Siddharth Shukla Passes Away: कम उम्र में ही युवा क्यों बन रहे हैं Heart Attack का शिकार? जानें ह्रदय रोग विशेषज्ञा क्या कहती हैं?
प्रतीकात्मक तस्वीर, (Photo credits: Pixabay)

Siddharth Shukla Passes Away: एक समय था जब दिल के दौरे का संबंध बुढ़ापे से जोड़ा जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से युवाओं में भी हार्ट अटैक (Heart Attack) की शिकायत देखने-सुनने को मिल रही है, जिसकी वजह से वे असमय मृत्यु के शिकार हो रहे हैं. लोकप्रिय अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला (Siddharth Shukla) की असमय मृत्यु इसी की एक कड़ी कही जा सकती है. इससे पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एन डी तिवारी के 40 वर्षीय युवा पुत्र रोहित शेखर तिवारी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो चुकी है. हाल ही में अभिनेत्री मंदिरा बेदी के 51 वर्षीय पति राज कौशल का भी हार्ट अटैक से निधन हो चुका है.

कम उम्र में हार्ट अटैक से होनेवाली मृत्यु हर किसी को चौंका रही है. आखिर क्या वजह है कि हार्ट अटैक अब युवाओं को भी अपनी चपेट में लेने लगा है? इस संदर्भ में हमारी बात मुंबई स्थित नानावटी अस्पताल की कार्डियोलॉजिस्ट (Cardiologist) डॉ लेखा आदिक पाठक (Lekha Adik Pathak) से हुई है. आइये जानें युवाओं में होने वाली हार्ट अटैक की घटनाओं के संदर्भ में वे क्या कहती हैं? यह भी पढ़ें: Sidharth Shukla Passes Away: सिद्धार्थ शुक्ला का हार्ट अटैक के चलते हुआ निधन, शोक में डूबी इंडस्ट्री

युवाओं में हार्ट अटैक के कारण

पिछले कुछ वर्षों में युवाओं में हार्ट अटैक की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. इस बात को डॉ लेखा पाठक भी स्वीकारती हैं. वे कहती हैं, -हां यह सच है और इसकी कई वजहें हैं. प्रथम तो है आनुवांशिक, यानी अगर माता-पिता में से किसी को यह बीमारी है तो वह अगली पीढ़ी को भी अपनी चपेट में ले सकती है और इसके ज्यादा शिकार युवा हो रहे हैं. इस पर नियंत्रण पाना फिलहाल आसान नहीं है. दूसरी अहम वजह है खान-पान के प्रति लापरवाही. आज बिजी लाइफ स्टाइल और भागदौड़ के कारण युवा समय पर और संतुलित आहार नहीं ले पाते, समयाभाव के कारण वे पूरी तरह से जंक फूड पर निर्भर होते जा रहे हैं. उनकी खाने की थाली में तली-भुनी चीजों के साथ चाइनीज फूड शामिल होते हैं, जिसकी वजह से शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है और इसका सीधा असर ब्लड वेसेल्स पर पड़ता है. इस वजह से कम उम्र में ही युवा ब्लड प्रेशर का शिकार बन जाते हैं.

डॉक्टर पाठक आगे बताती हैं, -आज के युवा व्यस्त शेड्यूल के कारण पर्याप्त नींद नहीं ले पाते. यह भी हार्ट अटैक का बड़ा कारण बन सकती है. पर्याप्त नींद नहीं लेने से सिर-दर्द, क्रोध, एकाग्र नहीं हो पाना जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. लंबे समय तक यही स्थिति बने रहने से हार्ट पर असर पड़ता है. एक स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम 7-8 घंटे अवश्य सोना चाहिए, वह भी समय पर.’

डॉक्टर पाठक युवाओं में बढ़ रही नशाखोरी पर भी चिंता व्यक्त करती हैं. वे बताती हैं, -इन दिनों कम उम्र में ही युवा वर्ग धूम्रपान एवं शराब का सेवन करना शुरु कर देते हैं. कुछ देखा-देखी तो कुछ विभिन्न तनावों से मुक्ति पाने के लिए ऐसा करते हैं. इन आदतों से ग्रस्त युवा कार्डियोवस्कुलर डिजीज के शिकार बन जाते हैं, यह एक गंभीर समस्या है. समय रहते इससे निजात नही पाया जाये तो यह हार्ट अटैक का कारण बन सकती है.’

डॉक्टर पाठक आगे बताती हैं, -इन दिनों युवा वर्ग विशेषकर सिनेमा जगत की सेलीब्रेटीज बॉडी बनाने के लिए घंटों जिम में पसीना बहाती हैं. अगर बात यहीं तक हो तो भी ठीक है, मगर इसके बाद हैवी न्यूट्रीशन लेने की जो सलाह उऩ्हें दी जाती है, उस चक्कर में वे स्टैरॉयड जैसी प्रोडक्ट भी इस्तेमाल करने लगते हैं. यह घातक है. क्योंकि यहीं से उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ने लगता है, जो असमय मृत्यु की वजह बन सकती है. यह भी पढ़ें: Sidharth Shukla Passes Away: देखिए सिद्धार्थ शुक्ला का आखिरी पोस्ट, किया था सभी का शुक्रिया अदा

कैसे बचें? 

डॉक्टर पाठक असमय हार्ट अटैक से बचने के लिए युवाओं को थोड़ा स्वार्थी बनने का सुझाव देती हैं. वे कहती हैं, -जीवन आपका है आप ही इसे बचा सकते हैं. अपनी सेहत के लिए थोड़ा स्वार्थी बनें, कुछ वक्त खुद को भी दें. अगर आप धूम्रपान अथवा अत्यधिक शराब का सेवन करते हैं तो इन्हें तत्काल छोड़ दें. अगर जिंदगी में आये तनाव या भागदौड़ के कारण ऐसा करते हैं तो सुबह-सवेरे व्यायाम करें. शाम के समय वॉकिंग पर जायें. इसे अपने लाइफस्टाइल में शुमार कर लें.

व्यायाम या योगा करने से रक्त संचार सुचारु रहता है. ऐसा करके आप ह्रदय संबंधी तमाम बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं, और अपनी अगली पीढ़ी से भी निश्चिंत हो सकते हैं. भोजन में प्रचुर मात्रा में फल और सब्जियों का सेवन करें. तली-भुनी अथवा जंक फूड से हमेशा के लिए दूरी बना लें. समय पर भोजन करें समय पर पूरी नींद लें. इसके साथ-साथ 30-35 से साल के बाद से ही अपने शरीर की कंपलीट जांच प्रत्येक वर्ष कराते रहें.