Surya Grahan 2019: कब है साल का अंतिम सूर्य ग्रहण! जानें क्या होता है सूतक काल! किन बातों का रखें खास ध्यान!

साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को पड़ रहा है. भारत में सूतक काल का समय 25 दिसंबर की शाम 05.30 बजे से प्रारंभ होकर सुबह 10.57 मिनट तक चलेगा. लेकिन सूतक काल के प्रभाव को जानने से पहले यह जानना आवश्यक है कि सूतक होता क्या है.

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Surya Grahan 2019: कब है साल का अंतिम सूर्य ग्रहण! जानें क्या होता है सूतक काल! किन बातों का रखें खास ध्यान!

साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को पड़ रहा है. भारत में सूतक काल का समय 25 दिसंबर की शाम 05.30 बजे से प्रारंभ होकर सुबह 10.57 मिनट तक चलेगा. लेकिन सूतक काल के प्रभाव को जानने से पहले यह जानना आवश्यक है कि सूतक होता क्या है.

धर्म Rajesh Srivastav|
Surya Grahan 2019: कब है साल का अंतिम सूर्य ग्रहण! जानें क्या होता है सूतक काल! किन बातों का रखें खास ध्यान!
सूर्य ग्रहण 2019, (Photo Credit: फाइल फोटो)

Surya Grahan 2019: साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को पड़ रहा है. भारत में सूतक काल का समय 25 दिसंबर की शाम 05.30 बजे से प्रारंभ होकर सुबह 10.57 मिनट तक चलेगा. लेकिन सूतक काल के प्रभाव को जानने से पहले यह जानना आवश्यक है कि सूतक होता क्या है. और क्यों नहीं करना चाहिए सूतक काल में कोई भी कार्य. हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण से पहले ही सूर्य ग्रहण का सूतक काल प्रारंभ हो जाता है, जो हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है.

सनातन धर्म में अनादिकाल से ही सूतक काल की मौलिक संकल्पना रही है. लेकिन वास्तव में यह कल्पना नहीं बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है. सूतक का आशय है अपवित्रता, जो किसी भौगोलिक घटनाओं मसलन सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण के समय हो जाती है. इस समय प्रकृति अपेक्षाकृत ज्यादा संवेदनशील होती है, इस वजह से प्राकृतिक दुर्घटनाओं की संभावना भी रहती है. सूतक एक निश्चित निर्धारित काल की समाप्ति पर शुद्धि के द्वारा समाप्त होता है. ध्यान रहे सूर्य ग्रहण ही नहीं बल्कि चंद्र ग्रहण के दौरान लगा सूतक भी अशुभ माना जाता है.

क्यों नहीं करते सूतक काल में कोई कार्य

सूतक लगने का मुख्य कारण यही होता है कि उस कालावधि में तमाम किस्म के नुकसान पहुंचाने वाले विषाणु वायु मंडल में फैले होते हैं, जो आसपास रह रहे लोगों के शरीर अथवा वस्त्र आदि पर अपना दुष्प्रभाव डालते हैं, उन्हीं दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए शुद्धि करना बहुत जरूरी हो जाता है.

सूर्य ग्रहण के सूतक काल में कीर्तन भजन करना चाहिए

भौगोलिक गतिविधियें के अनुसार जब पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है. सूर्य ग्रहण की स्थिति में सूतक का असर लगभग बारह घंटे पहलेसे ही शुरू हो जाता है. लेकिन सूतक काल का असर तभी होता है जब उस क्षेत्र विशेष में सूर्य ग्रहण दिखाई देता है. जितनी देर तक सूतक रहता है, उस दरम्यान कोई भी किया गया कार्य अशुभ अथवा अमंगलकारी फल देता है. ज्योतिषियों के अनुसार सूतक काल में केवल कीर्तन-भजन अथवा मंत्र जाप आदि करना चाहिए.

सूतक काल में ऐसे कार्य नहीं करें

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य ग्रहण में सूतक काल के दरम्यान कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए. इसका परिणाम अशुभ होता है. आइए जानें इस दरम्यान किन किन कार्यों को हरगिज नहीं करना चाहिए.

* गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहना चाहिए. इसका असर पेट में पल रहे शिशु पर भी पड़ सकता है

* सूतक काल में सोना कतई नहीं चाहिए.

* उन्हें सूर्य ग्रहण देखने से बचना चाहिए

* सूतक काल में ना ही भोजना पकाना चाहिए और ना ही खाना चाहिए.

* इस दरम्यान दर्म्यान भगवान का मंदिर अथवा भगवान की मूर्ति को भी स्पर्श नहीं करना चाहिए.

* सूर्य ग्रहण के सूतक काल में मांसाहार और शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.

* इस दरम्यान किसी से अपशब्द, असत्य, अनर्गल आरोप नहीं लगाना चाहिए.

* शरीर पर तेल अथवा मालिश आदि नहीं करवाना चाहिए.

* सूतक काल में शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए.

* इस काल में सिलाई, कढ़ाई अथवा बुनाई आदि हरगिज नहीं करनी चाहिए.

* सूतक काल में घर-परिवार में झगड़ा अथवा क्लेश नहीं होना चाहिए, इसका बुरा असर परिवार पर पड़ता है.

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य ग्रहण पर लगे सूतक काल से ही सूर्य अपना बुरा प्रभाव छोड़ने लगता है, इसलिए सूर्य ग्रहण के सूतक काल में किसी भी कार्य को करना अमंगल परिणाम देने वाला माना जाता है. इसीलिए सूर्य ग्रहण खत्म होने पर लोग गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान एवं दान-धर्म करके स्वयं का शुद्धिकरण करते हैं.

Surya Grahan 2019: कब है साल का अंतिम सूर्य ग्रहण! जानें क्या होता है सूतक काल! किन बातों का रखें खास ध्यान!
सूर्य ग्रहण 2019, (Photo Credit: फाइल फोटो)

Surya Grahan 2019: साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को पड़ रहा है. भारत में सूतक काल का समय 25 दिसंबर की शाम 05.30 बजे से प्रारंभ होकर सुबह 10.57 मिनट तक चलेगा. लेकिन सूतक काल के प्रभाव को जानने से पहले यह जानना आवश्यक है कि सूतक होता क्या है. और क्यों नहीं करना चाहिए सूतक काल में कोई भी कार्य. हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण से पहले ही सूर्य ग्रहण का सूतक काल प्रारंभ हो जाता है, जो हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है.

सनातन धर्म में अनादिकाल से ही सूतक काल की मौलिक संकल्पना रही है. लेकिन वास्तव में यह कल्पना नहीं बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है. सूतक का आशय है अपवित्रता, जो किसी भौगोलिक घटनाओं मसलन सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण के समय हो जाती है. इस समय प्रकृति अपेक्षाकृत ज्यादा संवेदनशील होती है, इस वजह से प्राकृतिक दुर्घटनाओं की संभावना भी रहती है. सूतक एक निश्चित निर्धारित काल की समाप्ति पर शुद्धि के द्वारा समाप्त होता है. ध्यान रहे सूर्य ग्रहण ही नहीं बल्कि चंद्र ग्रहण के दौरान लगा सूतक भी अशुभ माना जाता है.

क्यों नहीं करते सूतक काल में कोई कार्य

सूतक लगने का मुख्य कारण यही होता है कि उस कालावधि में तमाम किस्म के नुकसान पहुंचाने वाले विषाणु वायु मंडल में फैले होते हैं, जो आसपास रह रहे लोगों के शरीर अथवा वस्त्र आदि पर अपना दुष्प्रभाव डालते हैं, उन्हीं दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए शुद्धि करना बहुत जरूरी हो जाता है.

सूर्य ग्रहण के सूतक काल में कीर्तन भजन करना चाहिए

भौगोलिक गतिविधियें के अनुसार जब पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है. सूर्य ग्रहण की स्थिति में सूतक का असर लगभग बारह घंटे पहलेसे ही शुरू हो जाता है. लेकिन सूतक काल का असर तभी होता है जब उस क्षेत्र विशेष में सूर्य ग्रहण दिखाई देता है. जितनी देर तक सूतक रहता है, उस दरम्यान कोई भी किया गया कार्य अशुभ अथवा अमंगलकारी फल देता है. ज्योतिषियों के अनुसार सूतक काल में केवल कीर्तन-भजन अथवा मंत्र जाप आदि करना चाहिए.

सूतक काल में ऐसे कार्य नहीं करें

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य ग्रहण में सूतक काल के दरम्यान कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए. इसका परिणाम अशुभ होता है. आइए जानें इस दरम्यान किन किन कार्यों को हरगिज नहीं करना चाहिए.

* गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहना चाहिए. इसका असर पेट में पल रहे शिशु पर भी पड़ सकता है

* सूतक काल में सोना कतई नहीं चाहिए.

* उन्हें सूर्य ग्रहण देखने से बचना चाहिए

* सूतक काल में ना ही भोजना पकाना चाहिए और ना ही खाना चाहिए.

* इस दरम्यान दर्म्यान भगवान का मंदिर अथवा भगवान की मूर्ति को भी स्पर्श नहीं करना चाहिए.

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