घर में धूप-दीप जलाने से नकारात्मक शक्तियां होती हैं नष्ट, जानें इसका आध्यात्मिक महत्व
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

इंसान ही नहीं, बल्कि देवी-देवताओं को भी खुशबूदार वातावरण अच्छा लगता है. यही वजह है कि किसी भी धर्म में पूजा-अर्चना खुशबूदार अगरबत्ती (Incense Stick) या धूपबत्ती (Dhoop Stick) के बिना पूरी नहीं होती. सनातन धर्म में तो यज्ञ अथवा हवन में तमाम तरह की खुशबुओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो वातावरण को तो सुगंधित करती ही हैं साथ ही उसे पवित्र और शुद्ध भी करती हैं. धर्म ग्रंथों में तमाम तरह के धूपों एवं उसकी शक्तियों का उल्लेख है. यहां हम ऐसे ही धूपों एवं उनके आध्यात्मिक पहलुओं पर बात करेंगे.

कैसे देते हैं धूप

देवी, देवताओं एवं पित्तरों के साथ-साथ वास्तु पूजा-अर्चना के समय घरेलू वातावरण को शुद्ध करने के लिए सुगंधित धूप अथवा बत्तियां जलाते हैं. धूप को आम की लकड़ी अथवा कंडे पर रखकर जलाया जाता है. वर्तमान में आमतौर पर दो तरह से धूप दी जाती है. एक गुग्गुल-कर्पूर से और दूसरा गुड़-घी मिलाकर जलते कंडे पर रखकर धूप दी जाती है.

धूप दिखाने के नियम

यूं तो पूजा-पाठ के दरम्यान प्रतिदिन धूपबत्ती जलानी चाहिए, लेकिन किसी वजह से रोज धूप नहीं दे सकते तो कृष्णपक्ष के तेरस, चौदस और अमावस्या तथा शुक्लपक्ष के तेरस, चौदस और पूर्णिमा के दिन धूप अवश्य देनी चाहिए. कहा जाता है कि प्रातःकाल दी जाने वाली धूप देवताओं के लिए और संध्याकाल में दी जानेवाली धूप पित्तरों को प्रसन्न करती है. बहुत से पूजा-पाठ में सायंकाल को देवताओं के लिए भी धूप देने का विधान है.

शांति एवं एकाग्रता जरूरी है

घर की साफ-सफाई एवं स्वयं स्नान-ध्यान करने के पश्चात ही घर में धूप जलानी चाहिए. आमतौर पर धूप केवल ईशान कोण में ही जलाना चाहिए. लेकिन धूप बत्ती का खुशबूदार धुआं घर के हर कोने में पहुंचना चाहिए. धूप जलाने के पश्चात संगीत अथवा तेज स्वर में बात करके ध्यान को भटकाना उचित नहीं है.

धूप से लाभ

घर में हवन का धुआं हो या धूप बत्ती का धुआं मनुष्य के तन-मन के साथ-साथ घर में दिव्य शांति और सुख का संचार होता है. घर में सकारात्मकता आती है, रोग-शोक खत्म हो जाते हैं. गृहकलह अथवा आकस्मिक घटना-दुर्घटना इत्यादि नहीं होती. धूप बत्ती के धुएं के साथ घर में किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण होता है. घर के सारे वास्तुदोष स्वतः खत्म हो जाते हैं. घर में धूप दिखाने से देवी-देवता और पित्तर प्रसन्न होते हैं, उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख एवं शांति आती है. आइये कुछ खास धूप के बारे में जानें.

गुड़ एवं घी की धूप का महत्व

गुड़ एवं घी के धूप का बड़ा महत्व है. इसे समान मात्रा में लेकर उसका मिश्रण तैयार करें. अब एक कंडा जला लें. पांच मिनट बाद उसमें गुड़ और घी का मिश्रण लेकर जलते कंडे पर रखे. अब उसके चारों ओर दायें हाथ की तीन अंगुलियों से जल अर्पित करें. देवताओं को अर्पण करने के लिए अंगुलियों का प्रयोग करें, जबकि पित्तर को अंगूठे की मदद से जल अर्पित करें. यह भी पढ़ें: रक्षासूत्र में होती है गजब की आध्यात्मिक शक्ति, जानें कलाई पर मौली बांधने से जुड़े खास नियम

देवताओं को जल अर्पित करने से पूर्व ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ध्यान करें. इसके विपरीत पितरों को अर्पण करने से पूर्व अपने पित्तरों का ध्यान करें और उनसे सुख-शांति की कामना करें. श्राद्धपक्ष के दिनों में 16 दिन तक घी-गुड़ का धूप देने से पित्तर तृप्त होकर मुक्त हो जाते हैं. तथा पितृदोष दूर हो जाते हैं.

गुग्गुल की धूप का महत्व

गुग्गुल का इस्तेमाल सुगंध, इत्र व औषधि आदि में किया जाता है. इसकी महक मिठास लिए होती है. आग में डालने पर पूरा वातावरण सुगंधित हो जाता है. गुग्गल के सुगंधित धुएं से जहां सिर दर्द एवं दूसरे शारीरिक विकारों में मुक्ति मिलती है, वहीं ह्रदयाघात अथवा दर्द में लाभदायक होता है.

अगर आपको लगता है कि किसी ने आपके घर में कुछ टोना-टोटका की कोई वस्तु रख दी है तो सुबह-सबेरे घर की साफ-सफाई कर पीपल के पत्ते का दोना बनाकर उसमें गौमूत्र रखकर पूरे घर में छिड़काव करें. इसके पश्चात शुद्ध गुग्गल की धूप जला दें. अमुक वस्तु प्रभावहीन हो जाएगी. साथ ही मन को शांति मिलेगी.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.