World Malaria Day: हर साल 25 अप्रैल को मलेरिया (Malaria) पर नियंत्रण पाने के लिए ‘विश्व मलेरिया दिवस’ (world Malaria Day) मनाया जाता है. इसका मुख्य ध्येय मलेरिया के प्रति लोगों को सतर्क करते हुए मलेरिया ग्रस्त रोगियों की रक्षा करना है. मच्छरों से होनेवाली इस बीमारी की निरंतर बढ़ती संख्या को देखते हुए मई 2007 में 60 वें विश्व स्वास्थ्य सभा सत्र के दरम्यान इस दिवस को मनाने की आवश्यकता महसूस हुई. आज से तीन वर्ष पूर्व तक भारत मलेरिया ग्रस्त देशों में चौथे स्थान पर था, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों (Indian Scientists) और मलेरिया विशेषज्ञ चिकित्सकों के सतत प्रयास से यहां मरीजों की संख्या में कमी आई है.
भारत में मलेरिया के मरीजों का औसत
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2001 में भारत में मलेरिया के 20.9 लाख मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1,005 इस बीमारी की भेंट चढ़ गये. वहीं वर्ष 2014 में मलेरिया के 11 लाख मामले दर्ज हुए, जिसमें करीब 561 लोग मलेरिया के शिकार हो गये.
कैसे फैलता है मलेरिया?
अमूमन संक्रमित मादा एनोफेलीज मच्छरों के काटने से मलेरिया फैलता है. ये मच्छर जब किसी मलेरिया ग्रस्त मरीज को काटता है, तब उसके रक्त में उपस्थित प्लाज्मोडियम को अपने शरीर में शोषित कर लेता है. आठ से दस दिन के भीतर ये मच्छर मलेरिया फैलने में सक्षम हो जाते हैं. यह परजीवी लार रक्त वाहिनियों के रास्ते पूरे शरीर में फैल जाते हैं जिससे स्वस्थ से स्वस्थ व्यक्ति भी मलेरिया का शिकार बन जाता है.
दिखे ये लक्षण तो नजरंदाज न करें
मलेरिया के प्रमुख लक्षणों में मरीज को कंपकंपी के साथ तेज बुखार आता है. सिरदर्द, उल्टी और हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है. चक्कर और पसीना आता है. अगर इस तरह के लक्षण दिखें तो बिना वक्त गंवाए किसी अनुभवी चिकित्सक की सलाह लें. अच्छा होगा रक्त की भी जांच करवा लें. जरा-सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. यह भी पढ़ें: World Malaria Day 2019: अफ्रीका के इन देशों में बच्चों के लिए शुरू हुआ दुनिया का पहला मलेरिया टीका
क्या 2030 तक मलेरिया मुक्त हो सकेगा भारत
जहां तक भारत में मलेरिया निर्मूलन के लिए ठोस कदम की बात है तो केंद्र सरकार के नेतृत्व में हमारे वैज्ञानिक एवं चिकित्सकों ने 2030 तक भारत को पूरी तरह से मलेरिया मुक्त करने की योजना बनाई है. लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि मलेरिया की घातकता के लिए जिम्मेदार प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम के संक्रमण पिछले कुछ अर्सा में तेजी से बढ़े हैं. ऐसे में साल 2030 तक देश को मलेरियामुक्त करने के अभियान में बाधाएं खड़ी हो सकती हैं. लेकिन सतत प्रयास से असंभव कार्य भी पूरे हो जाते हैं.
भारतीय चिकित्सकों की उपलब्धियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में संपूर्ण विश्व मलेरिया के कुल मामलों में 80 फीसदी केस भारतीय उपमहाद्वीप में और 15 फीसदी अफ्रीकी देशों में पाये गये थे. इसके पश्चात भारतीय वैज्ञानिकों ने मलेरिया पर काफी शोध किये, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आये. इसका सुपरिणाम यह निकला कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2018 के रिपोर्ट में भारत के प्रयासो की प्रशंसा करते हुए बताया कि भारत एकमात्र ऐसा देश है. जिसने 2016 के मुकाबले 2017-18 में मलेरिया के मामलों में काफी कमी आयी है.