आज दुनिया भर में विभिन्न देशों के बीच जारी प्रतिस्पर्धा के कारण अशांति और युद्ध का माहौल बना हुआ है. युक्रेन और रूस के बीच लंबे समय से चल रही जंग अभी तक थमी नहीं है. चीन-पाकिस्तान बनाम भारत के बीच भी आये दिन तलवारें खिंची रहती है. इस तरह के माहौल पर नियंत्रण रखने एवं आपसी भाईचारा तथा सौहार्द को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता है. इस अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर कई अन्य संगठन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. आइये जानें क्या है अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस का इतिहास, मकसद और इसे कैसे सेलिब्रेट करते हैं...
क्या है अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस का इतिहास
साल 1981 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाने की घोषणा की थी. साल 1982 में सितंबर माह के तीसरे मंगलवार के दिन संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ही पहली बार अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस का आयोजन गया था. साल 1982 से 2001 तक यह दिवस विशेष सितंबर के तीसरे मंगलवार को ही मनाया जाता रहा, लेकिन साल 2002 से संयुक्त राष्ट्र ने 21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाने की घोषणा की. इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जा रहा है. गौरतलब है कि इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में युद्ध में मारे गये लोगों की स्मृति में एक घंटी बजाई जाती है, जो सभी महाद्वीपों (अफ्रीका को छोड़कर) के बच्चों द्वारा दान दिये गये सिक्कों से बनाई गई थी. इस सिक्के के एक पहलू पर लिखा है कि ‘दुनिया भर में लंबे समय तक शांति बनी रहे’.
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की महत्व
संयुक्त राष्ट्र संघ प्रत्येक वर्ष एक नई थीम के जरिये अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाने की अपील करता है. इस वर्ष भी एक नई थीम ‘एक समान और सतत विकास के लिए बेहतर रिकवरी’ विषय निर्धारित किया गया है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपील की है कि कोविड 19 की महामारी के इस दौर में लोगों के बीच दया, आशा, मानवता और करुणा का संचार करते हुए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाए, तभी इस दिवस की सार्थकता साबित होगी. साथ ही देशों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा, घृणा और भेदभाव आदि को खत्म कर संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ खड़े हों.
ऐसे करते हैं सेलिब्रेशन
इस दिन संयुक्त राष्ट्र से लेकर विभिन्न स्कूल-कॉलेजों, संगठनों-संस्थानों आदि जगहों पर तमाम तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. शांति का दूत कहे जाने वाले सफेद कबूतरों को उड़ाया जाता है, कि जाओ और दुनिया में शांति एवं भाईचारे का संदेश दो. वस्तुतः मधुरता और भाईचारा ही ‘शांति’ का विशेष माध्यम होता है. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में इस दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्व में युद्ध-विराम और रिलेक्स का वातावरण कायम करना है. सभी देशों और नागरिकों के बीच शांति व्यवस्था कायम करना है. संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर में शांति का संदेश पहुंचाने के लिए कला, खेल, साहित्य, सिनेमा, संगीत जगत की प्रसिद्ध हस्तियों को ‘शांति दूत’ के रूप में नियुक्त कर रखा है, जो अपने-अपने तरीके से इस दिन कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.