Holashtak 2024: होलाष्टक क्यों अशुभ माना जाता है? क्या इस दरमियान सोना खरीदना चाहिए? होलाष्टक में किसकी पूजा शुभकारी होती है?
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होलाष्टक शुरू हो चुका है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक में शुभ-मंगल कार्य नहीं किये जाते, वहीं ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने एवं गरीबों तथा जरूरतमंदों को दान-धर्म करने से जीवन में आ रही सारी समस्याएं मिट जाती हैं, और जीवन में सुख एवं शांति आती है. गौरतलब है कि होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की सप्तमी (16 मार्च 2024) से शुरू होकर फाल्गुन पूर्णिमा (24 मार्च 2024) होलिका दहन को समाप्त होगा. अगले दिन रंगों की होली खेली जाएगी. आइये जानते हैं होलाष्टक क्यों मनाया जाता है और इस दौरान किसकी पूजा-अनुष्ठान की जाती है.

होलाष्टक में क्यों नहीं करते शुभ कार्य

ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार होलाष्टक काल के अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को बृहस्पति, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा पर राहु उग्र अवस्था में रहते हैं, इस वजह से इस दौरान किये गये शुभ कार्यों पर उग्र ग्रहों का नकारात्मक असर पड़ता है, जिसकी वजह से बनते कार्य के बिगड़ने की संभावनाएं रहती हैं. यहां तक कि आम व्यक्ति का जीवन भी इन उग्र एवं अशांत ग्रहों के कारण चुनौतियों भरा रहता है, जीवन में नकारात्मकता आती है. इसी कारण होलाष्टक में विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, जनेऊ, और मुंडन जैसे संस्कारों पर रोक लग जाती है. यहां तक कि इन दिनों प्रॉपर्टी, गाड़ी एवं स्वर्णाभूषण आदि भी नहीं खरीदते. हिंदू शास्त्रों में उल्लेखित है कि ग्रहों की उग्रता शांत करने के लिए व्रत, कथा श्रवण तथा दान-धर्म करने से ग्रह शांत होते हैं. यह भी पढ़ें : Dolyatra 2024: कब और क्या है डोल यात्रा? जानें इसका सांस्कृतिक एवं पारंपरिक महत्व तथा अनुष्ठान विधि इत्यादि

होलाष्टक में किसकी पूजा करनी चाहिए?

ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार आठ दिनों तक चलने वाले होलाष्टक में भगवान विष्णु, हनुमानजी और भगवान नृसिंह जी की विधिवत पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही होली के पहले के इन आठ दिनों तक महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी शुभ फल देने वाला है, इसके साथ ही ग्रहों के हानिकारक अथवा नकारात्मक प्रभावों को भी कम करता है. यहां ध्यान देने की बात यह है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप किसी विशेषज्ञ पुरोहित से ही करवाना चाहिए, क्योंकि गलत मंत्रोच्चारण अथवा गलत विधि से भगवान शिव का अनुष्ठान करने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

होली का दिन क्यों शुभ मानते हैं?

होलाष्टक समाप्त होते ही ग्रहों की स्थिति सामान्य हो जाती है. भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार लेने तथा अधर्मी हिरण्यकश्यप के संहार को अधर्म पर धर्म की जीत स्वरूप माना जाता है. लोग भगवान विष्णु की जीत पर एक दूसरे पर रंग फेंक कर जश्न मनाते हैं.