प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा पड़ती है. पौष मास की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन शुभ मुहूर्त पर देवी लक्ष्मी और चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा का विधान है. कुछ लोग इस दिन गंगा अथवा पवित्र नदी में स्नान कर भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं, इस दिन दान-धर्म करने का भी विशेष पुण्य प्राप्त होता है. यहां हम ज्योतिषाचार्य संजय शुक्ला से पौष पूर्णिमा के महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा-विधि के साथ-साथ जानेंगे कि इस वर्ष की पौष पूर्णिमा पर किन पांच अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है.
पौष पूर्णिमा 2024 का महात्म्य
इस वर्ष पौष पूर्णिमा पर पांच अत्यंत शुभ योगों सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरू पुष्य योग, प्रीति योग, अमृत सिद्धि योग एवं रवि योग का निर्माण होने से इस पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा. इस दिन गंगा-स्नान से तन, मन और तीनों शुद्ध हो जाते हैं. इसके अलावा इस दिन सूर्य के साथ-साथ चंद्रमा की भी पूजा होती है, जिससे तन-मन को ऊर्जा के साथ-साथ शीतलता भी प्राप्त होती है. इस दिन प्रयागराज स्थित संगम में लाखों श्रद्धालु डुबकियां लगाते हैं. ऐसा करने से मन की सारी दुर्बलताएं स्वतः खत्म होती हैं, नई ऊर्जा का संचार होता है. दान-धर्म से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
पौष पूर्णिमा 2024 की मूल तिथि एवं मुहूर्त
पौष पूर्णिमा प्रारंभः 09.49 PM (24 जनवरी 2024, बुधवार)
पौष पूर्णिमा समाप्तः 11.23 PM (25 जनवरी 2024, गुरूवार)
पौष पूर्णिमा की पूजा चंद्रमा-पूजा और स्नान-ध्यान के साथ सम्पन्न होता है, इसलिए इस वर्ष पौष पूर्णिमा के व्रत एवं पूजा के लिए 25 जनवरी 2024 की तिथि उपयुक्त मानी जाती है.
व्रत एवं पूजा का अभिजित मुहूर्तः 12.12 PM से 12.55 PM तक (25 जनवरी 2024)
पौष पूर्णिमा चंद्रोदयः 05.29 PM से देर रात तक
प्रदोष काल में चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए 05.54 PM का समय उपयुक्त रहेगा. व्रती को प्रातः स्नान के पश्चात ब्राह्मण या किसी गरीब को कंबल, स्वेटर अथवा भोजन का दान करना चाहिए, इससे विशेष-पुण्य प्राप्त होता है.
पौष पूर्णिमा 2024 पर बनने वाले विशेष योग
सर्वार्थ सिद्धि योगः सूर्योदय से पूरे दिन तक रहेगा (25 जनवरी 2024)
रवि योगः 07.13 AM से 08.16 AM तक (25 जनवरी 2024)
गुरू पुष्य योगः 08.16 AM (25 जनवरी 2024) से 07.12 AM (26 जनवरी 2024)
अमृत सिद्धि योगः 08.16 AM (25 जनवरी 2024) से 07.12 AM (26 जनवरी 2024) तक
प्रीति योगः 07.32 AM से पूरे दिन (25 जनवरी 2024)
उपयुक्त पांच शुभ ग्रहों की उपस्थिति में पूजा करने से हर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है
पौष पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजा की विधि
पूर्णिमा पर सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-दान के पश्चात भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. अगर नदी में स्नान सुलभ नहीं है, तो जल में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर स्नान करें. मंदिर की साफ-सफाई करें. विष्णुजी को पीतांबर पहनायें. पीले फूलों की माला पहनाएं एवं पुष्प अर्पित करते हुए धूप-दीप प्रज्वलित करे. निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय
भगवान को तुलसी, रोली, पान, सुपारी, पीला चंदन अर्पित करें. भोग में दूध की मिठाई एवं फल अर्पित करें. पूजा करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें.
ॐ गुं गुरवे नमः
अंत में विष्णु जी की आरती उतारें और लोगों को प्रसाद वितरित करें.
रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें, और मध्य रात्रि में देवी लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं. इससे घर में सुख एवं शांति के साथ समृद्धि आती है.