शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन देवी स्कन्दमाता की पूजा-अनुष्ठान के साथ ही एक और विशेष व्रत का विधान है, जिसे ललिता पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन सती स्वरूपा मां ललिता की पूजा भी की जाती है. हिंदी पंचांगों के अनुसार 30 सिंतबर 2022, शुक्रवार के दिन ललिता पंचमी व्रत रखा जाएगा. यह व्रत का महाराष्ट्र, गुजरात एवं दक्षिण के कुछ प्रदेशों में विशेष महत्व है. देवी पुराण में माँ ललिता देवी को 10 महा विद्याओं में से एक के रूप में वर्णित किया गया है. हिंदू धर्म शास्त्रों में उन्हें विभिन्न नामों महात्रिपुर सुन्दरी, षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी, ललिता गौरी आदि से भी जाना जाता है. यहां हम ललिता देवी के महात्म्य, पूजा-व्रत के नियमों एवं पूजा के निमित शुभ मुहूर्त पर बात करेंगे.
कौन हैं ललिता देवी या महा त्रिपुरसुंदरी?
त्रिपुरासुन्दरी दस महाविद्याओं (दस देवियों) में से एक हैं. इन्हें 'महा त्रिपुर,सुंदरी', षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी, ललितागौरी तथा राजराजेश्वरी भी कहते हैं. देवी पुराण के अनुसार मां ललिता देवी दस महाविद्याओं में सबसे प्रमुख देवी हैं. यह देवी पार्वती का तांत्रिक स्वरूप है. श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी, जिनका वाम पाद, श्रीचक्र पर विराजित है. उनके चारों ओर ब्रह्मा, विष्णु, शिव, पराशिव और गणेश विद्यमान हैं. काली के दो रूप कृष्णवर्णा और रक्तवर्णा हैं. त्रिपुरसुन्दरी, काली का रक्तवर्णा रूप हैं. त्रिपुर सुंदरी धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की अधिष्ठात्री देवी हैं. इससे पहले की महाविद्याओं में कोई भोग तो कोई मोक्ष में विशेष प्रभावी हैं. लेकिन यह देवी समान रूप से दोनों ही प्रदान करती हैं. यह भी पढ़ें : Lalita Panchami 2022 HD Images: हैप्पी ललिता पंचमी! अपनों संग शेयर करें ये WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Wallpapers और Photos
ललिता पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त!
पंचमी प्रारम्भ: 12.08 P.M.(30 सितंबर 2022, शुक्रवार)
पंचमी समाप्त: 10.34 P.M. तक (30 सितंबर 2022)
ललिता पंचमी व्रत: 30 सितंबर 2022, शुक्रवार
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11.53 A.M. से 12:41 P.M. तक
ललिता पंचमी व्रत एवं पूजा के नियम!
अश्विन मास शुक्लपक्ष की पंचमी को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत होकर माँ ललिता देवी का ध्यान करते हुए व्रत एवं विधिवत पूजा का संकल्प लें, मन में कोई कामना है तो अवश्य व्यक्त करें. मान्यता है कि सच्चे मन से की गई कामनाओं को माँ ललिता देवी अवश्य पूरी करती हैं. अब उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठें. एक स्वच्छ चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएँ, इस पर गंगाजल का छीड़काव कर शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें. बगल में माँ ललिता देवी की तस्वीर रखें. धूप दीप प्रज्वलित करें. अब सभी को फूलों का हार पहनाएं. सर्वप्रथम गणेश जी को दुर्वा, लाल पुष्प एवं मोदक अर्पित करें. अब शेष देवी-देवता को रोली, अक्षत,पान, सुपारी, इत्र अर्पित करें. भोग में फल, दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं. माँ ललिता देवी के निम्नलिखित मंत्र पढ़ें.
माँ ललितादेवी का मंत्र:
'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं
सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।'
जाप पूरी करने के बाद माता ललिता सहस्रावली का पूरे शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें. अंत में ललिता देवी की आरती उतार कर प्रसाद सबको वितरित कर दें.
माता ललिता की आरती:
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी! राजेश्वरी जय नमो नम:!!
करुणामयी सकल अघ हारिणी! अमृत वर्षिणी नमो नम:!!
जय शरणं वरणं नमो नम: श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी..!
अशुभ विनाशिनी, सब सुखदायिनी! खलदल नाशिनी नमो नम:!!
भंडासुर वध कारिणी जय मां! करुणा कलिते नमो नम:!!
जय शरणं वरणं नमो नम: श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी..!
भव भय हारिणी कष्ट निवारिणी! शरण गति दो नमो नम:!!
शिव भामिनी साधक मन हारिणी! आदि शक्ति जय नमो नम:!!
जय शरणं वरणं नमो नम:! श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी..!!
जय त्रिपुर सुंदरी नमो नम:! जय राजेश्वरी जय नमो नम:!!
जय ललितेश्वरी जय नमो नम:! जय अमृत वर्षिणी नमो नम:!!
जय करुणा कलिते नमो नम:! श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी..!