नई दिल्ली, 30 नवंबर : एक शोध में यह बात सामने आई है कि मलेरिया परजीवी जीनोम का विश्लेषण करने से मच्छर जनित घातक बीमारी के लिए नए और अधिक प्रभावी उपचार की शुरुआत हो सकती है. इससे ड्रग रेजिस्टेंस का अनुमान लगाने में भी मदद मिल सकती है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-सैन डिएगो के शोधकर्ताओं ने सैकड़ों मलेरिया परजीवियों के जीनोम का विश्लेषण किया. नए दृष्टिकोण ने उन्हें यह निर्धारित करने में मदद की है कि कौन से आनुवंशिक वेरिएंट दवा प्रतिरोध प्रदान करने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं.
यह वैज्ञानिकों को मशीन लर्निंग जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग कर मलेरिया-रोधी दवा प्रतिरोध का अनुमान लगाने में सक्षम करेगा. यूसी सैन डिएगो में प्रोफेसर एलिजाबेथ विन्ज़ेलर ने कहा, ''पहले किए गए शोधों में एक समय में केवल एक रासायनिक एजेंट को ही देखा जा सकता था. अब नए शोध 100 से अधिक यौगिकों में मलेरिया-रोधी दवा के प्रतिरोध को समझने के लिए एक रोडमैप तैयार करता है. जर्नल साइंस में प्रकाशित यह दृष्टिकोण अन्य संक्रामक रोगों, यहां तक कि कैंसर में उपचार प्रतिरोध की भविष्यवाणी करने में भी मदद कर सकता है. यह भी पढ़ें : संभल में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक 10 दिसंबर तक बढ़ाई
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमने जिन प्रतिरोधी जीनों का अध्ययन किया है, उनमें से कई विभिन्न प्रजातियों में संरक्षित हैं. मलेरिया दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करता है और यह अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका जैसे क्षेत्रों में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है. भले ही रोग को नियंत्रित करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, मगर यह मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण बना हुआ है.
इसका एक मुख्य कारण मलेरिया फैलाने वाले परजीवी प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के दवा-प्रतिरोधी उस्ट्रेन्स को फैलना है. इसने बार-बार पहली पंक्ति की दवाओं को अप्रभावी बना दिया है. अध्ययन के लिए टीम ने 724 मलेरिया परजीवियों के जीनोम का विश्लेषण किया जो प्रयोगशाला में 118 विभिन्न मलेरिया-रोधी यौगिकों में से एक का प्रतिरोध करने के लिए विकसित हुए थे. इसमें स्थापित उपचार और नए प्रयोगात्मक एजेंट दोनों शामिल थे. टीम ने दवा प्रतिरोध से जुड़े म्यूटेशन में पैटर्न की जांच की. इन जेनेटिक वेरिएंट्स की अनूठी विशेषताएं मिलीं.