Lala Lajpat Rai Birth Anniversary 2025: ‘मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार की ताबूत में कील का काम करेगी.’ देखें लाजपत राय के कुछ ऐसे ही प्रेरक कोट्स!
Lala Lajpat Rai Birth Anniversary (Photo Credits: File Image)

28 जनवरी, 1865 को जन्में लाला लाजपत राय ने राष्ट्रवाद, एकता और ताकत की विरासत बनाई. वह भारत की आजादी में दृढ़ विश्वास रखते थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन इसी उद्देश्य हेतु समर्पित कर दिया. लालाजी का जन्म धूडिके (पंजाब) के जैन परिवार में हुआ था. उनके उदार विचारों और हिंदू मान्यताओं को उनके माता-पिता ने आकार दिया, जिसका उपयोग उन्होंने राजनीति और पत्रकारिता लेखन के माध्यम से भारतीय नीति और धर्म-सुधार हेतु किया. 1880 में उन्होंने कानून की पढ़ाई के लिए लाहौर के सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया. यहां वह स्वामी दयानंद सरस्वती के हिंदू सुधारवादी आंदोलन से प्रभावित हुए. आर्य समाज लाहौर के सदस्य और लाहौर स्थित आर्य के संस्थापक-संपादक बने. ‘पंजाब केसरी’ नाम से लोकप्रिय, लाला लाजपत राय 'लाल बाल पाल' की तिकड़ी के एक हिस्सा थे, जिसमें बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल शामिल थे.

साल 1921 में, उन्होंने ‘सर्वेंट्स ऑफ द पीपल सोसाइटी’ की स्थापना की. उन्हीं दिनों ब्रिटिश सरकार जॉन साइमन द्वारा जारी अनैतिक बिल के विरोध में लालाजी ने अहिंसक आंदोलन छेड़ा. उन्होंने आंदोलनकारियों के साथ काले झंडों के साथ ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे लगाए. अंग्रेजी हुकूमत ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. इस लाठीचार्ज में लालाजी गंभीर रूप से घायल हो गए. 17 नवंबर, 1928 को उनकी मृत्यु हो गई. यहां लाला लाजपत राय के प्रेरक विचारों के कुछ अंश दिये जा रहे हैं, जिन्हें अपनों को भेजकर आप भी लालाजी की जयंती सेलिब्रेट कर सकते हैं. यह भी पढ़ें : Auspicious Time of February 2025: फरवरी 2025 शुभ विवाह के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? जानें इस माह कुल कितने मुहूर्त बन रहे हैं!

लाला लाजपत राय के प्रेरक कोट्स

* 'केवल वही सीमाएं हैं जो हम अपने ऊपर रखते हैं.'

* 'समर्पण और निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करें, आप पायेंगे कि आपको अपना उद्देश्य मिल गया है.'

* 'सच्ची देशभक्ति अन्याय के प्रति निडर दृष्टिकोण की अपेक्षा करती है.'

* 'शिक्षा सशक्तिकरण की कुंजी है, यह प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है.'

* 'प्रत्येक प्रयास में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें, सफलता निश्चित रूप से प्राप्त होगी.'

* 'किसी भी राष्ट्र की ताकत उसके लोगों के चरित्र और विचारों में निहित होती है.'

* 'आज़ादी दी नहीं जाती; यह हासिल किया जाता है. अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रवृत्ति स्वयं पैदा कीजिये.'

* 'खुद पर और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखें; आप विश्वास करें कि आप में बदलाव लाने की प्रचुर शक्ति है.'

* ‘मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में कील का काम करेगी.’

* 'निर्भयता आध्यात्मिकता की पहली आवश्यकता है. कायर कभी नैतिक हो ही नहीं सकते.'

* 'प्रगति केवल आर्थिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए, इसमें प्रत्येक नागरिक की भलाई अवश्य शामिल होनी चाहिए.'

* 'ईमानदारी से जियो, और अपने कार्यों को शब्दों से अधिक सक्रियता से दर्शाओ.'

* 'राष्ट्रवाद एक सक्रिय सिद्धांत है, जबकि राजनीति एक निष्क्रिय सिद्धांत है.'

* 'हमेशा व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि समाज के सामूहिक कल्याण के लिए भी कार्य करना चाहिए. तभी समाज में सकारात्मकता आयेगी.'

* 'संघर्ष तकलीफदेह हो सकते हैं, लेकिन प्रगति की सच्ची सीढ़ी वही हैं.'