जानिए हनुमान जी के किस रूप की पूजा करने से मिलता है कौन सा फल, उनकी प्रतिमा लगाते समय बरतनी चाहिए ये सावधानियां
पवनपुत्र हनुमान (Photo Credits: @rpsingh/ Twitter)

मान्यता है कि जिस घर में पवनपुत्र हनुमान (Hanuman) जी की प्रतिमा अथवा तस्वीर होती है, वहां किसी भी प्रकार का भय, दोष, बाधा अथवा भूत प्रेत आदि का वास नहीं होता. वेदों में हनुमान जी के विविध रूपों (Different forms of Hanuman) का वर्णन किया गया है. उनके हर रूपों की अपनी महिमा है, अपना महात्म्य है. हालांकि हनुमान जी की पूजा और उनकी प्रतिमा को स्थापित करते समय कुछ सावधानियां भी आपेक्षित हैं. आइए जानें हनुमान जी के किस रूप में भक्त का क्या हित छिपा हुआ है.

दक्षिणमुखी हनुमान जी

अधिकांश मंदिरों अथवा घरों में हनुमान जी की प्रतिमा को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जाता है. इसे दक्षिणमुखी हनुमान जी कहते हैं. इस दिशा वाले हनुमान जी को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. वेदों में वर्णित है कि हनुमान जी की शक्तियां दक्षिण दिशा में सबसे ज्यादा सुनने पढ़ने को मिलती हैं. चूंकि ज्यादातर बुरी शक्तियां भी दक्षिण दिशा से ही घरों में प्रवेश करती हैं, लेकिन हनुमान जी को देखकर वे घर के भीतर प्रवेश करने का साहस नहीं करके वापस लौट जाती हैं. विद्वानों का भी मत है कि दक्षिणमुखी हनुमान जी की पूजा करने से हनुमान जी भक्त पर जल्दी प्रसन्न होते हैं.

उत्तरमुखी हनुमान जी

उत्तर दिशा सुख एवं समृद्धि का वाहक माना जाता है. इसलिए उत्तर दिशा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा फोटो रखकर पूजा-अर्चना करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. घर में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है. सेहत अच्छी बनी रहती है. यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti 2019: जानिए क्यों बाल ब्रह्मचारी होते हुए भी हनुमान जी को करना पड़ा विवाह, सूर्य पुत्री से हुई थी उनकी शादी

पंचमुखी हनुमान जी

वेदों में पंचमुखी हनुमान जी का भी बड़ा बखान किया गया है. मान्यता है कि जिस घर अथवा कार्यालयों में पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा अथवा तस्वीर रखी जाती है, वहां रहने अथवा कार्य करने वालों की निरंतर तरक्की होती रहती है. ऐसे दफ्तरों में किया गया कार्य तेजी से फलता फूलता है. रास्ते में आनेवाली रुकावटें स्वतः दूर हो जाती हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि शत्रुओं पर विजय पाने अथवा बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए भी पंचमुखी हनुमान जी की पूजा आराधना की जाती है.

लेटे हुए हनुमान जी

लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा एकमात्र प्रयागराज में संगम तट के किनारे पर स्थित हैं. मान्यता है कि यहां लेटे हुए हनुमान जी का दर्शन मात्र करने से भक्तों को मोक्ष मिल जाता है. उनके सारे रुके हुए कार्य फलीभूत होने लगते हैं, घर में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है. कहा जाता है कि इन लेटे हुए हनुमान जी के कारण ही इस शहर पर कभी संकट नहीं आता और यहां के लोग सुख और शांति का जीवन जीते हैं.

उड़ते हुए हनुमान जी

एक हाथ में पर्वत और दूसरे में गदा लेकर उड़ते हनुमान जी की मूर्ति की पूजा करने से जीवन में आनेवाली सारी बाधाएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं. हनुमान जी की कृपा से साहस, बल, विश्वास और जिम्मेदारी का विकास होता है. इंसान हनुमान भक्ति के प्रभाव से बगैर किसी भय के सभी संकटों का बहादुरी से सामना करता है. ऐसी अवस्था वाले हनुमान जी की पूजा करने से श्रद्धालुओं में निरंतर विकास के प्रति जोश, उमंग और साहस बढ़ता है. वाहनों में लगे उड़ते हनुमान जी की प्रतिमा इसी बात का संकेत देती है कि आपके मार्ग में किसी तरह की बाधा नहीं आयेगी और आप सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य तक पहुंच जायेंगे.

भजन करते हनुमान जी

हनुमान जी द्वारा भजन करती हुई प्रतिमा भगवान श्रीराम के प्रति उनकी भक्ति और आस्था को दर्शाता है. इस तरह की तस्वीरें घरों में इसीलिए लगायी जाती हैं ताकि साधक के मन में ईश्वर के प्रति भक्ति और शक्ति का अहसास एवं संचार होता रहे. इस तरह की भक्ति से श्रद्धालुओं का कल्याण होता है. यह भी पढ़ें: मंगलवार-शनिवार को हनुमान जी की पूजा से पूरी होती है भक्तों की हर मुराद, जानिए क्यों उन्हें लेना पड़ा था 'पंचमुखी' अवतार

इस बात का भी रखें ध्यान

शास्त्रों में उल्लेखित है कि श्री हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं. इसलिए कभी भी अपने बेडरूम में हनुमान जी की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए. इसके अलावा घर में लंका दहन वाली तस्वीर भी नहीं लगानी चाहिए. इसके अलावा घरों में छह इंच से ज्यादा ऊंची मूर्ति नहीं लगानी चाहिए.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.