Ramzan 2019 Dusra Ashra Mubarak: रमजान का मुक़द्दस महीना चल रहा है. यह पवित्र महिना तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिसे अशरा कहते हैं. इसमें पहला अशरा रहमत का, दूसरा (Dusra Ashra) मगफिरत (गुनाहों की माफी) और तीसरा जहन्नुम से आजादी का है. रमजान महीने का पहला अशरा ख़त्म होने वाला है और शुक्रवार को मगफिरत का दूसरा अशरा शुरू हो जाएगा. रमजान के दूसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों की मगफिरत के लिए मांगी गई दुआओं को खासतौर से कुबूल फरमाता है. इस दौरान लोग अल्लाह की इबादत में लग जाते हैं ताकि उन्हें राजी कर अपने गुनाहों की माफी मांग सके. दूसरे अशरे में रोजेदार अपने गुनाहों पर शर्मिंदा होकर अल्लाह से माफी मांगते हैं.
इस दौरान बंदे इबादत, कुरआन पाक की तिलावत कर अल्लाह को राजी करते हैं. इसमें अल्लाह अपने बंदों के रोजे, इफ्तार, सेहरी, नमाज ए तरावीह और दूसरे नेक कामों को कबूल फरमाते हैं. शुक्रवार से दूसरे अशरे की शुरुआत पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को नीचे दिए गए मैसेजेस WhatsApp Stickers, SMS और Facebook Greetings के जरिए भेजकर रमजान के दूसरे अशरे की मुबारकबाद दे सकते हैं.
ना रहेगा ये सदा, कुछ ही दिन का मेहमान है
रहमत से भर लो झोलियां, गुजर रहा माह-ए-रमजान है
रमजान का दूसरा अशरा मुबारक
बे-जुबान को जब वो जुबान देता है.
पढ़ने को फिर वो कुरान देता है.
बक्शने पर आए जब उम्मत के गुनाहों को,
तोहफे में गुनहगारों को रमज़ान देता है.
रमजान का दूसरा अशरा मुबारक
ख़ुशी नसीब हो, जन्नत करीब हो,
तू चाहे जिसे वो तेरे करीब हो,
इस तरह हो करम अल्लाह का,
मक्का और मदीना की तुझे ज़ियारत नसीब हो.
रमजान का दूसरा अशरा मुबारक
किसी का ईमान कभी रोशन ना होता,
आगोश में मुसलमान के अगर कुरान न होता,
दुनिया ना समझ पाती कभी भूख और प्यास की कीमत,
अगर 12 महीने में एक 1 रमजान न होता.
रमजान का दूसरा अशरा मुबारक
ऐ माह-ए-रमजान आहिस्ता चल, अभी काफी कर्ज चुकाना है.
अल्लाह को करना है राजी और गुनाहों को मिटाना है.
ख्वाबों को लिखना है और रब को मनाना है.
रमजान का दूसरा अशरा मुबारक
तमाम दुनियावी चीजों को कुर्बान कर खुदा की रजा के लिए रोजा रखना ही रमजान का असल मकसद है. पूरी दुनिया की कहानी भूख प्यास और इंसानी वाहिशों के इर्द गिर्द घूमती है और रोजा इन तीन चीजों पर काबू रखने की साधना है. रमजान माह इंसानों के दुख दर्द और भूख प्यास को समझने का महीना है ताकि रोजेदारों में भले बुरे को समझने की सलाहियत पैदा हो.