Shani Pradosh Vrat 2025: अक्टूबर माह में पड़ रहे हैं दो शनि प्रदोष! ये संयोग शुभ है या अशुभ? जानें विस्तार से!

  इस वर्ष अक्टूबर मास में दो शनि प्रदोष पड़ रहे हैं. पहला आश्विन मास शुक्ल पक्ष त्रयोदशी प्रदोष व्रत (4 अक्टूबर2025, शनिवार) और दूसरा कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी प्रदोष व्रत (18 अक्टूबर 2025, शनिवार) पड़ रहा है. दोनों प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष कहा जाएगा. एक माह में दो शनि प्रदोष का संयोग दुर्लभ और अत्यधिक शुभ होता हैजो जातकों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और लाभ लेकर आता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव एवं देवी पार्वती के साथ शनि देव की पूजा की जाती है, मान्यता है कि शनि प्रदोष को व्रत एवं पूजा करने वाले जातकों को भगवान शिव एवं शनि दो दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. शनि प्रदोष का व्रत करने से सारे कष्टों एवं शनि दोषों से मुक्ति मिलती है, तथा जीवन में स्थिरता, सुख, शांति एवं ऐश्वर्य प्राप्त होता है. आइये जानते हैं यह संयोग शुभ है या अशुभ. यह भी पढ़ें : Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा कब मनाई जाएगी 6 या 7 अक्टूबर को? जानें इसकी सही तिथि, मुहूर्त, महत्व एवं पूजा-विधि!

अक्टूबर माह के दोनों शनि प्रदोष की मूल तिथियां एवं मुहूर्त

आश्विन शुक्ल पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 05.08 PM (94 अक्टूबर2025, शनिवार)

आश्विन शुक्ल पक्ष त्रयोदशी समाप्तः 03.04 PM (05 अक्टूबर2025, शनिवार)

कार्तिक शुक्ल पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 12.18 PM (18 अक्टूबर 2025, शनिवार)

कार्तिक शुक्ल पक्ष त्रयोदशी समाप्तः 01.51 PM (18 अक्टूबर 2025, शनिवार)

अक्टूबर माह में दो शनि प्रदोष शुभ या अशुभ

  इस अक्टूबर 2025 माह में दो शनि प्रदोष (04 अक्टूबर एवं 18 अक्टूबर) का संयोग बन रहा है, जिसे ज्योतिष शास्त्री बेहद शुभ संयोग मान रहे हैं. इस वजह से भगवान शिव और शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यह संयोग शनि के अशुभ प्रभावों जैसे साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत दिलाने का अवसर प्रदान करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता हैसाथ ही संतान प्राप्ति तथा कुंडली स्थिति बुरे ग्रहों की उपस्थिति से भी मुक्ति दिलाता है.

क्यों शुभ है?

शनिदेव की कृपा:  शनिदेव भगवान शिव के गुरु माने जाते हैंइसलिए शनि प्रदोष के दिन दोनों की पूजा करने से शनि के दोष दूर होते हैं. 

शुभ योगों का निर्माण:  जब शनि प्रदोष व्रत शुभ योगों जैसे आयुष्मान और सौभाग्य में पड़ता हैतो उसका फल कई गुना बढ़ जाता हैजिससे जातक को विशेष लाभ मिलता है

समस्याओं से मुक्ति:  यह व्रत जीवन में आने वाली कठिनाइयोंसंकटों और कष्टों से भी मुक्ति दिलाता है

संतान सुख की प्राप्ति:  जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैंउनके लिए शनि प्रदोष व्रत अत्यंत सौभाग्यशाली माना गया है.

इस संयोग के लाभ?

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:  शनि प्रदोष व्रत से आरोग्य की प्राप्त होती है और मानसिक शांति मिलती है.

सुख-समृद्धि: शनि प्रदोष के दिन शिवजी और शनिदेव की पूजा-अनुष्ठान से से जीवन में सुख एवं शांति आती है.

शनि की साढ़े साती और ढैय्या से राहत:  शनि प्रदोष पर शिवजी और शनि की विधिवत पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावसाढ़ेसाती और ढैय्या से मिलने वाले कष्टों से राहत मिलती है,

पितृदोष से मुक्ति: शनि प्रदोष को शिवलिंग का अभिषेक करने से पितर प्रसन्न होते हैं, जिसके कारण पितृदोष से मुक्ति मिलती है.