटी जाती हैं.

दिन 4: गोवर्धन पूजा (22 अक्टूबर 2025)

कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा प्रारंभः 05.54 PM (21 अक्टूबर 2025, मंगलवार)

कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा समाप्तः 08.16 PM (22 अक्टूबर 2025, बुधवार)

दीपावली का चौथे दिन गोवर्धन पूजा का विधान है, जिसे अन्नकूट भी कहते हैं. इस दिन घरों में शाकाहारी व्यंजन बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं, क्योंकि इसी दिन इंद्र देव के प्रलयंकारी बारिश से लोगों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठाया था, और इंद्र का घमंड तोड़ा था. इस दिन गाय के गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा करते हैं.

दिन 5: भाई दूज/कलम दवात पूजा (23 अक्टूबर 2025)

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रारंभः (08.16 PM, (22 अक्टूबर 2025, बुधवार)

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया समाप्तः (10.46 PM, (23 अक्टूबर 2025, गुरुवार)

 यह दीपावली का आखिरी दिन होता है. इस दिन भाई-बहन के रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने हेतु भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं और मिठाई खिलाती हैं. प्रत्योत्तर में भाई बहन को उपहार देते हैं.

 इसी दिन कायस्थ समाज के लोग अपने इष्ट चित्रगुप्त भगवान एवं कलम-दवात की पूजा करते हैं, और अपने समाज के उत्थान की कामना करते हैं. गौरतलब है कि चित्रगुप्त भगवान ब्रह्मा की संपूर्ण काया से प्रकट हुए थे.

   इसी क्रम में इस वर्ष दीपावली का पांच दिवसीय महापर्व मनाया जायेगा.