प्यार की कोई परिभाषा नहीं होती हैं. प्यार अगर सच्चा है तो परिभाषा गौण हो जाती है. माना जाता है कि सच्चा प्यार दो प्रेमी दिलों को प्यार की डोर में बांधकर उनके रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन कभी-कभी सच्चे प्यार के रास्ते में भी कुछ न कुछ ऐसी रुकावटें आ जाती है, जिनका पूर्व अहसास नहीं रहता. ये रुकावटें आगे चलकर दो प्यार करनेवालों को अलग-अलग रास्ते पर चलने को मजबूर कर देती है. आखिर वह कौन सी शक्ति है, जिसका पूर्वानुमान तक नहीं होता और बनती हुई बात बिगड़कर छिन्न-भिन्न हो जाती है. वह अगर कोई इंसान नहीं है तो कोई मायावी शक्ति ही हो सकती है और वह शक्ति है राहु एवं केतु. क्या वाकई दो प्रेम करने वालों के बीच राहु नफरत और घृणा के बीज बोता है. आइए जानें ज्योतिषाचार्य श्री लक्ष्मी नारायण क्या कहते हैं...
अकसर अखबारों में पढ़ने को मिलता है कि फलां लड़की जिस शिद्दत से अपने प्रेमी से प्यार करती थी, एक दिन वही प्रेमी उसके भोलेपन का फायदा उठाकर उसकी जिंदगी तबाह कर देता है. अगर इस घटना को ग्रहों के नजरिए से जाचें परखें तो आपको ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत नहीं. क्योंकि प्रेम के नाम पर इस तरह का षड़यंत्र केवल राहु ही रचता है.
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पहले रिश्ते जोड़ता है, फिर षड़यंत्र करता है
राहु का खेल सचमुच बहुत निराला होता है. वह दो प्रेम करने वालों के बीच पहले प्रेम को पनपने देता है. प्रेमी-प्रेमिका समाज से नजरें बचाकर मिलते हैं. उनके बीच प्यार अंकुरित होता. लेकिन इन्हें इस बात का अहसास नहीं होता कि उनके संबंध असत्य की कमजोर डोर से बंधा होने के कारण महज दिखावटी होता है. जिस असत्य को वे सत्य समझते हैं, वह वास्तव में राहु के खेल का ही एक हिस्सा होता है. राहु झूठ का वह स्वरूप है जो झूठ होते हुए भी खरे सोना जैसा सच नजर आता है.
राहु इंसान को प्रेम का लोभ देकर झूठ बोलना सिखाता है. इंसान जो असली बातें छिपाता है, बाते बदलता है, यह सारी कलाएं राहु के अलावा और कोई ग्रह नहीं दे सकता. राहु एकतरफा प्यार का वह रूप होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति का सच्चा प्यार सामने आने ही नहीं पाता. राहु वह लोभ है, जिसकी वजह से व्यक्ति के सामने एक अदृश्य पर्दा सा पड़ जाता है. उसे अच्छा या बुरे का पता ही नहीं चलता, बस राहु के इशारे पर चलता रहता है. वह हर चीज में बस अपना स्वार्थ देखता है, और अपने साथी से सच कहने का साहस नहीं संजो पाता.
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‘छल-प्रपंच’ है राहु का खेल
हर बुरी लत फिर वह चाहे मदिरा सेवन का हो, पत्नी के होते पर स्त्री से संबंध रखना, चालाकी से किसी को छलना, पीठ के पीछे बुराई करना ये सारी राहु की ही खूबियां होती हैं. किसी तरह की दुविधा मन में उत्पन्न हो अथवा अचानक कोई घटना घट जाती है तो उसका श्रेय राहु को जाता है. अगर आपका दिल कहता है कि आप जो कहने या करने जा रहे हैं, वह वास्तव में छल है, लेकिन आपके मन में उत्पन्न भ्रम इसे छल नहीं मानता तो इस सोच को पैदा करने वाला राहु के अलावा कोई और हो ही नहीं सकता.
कब होता है राहु प्रभावी
राहु की चालाकी तो देखिए अगर आप किसी को धोखा देने की सोच रहे हैं और इस चालाकी में आप पकड़े जाते हैं तो, दोनों ही नियति राहु द्वारा पैदा की गई होती है. एक तरफ वह आपसे बुरे कर्म करने के लिए उकसाता है, तो दूसरी तरफ आपको फंसवाने में भी अहम भूमिका निभाता है. राहु यह खेल तभी खेल पाता है जब आपकी कुण्डली में भाग्य निर्बल होता है. इसलिए अधिकांश ज्योतिषि राहु को कमजोर करने के लिए पूजा-आराधना की शरण लेते हैं.
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अगर आप झूठ बोलते हैं, किसी को धोखा देते हैं, शराब पीने की लत से मजबूर हैं, पराई स्त्री पर बुरी नजर रखते हैं, तो आप मानिए कि आप राहु के प्रभाव में हैं. राहुवास्तव में पापी ग्रह है. उसकी छाया पड़ने मात्र से आपकी बुद्धि नष्ट हो सकती है. हालांकि राहु वास्तव में छाया ग्रह है, उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इसे शनि ग्रह की तुलना में कहीं ज्यादा घातक माना जाता है. मान्यता है कि प्रत्येक इंसान की जिंदगी में एक बार राहु की महादशा अवश्य आती है, जो 18 वर्ष तक विद्यमान रहती है. इस दरम्यान प्रभावित व्यक्ति की जिंदगी काफी उलझन भरी हो सकती है.