चेटी चंड (Cheti Chand) सिंधी समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. इस दिन सिंधी संत झूलेलाल की जयन्ती (Jhulelal Jayanti) भी मनाई जाती है. यह त्यौहार सिंधी नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है और यह चैत्र माह में उज्जवल चंद्र पखवाड़े (शुक्ल पक्ष) के दूसरे दिन पड़ता है. इस पूर्व संध्या पर, लोग भगवान वरुण (जल के देवता) से सुख और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं. झूलेलाल को वरुण देव का अवतार माना जाता है. चेटी चंड न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सिंधु समुदाय के पारंपरिक मूल्यों और मान्यताओं को भी समान रूप से समेटे हुए है. इस साल चेटी चंड 13 अप्रैल 2021 को मनाया जा रहा है.
चेटी चंड के दिन एक विशाल जुलूस निकाला जाता है. इस अवसर पर लोग एकजुट होते हैं और सुंदर दीप प्रज्वलित करते हैं. चेटी चंड की सुबह से ही लोग मंदिरों में जाते हैं और उसके बाद बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं. सिंधी बहराणा साहिब को पास की नदी या झील तक ले जाते हैं. बहराणा साहिब में ज्योत (तेल का दीपक), मिश्री (क्रिस्टल चीनी), फल (फल), इलायची, आक और इसके पीछे कलश (जल का घड़ा), एक नारियाल (नारियल) होता है, जो कपड़ा, पत्ते और फूलों से ढका होता है. इस दिन लोग पारंपरिक पूजा करते हैं और भगवान से बुराइयों से बचाने और दुनिया में शन्ति बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं. सिंधी परंपरा के अनुसार चेटी चंड के दिन नवजात शिशु का मुंडन भी कराया जाता है. इस दिन लोग अपने प्रियजनों के गले मिलकर और ग्रीटिंग्स भेजकर शुभकामनाएं देते हैं. इस दिन आप भी नीचे दिए गए विशेज भेजकर चेटी चंड की बधाई दे सकते हैं.
1- सारी चिंता भूल जाओ,
सब गलतियां भूल जाओ,
और इस नए साल में,
एक नई शुरुआत करो.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
2- जो कर्म के सिद्धांत को,
समझकर उचित कर्म करता है,
वह कर्म के बंधन से,
हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
3- झूलेलाल का आशीर्वाद मिले,
दोस्तों और प्रियजनों का प्यार मिले,
सफलता चूमे हर दम कदम आपके,
ऐसा हो चेटी चंड का पर्व आपके लिए.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
4- आपको और आपके परिवार को,
चेटी चंड की शुभकामनाएं
5- आपको सिंधी नए साल,
चेटी चंड की हार्दिक बधाई,
नया साल खुशियों भरा हो,
आपकी हर मनोकामना पूरी हो.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
सिंधु के अनुसार चेटी चंड नए साल का पहला दिन माना जाता है क्योंकि यह नई शुरुआत और उन सभी चीजों को चिह्नित करता है जिन्हें अभी तक आकार लेना बाकी है. विक्रम संवत 1007, 951 AD में नरसापुर नगर के सिंध प्रांत में भगवान झूलेलाल का जन्म रतन राव लुहाना और उनकी पत्नी देवकी के यहां हुआ था. उन्हें लाल साईं, उदेरलाल, नामों से भी जाना जाता है.