हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की द्वितीया के दिन फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन से भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा एवं ब्रज में होली पर्व की शुरुआत हो जाती है. इस दिन ब्रज में श्रीकृष्ण के साथ फूलों की होली खेली जाती है. मथुरा और ब्रज के क्षेत्रों इस पर्व की धूम देखते बनती है. विद्वानों के अनुसार फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है. इस वर्ष फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023, मंगलवार को मनाया जायेगा.
फुलेरा दूज का महत्व
आमतौर पर फुलेरा दूज बसंत पंचमी और होली के मध्य पड़ता है. हिंदू धर्म में फुलेरा दूज का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन प्रेम का प्रतीक कहे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है. इसलिए इस दिन को पूर्णतया दोषमुक्त भी माना जाता है. यानी इस दिन आप किसी भी तरह के मंगल एवं शुभ कार्य बिना शुभ मुहूर्त निकाले कर सकते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन बहुत ज्यादा संख्या में शुभ विवाह एवं अन्य संस्कारों के विभिन्न रश्मे की जाती हैं. मथुरा में इसी दिन से होली की शुरुआत हो जाती है. यह भी पढ़ें : Chatrapati Shivaji Maharaj Anniversary Celebration: दिल्ली में महाराष्ट्र सदन में गाजे- बाजे के साथ मनाई गई शिवाजी महाराज जयन्ती, देखें वीडियो
फुलेरा दूज शुभ मुहूर्त
फुलेरा दूज तिथि प्रारंभः 09.04 AM (21 फरवरी 2023, मंगलवार) से
फुलेरा दूज तिथि समाप्तः 05.57 AM (22 फरवरी 2023, बुधवार) तक
उदया तिथिः उदया तिथि के अनुसार इस साल फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023, मंगलवार को मनाया जायेगा.
गोधूलि मुहूर्तः भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा गोधूलि मुहूर्त में की जाती है. गोधूलि मुहूर्त की शुरुआत शाम 06.13 PM से 06.38 PM बजे तक निर्धारित है
कैसे मनाते हैं फुलेरा दूज?
मान्यताओं के अनुसार इस दिन से होली की शुरुआत हो जाती है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा-रानी की पूजा-अर्चना की जाती है. सारे कृष्ण मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है. इस दिन श्री कृष्ण एवं राधा रानी को फूलों से सजाया जाता है और उन पर रंग-बिरंगे फूल बरसाए जाते हैं. इसलिए इसे फूलों का त्योहार भी कहा जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से ब्रज धाम में मनाया जाता है और इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी को अबीर और गुलाल भी अर्पित किये जाते हैं. श्री कृष्ण और राधा रानी को माखन मिश्री का भव्य भोग भी लगाने की परंपरा है. बहुत से घरों में इस दिन तमाम किस्मों की मिठाइयां एवं अन्य पकवान तैयार किये जाते हैं, जिसे भोग स्वरूप श्रीकृष्ण एवं राधा रानी को अर्पित किया जाता है. इसके बाद श्री कृष्ण का भजन-कीर्तन करते हैं. यह दिन भगवान श्रीकृष्ण से अथाह प्रेम को भी व्यक्त करता है.