World Anaesthesia Day 2019: अक्सर किसी मरीज (Patient) की सर्जरी (Surgery) से पहले डॉक्टर (Doctor) उसे एनेस्थीसिया (Anaesthesia) देकर बेहोश करते हैं. एनेस्थीसिया मेडिकल साइंस की वह महत्वपूर्ण शाखा है जो मरीज को अवचेतन अवस्था से निश्चेतन अवस्था में ले जाती है, जिससे सर्जरी के दौरान मरीज को दर्द का एहसास नहीं होता है. एनेस्थीसिया के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे यानी विश्व संज्ञाहरण दिवस (World Anaesthesia Day) मनाया जाता है. दरअसल, विलियम थॉमस ग्रीन मॉर्टन नाम के अमेरिकी दंत चिकित्सक ने पहली बार साल 1846 में शल्य चिकित्सा एनेस्थेटिक के रूप में इनहेल्ड ईथर के उपयोग को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया था.
एनेस्थीसिया का शाब्दिक अर्थ संवेदना की कमी होता है और इसके लिए जिन दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है उसे एनेस्थेटिक कहते हैं. एनेस्थेटिक का इस्तेमाल सर्जरी के दौरान शरीर के किसी भाग में संवेदना को सुन्न करने या मरीज को निश्चेतन अवस्था में ले जाने के लिए किया जाता है. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या है एनेस्थीसिया?
किसी गंभीर सर्जरी के दौरान मरीज को होने वाले दर्द के एहसास को कम करने के लिए कुछ दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे एनेस्थीसिया कहा जाता है. इसे इंजेक्शन या मुंह के जरिए वाष्प के रूप में भी दिया जा सकता है. एनेस्थीसिया देने के लिए एनेस्थीसिओलॉजिस्ट होते हैं. यह भी पढ़ें: World Spine Day 2019: रीढ़ की हड्डी से जुड़े विकारों के प्रति जागरूकता का दिन है वर्ल्ड स्पाइन डे, जानिए इस बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके
एनेस्थीसिया के प्रकार
एनेस्थीसिया के आमतौर पर दो प्रकार बताए जाते हैं लोकल एनेस्थेटिक और जनरल एनेस्थेटिक. इन दोनों के अलावा इसके कई और प्रकार भी हैं.
लोकल एनेस्थेटिक- इसकी मदद से मरीज के शरीर का कोई भाग सुन्न किया जाता है और मरीज पूरी तरह से होश में होता है. लोकल एनेस्थेटिक का इस्तेमाल आमतौर पर छोटी सर्जरी के दौरान किया जाता है.
जनरल एनेस्थेटिक- इसकी मदद से सर्जरी से पहले मरीज को पूरी तरह से बेहोश किया जाता है. जनरल एनेस्थेटिक के प्रभाव से मरीज को दर्द का एहसास नहीं होता है. इसका इस्तेमाल अक्सर गंभीर सर्जरी में किया जाता है.
रीजनल एनेस्थेटिक- इसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब मरीज के शरीर के किसी एक भाग में ज्यादा गहरी सुन्नता की जरूरत पड़ती है. इस लोकल एनेस्थेटिक को शरीर के किसी विशेष हिस्से को सुन्न करने और दर्द रोकने के लिए दिया जाता है.
एपीड्यूरल एनेस्थेटिक- इस एनेस्थेटिक का इस्तेमाल आमतौर पर शरीर के आधे निचले हिस्से को सुन्न करने के लिए किया जाता है. इसका उपयोग आमतौर पर प्रसव पीड़ा के दौरान दर्द निवारक के रुप में किया जाता है.
स्पाइनल एनेस्थेटिक- इस एनेस्थेटिक का इस्तेमाल शरीर के निचले हिस्से जैसे रीढ़ के आधार या पीठ के निचले हिस्से को सुन्न करने के लिए किया जाता है. इसका असर करीब 3 घंटे तक रहता है.
साइड इफेक्टस-
एनेस्थीसिया कई दवाओं से मिलकर बना होता है, ऐसे में कुछ लोगों पर इसका साइड इफेक्ट भी हो सकता है जैसे-
- उल्टी या जी मिचलाना.
- चक्कर आना.
- बेहोशी महसूस होना.
- अचानक ठंड लगना.
- कंपकंपी महसूस होना.
- सिरदर्द की शिकायत
- खुजली की परेशानी.
- पेशाब करने में दिक्कत.
- दर्द या पीड़ा का एहसास यह भी पढ़ें: World Arthritis Day 2019: गठिया रोग के प्रति जागरूकता लाने का दिन है वर्ल्ड आर्थराइटिस डे, जानें इस बीमारी के कारण, लक्षण और समाधान
हालांकि एनेस्थेटिक के साइड इफेक्ट्स लंबे समय तक नहीं रहते हैं और साइड इफेक्ट्स होने के बाद अगर जरूर पड़ी तो उपचार भी किया जाता है.
गौरतलब है कि एनेस्थीसिया देने से पहले एनेस्थीसिओलॉजिस्ट मरीज से बात करते हैं और उनसे उनकी हेल्थ हिस्ट्री और सेहत से जुड़े कुछ अहम सवाल करते हैं. जिससे एनेस्थीसियोलॉजिस्ट को अपने मरीज के लिए सबसे सुरक्षित दवा चुनने में मदद मिलती है. एनेस्थीसिया देने के बाद डॉक्टरों की टीम मरीज को पूरे समय निगरानी में रखते हैं और जब भी जरूरत पड़ती है वो मरीज की दवाइयों, सांस, तापमान और ब्लड प्रेशर को ठीक करते हैं.