भारत की प्रथम एवं अब तक की इकलौती महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी होने के बावजूद उनकी अपनी विशिष्ठ पहचान है. लोग उन्हें ‘आयरन लेडी’ के नाम से जानते पहचानते हैं, यह उपाधि उन्हें उनके साहसिक नेतृत्व, दृढ़ निर्णय लेने की क्षमता और देश की हर चुनौतियों का डटकर सामना करने के तरीके को देखते हुए दी गई. दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक ऐसी नेता थीं, जिसने शक्तिशाली विरोध, अंतर्राष्ट्रीय दबाव और कठिन परिस्थितियों के बावजूद देशहित को सर्वोपरि रखा. गौरतलब है कि श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म प्रयागराज (पूर्व नाम इलाहाबाद) के एक संभ्रांत परिवार में हुआ था, उनके पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू और मां कमला नेहरू थीं. आज पूर्व एवं दिवंगत प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती (19 नवंबर 1917) के अवसर पर बात करेंगे उनके पांच विशेषताओं के बारे में, जिसके कारण दुनिया उन्हें ‘आयरन लेडी ऑफ इंडिया’ कहती है.
क्यों कहते हैं लेडी ऑफ इंडिया?
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का नेतृत्वः- साल 1971 का समय—अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक तनाव से भरा हुआ था. पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्ला देश) पर पाकिस्तानी के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने न केवल पाकिस्तान से पलायन कर भारत आये शरणार्थियों के दर्द को समझते हुए उन्हें शरण दिया, बल्कि सैन्य रणनीति के माध्यम से बांग्लादेश के जन्म में निर्णायक भूमिका भी निभाई थी. इस साहसिक कार्य के कारण उन्हें देश-विदेश में खूब लोकप्रियता मिली.
पोखरण–I (1974) जब भारत बना परमाणु शक्तिः- विश्व की बड़ी शक्तियों के दबाव और प्रतिबंधों के बावजूद श्रीमती इंदिरा गांधी ने दुनिया भर के देशों को चौंकाते हुए, भारत का पहला सफल परमाणु परीक्षण करवाया. श्रीमती इंदिरा गांधी के इस निर्णय ने भारत को वैश्विक मंच पर शक्ति, आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक क्षमता की नई पहचान दी.
बैंक राष्ट्रीयकरण, आर्थिक स्वतंत्रता का फैसलाः- साल 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, तो यह सिर्फ आर्थिक सुधार नहीं था, बल्कि यह भारत के गरीबों, महिलाओं, किसानों एवं छोटे व्यापारियों को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में लाने का साहसिक कदम था. उनका यह निर्णय आज भी भारत की आर्थिक संरचना की रीढ़ है.
संकटों में अडिग नेतृत्वः- देश पर चाहे युद्ध का खतरा हो, आर्थिक चुनौतियों का मामला, या राजनीतिक दबाव हो, मजबूत मनोबल वाली इंदिरा गांधी न कभी पीछे नहीं हटीं, ना ही धैर्य और साहस छोड़ा. उनकी गजब की नेतृत्व शैली ने दुनिया को दिखा दिया कि कठिन निर्णय ही किसी देश को महान बना सकते हैं.
एक निडर, निर्णायक और अदम्य साहसी नेताः- इंदिरा गांधी भारत की सिर्फ एक प्रधानमंत्री नहीं थी, वह एक दृष्टि थी, एक सोच, एक शक्ति, एक साहस, एक संकल्प थीं, जो भारत को आगे ले जाने की उनके निर्णायक फैसलों ने उन्हें एक सच्चे और महान शक्तिशाली नेता के रूप में स्थापित किया.













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