हमारे पौराणिक ग्रंथों में मंगलवार (Tuesday) और शनिवार (Saturday) को हनुमान जी (Hanuman ji) की पूजा का विशेष महात्म्य माना गया है. किसी भी तरह के संकट अथवा शनि के प्रकोप से बचने के लिए मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है. ‘पंचमुखी हनुमान’ (Panch Mukhi Hanuman) हनुमान जी का ही एक दुर्लभ अवतार है. कहा जाता है कि उन्होंने रावण (Ravan) के भाई अहिरावण (AhiRavan) को मारने के लिए यह अवतार लिया था. ज्योतिषियों के अनुसार पंचमुखी हनुमान की तस्वीर या मूर्ति घर के दक्षिण-पश्चिमी कोने में रखी जाए तो घर के कई वास्तुदोष दूर हो जाते हैं.
क्या है पंचमुखी
हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में पहला मुख वानर, दूसरा गरूड़, तीसरा वराह, चौथा हैयग्रीव (घोड़े का) और पांचवां नृसिंह जी का मुख है. इन पांच मुखों से हनुमान भक्तों के जीवन की पांच तरह से समस्याएं दूर करते हैं और हर मुख का अपना-अपना अलग महत्व है. उदाहरण के लिए पहला मुख वानर दुश्मनों पर विजय दिलाता है. दूसरे मुख गरुण के प्रताप से रास्ते में आ रही सारी बाधाएं एवं परेशानियां खत्म होती हैं. तीसरे मुख वाराह से दीर्घायु, समृद्धि, लोकप्रियता और अपार शक्ति मिलती है. चौथा मुख नृसिंह भगवान का है, इनके प्रभाव से मन के सारे भय, तनाव और कष्टों का समाधान होता है. पांचवे मुख यानि अश्व मुख से हर मन्नतें पूरी होती हैं. यह भी पढ़ें: भूत-प्रेत, शनि की साढ़ेसाती, असाध्य बीमारी और मंगल दोष की शांति के लिए लाभकारी है मंगल का व्रत
क्या है राज 5 मुख का?
त्रेता युग में जब भगवान राम और रावण की सेना के बीच घमासान युद्ध चल रहा था तो माना जा रहा था कि राम आसानी से रावण पर विजय हासिल कर लेंगे. तब रावण को अपने मायावी भाई अहिरावण की याद आयी, जो माता भवानी का सच्चा भक्त था. उसके पास तंत्र-मंत्र की हर शक्तियां मौजूद थीं. रावण के अनुरोध पर उसने अपना माया जाल बिछाकर भगवान राम की संपूर्ण सेना को गहरी नींद में सुला दिया. इसके पश्चात वह राम एवं लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया. थोड़ी देर बाद माया जाल का असर खत्म होने पर विभीषण समझ गए कि यह कार्य अहिरावण ने ही किया है. उसने हनुमान जी को श्री राम-लक्ष्मण की रक्षा के लिए पाताल लोक जाने का आदेश दिया. पाताल लोक के द्वार पर राम-लक्ष्मण की पहरेदारी करते हुए उन्हें अपना पुत्र मकरध्वज मिला. मकरध्वज को परास्त कर हनुमान जी श्रीराम-लक्ष्मण के पास पहुंचे.
वहां उन्हें 5 दीपक पांच दिशाओं में मिले, जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे. हनुमान जी को अपनी शक्ति से पता चला कि इन पांचों दीपक को अगर एक साथ बुझा दे तो अहिरावण की मृत्यु हो जाएगी. तब हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा. ये मुख थे उत्तर में वराह, दक्षिण में नरसिंह, पश्चिम में गरुड़, आकाश की तरफ हयग्रीव एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख. इस 5 रूप को धरकर हनुमान जी ने पांचों दीप एक साथ बुझा दिए, इस तरह हनुमान जी ने अहिरावण का वध कर राम, लक्ष्मण को मुक्त कराया.
एक अन्य प्रचलित कथा
एक बार मरियल नामक राक्षस भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चुरा लेता है. यह बात जब हनुमान जी को पता लगती है तो वह प्रण लेते हैं कि वह मरियल राक्षस से सुदर्शन हासिल करके विष्णु जी को सिपुर्द कर देंगे. मरियल राक्षस को रूप बदलने मे महारत हासिल था. हनुमान जी ने जब विष्णु जी को अपनी शपथ के बारे में बताया तो विष्णु जी ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए वायु समान शक्तिशाली गरुड़-मुख, भय उत्पन्न करने वाले नृसिंह-मुख, ज्ञान प्राप्त करने के लिए हयग्रीव मुख तथा वराह मुख प्रदान किया. पार्वती जी ने उन्हें कमल पुष्प एवं धर्मराज यम ने उन्हें पाश नामक अस्त्र प्रदान किया. विष्णु जी के आशीर्वाद एवं उनसे प्राप्त सारी शक्तियों के सहारे हनुमान जी मरियल पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे. यह भी पढ़ें: क्या आप जानतें हैं माथे पर तिलक लगाने के हैं कई फायदे, जानें इसे लगाने सही तरीका
पंचमुखी हनुमान की पूजा विधि
शनिवार अथवा मंगलवार को घर में पश्चिम-दक्षिण दिशा में पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या फोटो की स्थापना करके उस पर तिलक लगाएं और लाल गुलाब चढ़ाएं. इसके पश्चात सिंदूर और चमेली का तेल चढाएं. पूजा के पश्चात गुड़ और चने का भोग लगाएं. अंत में हनुमान चालीसा का पाठ करें. चाहें तो सुंदरकाण्ड का पाठ भी कर सकते हैं. अगर पूजा पुजारी से करवा रहे हैं तो उन्हें उचित दक्षिणा देकर विदा करें. आपकी सारी मनोकामना पूरी होगी.