मादक पदार्थों यानी नशीली दवाओं से लोगों को बचाने के लिए हर साल 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है. आज के समय में अधिकतर लोगों में अपनी समस्याओं और परेशानियों से भागने के लिए नशे का सेवन करने का फैशन बनता जा रहा है. नशीली दवाओं ने अब तक न जाने कितनी ही जिंदगियों को तबाह कर दिया. मादक पदार्थों की लत के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र ने 26 जून को मादक पदार्थों के सेवन और अवैध व्यापार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता दी है. अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के अवसर पर मादक पदार्थ एवं अपराध से मुक़ाबले के लिए 'संयुक्त राष्ट्र संघ' का कार्यालय यूएनओडीसी तमाम कार्यक्रम संचालित कराता है. मादक द्रव्य के दुरुपयोग सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. यह एचआईवी, हेपेटाइटिस, तपेदिक जैसे गंभीर रोगों का कारण है. इसके अलावा जो सबसे गंभीर बात है वो यह कि मादक पदार्थों के आदि लोग चोरी, डकैती, हिंसा आदि के रास्ते पर चल पड़ते हैं.
वैश्विक स्तर पर मादक पदार्थों के सेवन का आंकड़ा:
2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15-64 आयु वर्ग के करीब 271 मिलियन लोग, जो कि वैश्विक जनसंख्या का 5.5% हैं, मादक पदार्थों का सेवन करते हैं. विश्व स्तर पर सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली दवा कैनबिस है. 2017 में इस दवा को करीब 188 मिलियन लोगों ने लिया. वैश्विक स्तर पर लगभग 35 मिलियन लोग नशीली दवाओं के उपयोग के विकारों से पीड़ित हैं. संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत भी हेरोइन का बड़ा उपभोक्ता देश बनता जा रहा है. अफीम से ही हेरोइन बनती है. भारत के कुछ भागों में अफीम की खेती की जाती है और पारंपरिक तौर पर इसके बीज 'पोस्तो' से सब्जी भी बनाई जाती है.
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भारत के कुछ राज्य और शहर इस समस्या से काफी प्रभावित हैं. पंजाब काफी लंबे समय से इस समस्या से जूझ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में लगभग 75 प्रतिशत युवाओं में नशीली दवाओं की लत है. इससे भी बुरी बात यह है कि पंजाब में नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में लगभग 89 फीसदी पढ़े-लिखे और साक्षर हैं. राष्ट्रीय राजधानी बहुत पीछे नहीं है और गोवा, मिजोरम और मुंबई जैसे अन्य राज्य भी ड्रग्स से जुड़ी समस्याओं से काफी प्रभावित हुए हैं. एक सर्वेक्षण के अनुसार, बच्चे 12-13 साल की उम्र से ड्रग्स का सेवन करना शुरू कर देते हैं. भारत में बच्चों और युवाओं में नशीली दवाओं की समस्या और अधिक बढ़ती जा रही है, जो गंभीर स्थिति का संकेत है.
भारत में मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए कार्यक्रम:
भारत सरकार के अधिन सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2019 में संसद में बताया कि 1985-86 से शराबबंदी और मादक द्रव्यों के सेवन (नशा) निरोधक योजना को लागू कर रही है. इस योजना के तहत स्वैच्छिक संगठनों और अन्य योग्य एजेंसियों को नशा मुक्ति केंद्र (आईआरसीए) के लिए एकीकृत पुनर्वास केंद्र स्थापित करने / चलाने के लिए वित्तीय सहायता स्वीकृत व्यय का 90% तक दी जाती है. पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम और जम्मू और कश्मीर के मामले में, सहायता की मात्रा कुल स्वीकार्य व्यय का 95% है.
इसके अलावा मंत्रालय ने 2018 से 2025 के लिए ड्रग डिमांड रिडक्शन (NAPDDR) के लिए एक नेशनल एक्शन प्लान योजना को लागू करना शुरू कर दिया है. योजना का उद्देश्य बहु-प्रचारित रणनीति के माध्यम से नशीली दवाओं के दुरुपयोग के दुष्परिणामों को कम करना है, जिसमें प्रभावित व्यक्तियों और उनके परिवारों की शिक्षा, नशामुक्ति और पुनर्वास शामिल है. यह केंद्र और राज्य सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से निवारक शिक्षा, जागरूकता सृजन, पहचान, परामर्श, उपचार और दवा पर निर्भर व्यक्तियों के पुनर्वास और सेवा प्रदाताओं के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर केंद्रित है.
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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) और सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय (एमएसजेई), देश में शराब और मादक पदार्थों की मांग में कमी के लिए नीतियों और मादक द्रव्य मुक्ति कार्यक्रम (डीडीएपी) के साथ कार्यरत है. मादक द्रव्य दुरुपयोग की रोकथाम से संबंधित कई ई-स्वास्थ्य वेब आधारित कार्यक्रम है, जैसे कि राष्ट्रीय मादक पदार्थ निर्भरता उपचार केंद्र (एनडीडीटीसी), एम्स, दिल्ली ने ई-मदद (alcoholwebindia.in/intervention) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान ने तंबाकू समाप्ति के लिए शुरू किए गए एम-सेसेशन कार्यक्रम (nhp.gov.in/quit-tobacco) का संचालन किया जाता है.
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान, भारत सरकार ने सुई सिरिंज कार्यक्रम, ओपीओइड सब्स्टिटूशन थेरेपी जैसे आईडीयू के लिए विभिन्न लक्षित हस्तक्षेप कार्यक्रम लागू किये हैं. एमएसजेई ने वर्ष 2015 में अद्यतन की गई सामाजिक रक्षा सेवाओं के लिए मादक द्रव्य दुरूपयोग और शराब की रोकथाम के लिए सहयोगात्मक केंद्रीय विभाग योजना तैयार की है. राजस्व विभाग, केंद्र सरकार स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 और स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1988 में अवैध आवागमन की रोकथाम; की अनुपालना करता है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, गृह मंत्रालय एनडीपीएस अधिनियम के लिए एक प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करता है. मादक द्रव्य नशामुक्ति हेतु राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800-11-0031