Solar Eclipse 2019: आमतौर पर आप लोगों ने देखा होगा कि जब भी ग्रहण (Eclipse) लगता है, तो सभी मंदिर को बंद कर दिया जाता है और शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. गरहन लगने की वजह से आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर मंदिर और और सबरीमाला मंदिर 26 दिसंबर को 13 घंटे तक बंद रहेगा, क्योंकि पूर्ण सूर्य ग्रहण सुबह 8.08 को शुरू होगा और इसी कारण से, आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर 26 दिसंबर को लगभग 13 घंटे तक बंद रहेगा क्योंकि पूर्ण सूर्य ग्रहण 8.08 बजे शुरू होगा और 11:16 बजे समाप्त होगा.
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने एक बयान में कहा कि परंपरा के अनुसार मंदिर 25 दिसंबर को रात 11 बजे से बंद हो जाएगा और अनिवार्य शुद्धि समारोह के लिए 26 दिसंबर को दोपहर 12 बजे फिर से खोल दिया जाएगा. भक्तों को दर्शन के लिए दोपहर 2 बजे से ही मंदिर में जाने की अनुमति दी जाएगी. टीटीडी ने कहा, "भक्तों से अनुरोध है कि वे इन परिवर्तनों पर ध्यान दें और अपने तीर्थयात्रा की योजना बनाएं." सिर्फ तिरुमाला ही नहीं सबरीमाला मंदिर भी ग्रहण के दिन बंद रहेगा.
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क्यों माना जाता है ग्रहण को अशुभ:
ग्रहण के दिनों में हिंदू मंदिरों को बंद करना काफी सामान्य प्रथा है जो अनादि काल से जारी है. चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण को अशुद्ध माना जाता है और हिंदू ग्रंथों और शास्त्र के अनुसार ग्रहण की अवधि के दौरान सूर्य और चद्रमा असामान्य नकारात्मक ऊर्जा छोड़ते हैं. ग्रहण एक खगोलीय घटना है. सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है और सूर्य को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकता है. चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य सीधी रेखा पर होते हैं और चंद्रमा पृथ्वी के पीछे से गुजरता है.
सूर्य ग्रहण में सूर्य के प्रकाश और चुंबकीय ऊर्जा में कमी होती है, जबकि चंद्र ग्रहण में चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के एक ही रेखा में आने के कारण चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण बदल जाता है.
माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है:
हमारे शास्त्रों के अनुसार ग्रहण की वजह से महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं, जिसकी वजह से वातावरण में नकारात्मक उर्जा बढ़ती है, जो पृथ्वी पर रहनेवालों के लिए बुरा है. जब भी कोई भक्त किसी मंदिर में दर्शन करने आता है, तो उसे शांति महसूस होनी चाहिए न कि असामान्य ऊर्जा के संपर्क में आना चाहिए, इसलिए ग्रहण एक दौरान मंदिर बंद होता है.
नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए तुलसी के पत्ते भगवान की मूर्ति पर रखा जाता है.
कई मंदिरों में तुलसी के पत्तों से भगवान की मूर्ति को ढका जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि तुलसी के पत्तों में हानिकारक विकिरणों को अवशोषित करने की क्षमता होती है. तुलसी को लोग देवी तुलसी भी कहते हैं, ये भगवान विष्णु की प्रिय हैं इसलिए इन्हें विष्णुप्रिया भी कहा जाता है. ग्रहण के बाद विधि विधान से सफाई होने के बाद मंदिर खोला जाता है.
भारत के सभी मंदिर ग्रहण के दौरान बंद होते हैं, लेकिन श्री कालहस्ती (Kalahasthi) में कलहस्थिस्वर मंदिर (Kalahasteeswara Temple) एकमात्र ऐसा मंदिर है जो ग्रहण के दौरान बंद नहीं होता है. कारण यह है कि यह भारत का एकमात्र मंदिर है जिसमें राहू और केतु की पूजा होती है. ऐसा माना जाता है कि यह एक ग्रहण से प्रभावित नहीं होता है.