सनातन धर्म में मूर्ति पूजा का वैदिक महत्व वर्णित है. इसीलिए अधिकांश हिंदू श्रद्धालु अपने घरों में अभीष्ठ देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित करते हैं. हर देवी-देवताओं की अपनी विशिष्ठता है, भक्त उसी अनुरूप उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. लेकिन घरों में शनिदेव की ना मूर्ति रखी जाती है ना ही पूजा का विशिष्ठ आयोजन किया जाता है, जबकि मात्र शनिदेव के बारे में मान्यता है कि अगर वे प्रसन्न हो जायें तो रंक रातों-रात राजा बन जाता है. आइये जानें शनिदेव की पूजा एवं मन्नतों के लिए लोग शनि मंदिर क्यों जाते हैं, घर में उनकी मूर्ति क्यों नहीं रखी जाती. आखिर कैसे करें शनिदेव की पूजा अर्चना ताकि वे प्रसन्न हों!
हिंदू शास्त्रों में 33 कोटि यानी 33 प्रकार के देवी-देवता बताये गये हैं. इनमें शनि देव, कालरात्रि एवं भैरवनाथ ऐसे देवी-देवता हैं, जिनकी पूजा घर पर नहीं की जाती और ना ही इनकी मूर्तियां लोग घरों में रखते हैं. यहां हम बात करेंगे न्याय के देवता भगवान शनि की मूर्ति एवं पूजा की, कि क्यों लोग मंदिरों में ही जाकर शनिदेव की पूजा करते हैं.
किसने और क्यों शाप दिया न्याय के देवता शनिदेव को?
ब्रह्म पुराण के अनुसार बाल्यावस्था से ही शनि देव भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे. वे हमेशा भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-ध्यान में लीन रहते थे. युवाकाल में उनके पिता ने उनका विवाह चित्ररथ की सुपुत्री ध्वजिनी से करवा दिया था. ध्वजिनी बहुत सती, साध्वी एवं तेजस्विनी थीं. एक रात्रि वह ऋतु स्नान कर पुत्र प्राप्ति की इच्छा संजोये शनिदेव के पास पहुंची, लेकिन शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण में लीन थे. उन्होंने पत्नी की इच्छा पर ध्यान नहीं दिया. ध्वजिनी पति की प्रतीक्षा करते-करते सो गईं. उनका ऋतु स्नान निष्फल हो गया. तब क्रोधित होकर उन्होंने शनि को शाप दिया कि आज के बाद तुम जिस पर भी नजर डालोगे, वह नष्ट हो जायेगा. ध्यान भंग होने पर शनिदेव ने रूठी पत्नी को मनाने की चेष्ठा की. ध्वजिनी को भी अपने क्रोध पर पश्चाताप हुआ, लेकिन शाप नष्ट करने की दिव्य शक्ति उनके पास नहीं थी.
शनिदेव की पूजा करते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखें.
* शनिदेव की पूजा प्रतिदिन करीब स्थिति शनि मंदिर में ही करें.
* पूजा करते समय शनिदेव की मूर्ति के सामने ना खड़ा होकर बाईं या दाईं ओर खड़े होकर पूजा करनी चाहिए.
* पूजा करते वक्त शनि की आंखों की ओर ना देखकर उनके पैरों पर नजर रखें.
* किसी वजह से शनि मंदिर नहीं जा सकते तो घर पर स्नानादि के पश्चात मन में शनिदेव का स्मरण करते हुए शनि चालीसा, अथवा शनि बीज मंत्र का जाप किया जा सकता है. यह भी पढ़ें : Dayanand Saraswati Jayanti Quotes 2022: दयानंद सरस्वती जयंती पर ये हिंदी कोट्स WhatsApp Stickers और HD Wallpapers के जरिए भेजकर दें बधाई
* हनुमानजी ने शनिदेव को रावण की कैद से छुड़ाया था, इसलिए शनिवार के दिन हनुमान की पूजा करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
* शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद किसी सूनसान स्थान पर स्थित पीपल के पेड़ के नीचे दीप प्रज्जवलित करें. ऐसा करने से आर्थिक समस्याएं खत्म होती हैं.
* शनिवार के दिन स्नानादि के पश्चात काले तिल एवं गुड़ काली चींटियों को खिलाएं. हो सके तो जरूरतमंदों को चमड़े के जूते या चप्पल दान करें. ऐसा करने से भी घर में बरक्कत आती है.