Black Fungus: भारत में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) की दूसरी लहर पर ब्रेक लगता दिख रहा है. कुछ दिन पूर्व आधिकारिक तौर पर हर 24 घंटे में 4 लाख से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव के मामले दर्ज हो रहे थे, आज यह संख्या 1 लाख के आसपास पहुंची है. विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना पॉजिटिव मामले उत्तरोत्तर रूप से घटते रहेंगे. हांलाकि अब ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की बढ़ती संख्या चिकित्सकों के लिए सिरदर्द बनी हई है, इसी दरम्यान सोशल मीडिया पर इस खबर ने लोगों को सांसत में डाल दिया है कि चिकेन का सेवन ब्लैक फंगस की मुख्य वजह है, क्या वाकई चिकेन के सेवन से ब्लैक फंगस हो सकता है? आइये जानें इस संदर्भ में दिल्ली के चिकित्सक डॉ जीतेंद्र सिंह क्या कहते हैं.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के क्रमशः कम होते असर के बीच एक और संक्रमण ब्लैक फंगस ने एक नया दहशत पैदा कर दिया है. दरअसल कोरोना से रिकवर होनेवाले बहुत से लोग ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस (Mucormycosis) की चपेट में आ रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे स्टेरॉयड एवं डायबिटीज तथा गंदे वातावरण को इसकी मुख्य वजह बता रहे हैं, लेकिन इसी दरम्यान सोशल मीडिया तेजी से वायरल हो रही खबर में दावा किया जा रहा है कि ब्लैक फंगस के संक्रमण की एक वजह चिकन भी है, लेकिन डॉ जीतेंद्र सिंह इसे बिना वजह भ्रमित किया जाने वाला अर्थहीन खबर मानते हैं. उनके अनुसार -चिकेन हो या मटन इसे अच्छी तरह पकाकर सेवन किया जाये, तो यह हानिकारक नहीं है, और अब तो सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने भी इसकी पुष्टि कर दी है कि यह एक फंगल इन्फेक्शन है, जो म्यूकर माइसेट्स नामक फफूंद यानी फंगस के समूह के कारण होता है. यह नाक और मुंह के रास्ते मरीज के शरीर में जाकर फेफड़ों से लेकर शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचाते हैं.’ यह भी पढ़ें: Black Fungus: दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, Mucormycosis को महामारी घोषित किया
वायरल हो रही खबर क्या है?
वायरल हो रही खबर में सचित्र यह दावा किया जा रहा है कि ब्लैक फंगस इन्फेक्शन चिकेन से फैल रहा है. इसी कारण पंजाब सरकार ने पोल्ट्री फार्म को इन्फेक्टेड एरिया घोषित किया है. दावे में कहा गया है कि फार्म चिकेन खाने के कारण ही ब्लैक फंगस फैल रहा है. इस खबर को अब तक हजारों लोग अपने वाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर शेयर कर चुके हैं.
हांलाकि यह दावा पूरी तरह से झूठा साबित हो चुका है. पीआईबी ने इससे जुड़ा एक फैक्ट चेक भी किया है. उसके अनुसार वायरल हो रही तस्वीर एडिट की गई है. वास्तव में यह खबर बर्ड फ्लू के संदर्भ में थी..
कैसे फैलता है ब्लैक फंगस?
डॉ जीतेंद्र सिंह के अनुसार फंगस तो हमारे वातावरण में है. जिसकी सेहत अच्छी होती है, उसे ये कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं, लेकिन कमजोर इम्युनिटी वालों पर ये अपना असर दिखाते हैं. डायबिटीज के जो मरीज स्टेरायड पर रहे हैं, या जिन्होंने आर्गन ट्रांसप्लांट कराया है, और कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती होते हैं, तो वहां के पर्यावरण में मौजूद फंगस उन्हें संक्रमित कर सकते हैं. इसके अलावा कोरोना संक्रमित जिस मरीज को लंबे समय तक ऑक्सीजन पर रखा जाता है, उसकी वजह से भी भी ये फंगल इन्फेक्शन फैला सकते हैं. कभी-कभी मास्क में नमी रहने से भी इस तरह के इन्फेक्शन का खतरा रहता है.
ये लक्षण ब्लैक फंगस के संकेत हो सकते हैं
ब्लैक फंगस के मुख्य लक्षणों में आंखों या नाक के आसपास लाली या काले होते धब्बे शामिल है. त्वचा पर इनके इन्फेक्शन से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं. इन्फेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है. कुछ मरीजों को आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, पेट दर्द, उल्टी या मिचली भी महसूस होती है. यह भी पढ़ें: Black Fungus: दिल्ली में ब्लैक फंगस के कुल 1044 मरीज, अब तक 92 हुए ठीक, 89 ने तोड़ा दम
कैसे बचें?
डॉ जीतेंद्र सिंह के अनुसार ब्लैक फंगस से बचने के लिए डायबिटीज पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है. बहुत इमर्जेंसी में ही स्टेरायड का इस्तेमाल करना चाहिए. ब्लैक फंगस के जरा भी संकेत मिलते ही किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर आवश्यक टेस्ट करवाकर दवा शुरु कर देनी चाहिए. इसमें किसी भी तरह की देरी मरीज के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने मन से अथवा किसी के कहने पर कोई औषधि लेना उचित नहीं होगा. इन सब समस्याओं से बचने के लिए वैक्सीन लगवाना समझदारी होगी.