नवरात्र के पांचवें दिन मां ललिता देवी स्वरूप की पूजा होती है. देवी पुराण के अनुसार, सती के हाथों हाथों की उंगली जिस स्थान पर गिरी थी, वहीं माँ ललिता देवी प्रकट हुई थी. 51 शक्तिपीठों में एक, यह स्थान मीरापुर (प्रयागराज) में स्थित है. मान्यता है कि यमुना नदी के किनारे ललिता देवी तीन विभिन्न रूपों (ललिता देवी, कल्याणी देवी और अलोपी देवी) में श्रद्धालुओं को दर्शन देती हैं. नवरात्रि में यहां प्रत्येक वर्ष बहुत बड़ा मेला लगता है, जहां लाखों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं. देवी ललिता को महात्रिपुर सुंदरी, षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी और ललिता गौरी नाम से भी जाना जाता है. आइये जानते हैं, नवरात्रि में ललिता देवी का महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा विधि इत्यादि...
ललिता पंचमी की मूल तिथि एवं मुहूर्त
आश्विन शुक्ल पक्ष पंचमी प्रारंभः 01.12 AM (19 अक्टूबर 2023)
आश्विन शुक्ल पक्ष पंचमी समाप्तः 12.31 PM (20 अक्टूबर 2023)
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 19 अक्टूबर 2023 को ललिता पंचमी का व्रत रखा जाएगा.
अभिजीत मुहूर्तः प्रातः 11.48 AM से 12.35 PM तक (19 अक्टूबर 2023)
ललिता पंचमी पूजन विधि
ललिता पंचमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र नदी अथवा सरोवर में स्नान करें, या स्नान के जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान करने से भी गंगा-स्नान के समान पुण्य प्राप्त होता है. ललिता देवी के व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. इसके पश्चात मुहूर्त के अनुसार माता ललिता देवी की पूजा प्रारंभ करें. एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. इस पर गंगाजल छिड़कें. अब देवी पार्वती एवं शिवजी की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें. एक चौकी पर लाल कपड़ा रखकर मां की मूर्ति स्थापित करें. अब शिवजी एवं माँ पार्वती के सामने शुद्ध घी का दीपक एवं धूप प्रज्वलित करें. शिव-पार्वती पर पुष्प अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें. यह भी पढ़ें : Ashwin Navratri 2023, Day-4: सृष्टि की रचयिता देवी कूष्माण्डा की इस विधि से करें पूजा! हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता के साथ विजय!
ॐ श्री ललिता त्रिपुरसुन्दरियै देव्यै नमः
शिव-पार्वती जी के सामने पुष्प, अक्षत, रोली, सिंदूर, इत्र, पान-सुपारी इत्यादि अर्पित करें. प्रसाद में फल एवं दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं. सुहाग की कुछ वस्तुएं भी देवी पार्वती को अर्पित करें. अब माता पार्वती की आरती उतारें.
ललिता देवी पूजा का महात्म्य
शारदीय नवरात्र की पंचमी को माँ सती के एक स्वरूप ललिता देवी की पूजा की जाती है. इसी दिन नवरात्रि पूजा के क्रम में देवी स्कंद माता की भी पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दस महाविद्याओं में से एक हैं, देवी ललिता, जिनके बारे में मान्यता है कि उनकी पूजा करने से जातक को हर रोगों से मुक्ति मिलती है, तथा जीवन में खुशहाली एवं शांति रहती है. दाम्पत्य जीवन में चल रही दूरियां अथवा विवाद माँ ललिता देवी के आशीर्वाद से दूर होते हैं.