Bird Flu Transmission: पढ़े इंसानों में कैसे होता ट्रांसमिट होता है एवियन इन्फ्लूएंज
बर्ड फ्लू (Photo Credits: PTI)

दुनिया भर के कई हिस्सों में समय-समय पर एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का प्रकोप देखने को मिलता है, जब इस वायरस से पक्षी और मुर्गियां मरने लगती हैं. आमतौर पर इसे बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है. यह एवियन (पक्षी) इन्फ्लूएंजा (फ्लू) टाइपए (Type-A) वायरस से संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी है. ये वायरस दुनिया भर में जंगली जलीय पक्षियों में स्वाभाविक रूप से पाए जाते हैं और घरेलू मुर्गी और अन्य पक्षियों और जानवरों की प्रजातियों को संक्रमित कर सकते हैं. एवियन फ्लू वायरस आम तौर पर मनुष्यों को संक्रमित नहीं करते हैं. हालांकि, एवियन फ्लू वायरस के साथ छिटपुट मानव संक्रमण हुआ है. यह वायरस एशिया (Asia), अफ्रीका (Africa), यूरोप (Europe), प्रशांत (Pacific), और पूर्व (East) में कुछ हिस्सों में लोगों की मौत का कारण बना है.

 

एवियन इन्फ्लूएंजा का मनुष्य पर प्रभाव

 

मनुष्य आमतौर पर एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस से डायरेक्ट प्रभावित नहीं होता है, हालांकि कुछ उपप्रकार जैसे कि ए(H5 N1) और ए(H7 N9), लोगों में गंभीर संक्रमण का कारण बने हैं. H7N3, H7N7, और H9N2 सहित अन्य एवियन इन्फ्लूएंजा उपप्रकार ने भी लोगों को संक्रमित किया है.

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क्या हैं लक्षण

 

एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (H5N1) बर्ड फ्लू के लक्षण सामान्य फ्लू जैसे होते हैं. जैसे सांस लेने में समस्या, उल्टी होने का एहसास, बुखार, नाक बहना, पेट के निचले हिस्से और सिर में दर्द रहना, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द के साथ कम श्वसन रोग (निमोनिया) पर अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता होती है. कुछ रोगियों को दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, सीने में दर्द और नाक और मसूड़ों से रक्तस्राव और कुछ में न्यूरोलॉजिकल परिवर्तन (परिवर्तित मानसिक स्थिति, दौरे) से पीड़ित हो सकते हैं.

 

कैसे होता है ट्रांसमिशन

 

संक्रमित पक्षी अपने लार, श्लेष्म और मल में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस बहाते हैं. जब उनके वायरस से अतिसंवेदनशील पक्षी संपर्क में आते हैं तो संक्रमित हो जाते हैं. वे उन सतहों के संपर्क के माध्यम से भी संक्रमित हो सकते हैं जो संक्रमित पक्षियों के वायरस से दूषित होते हैं.

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मनुष्यों में बीमार या मृत संक्रमित पक्षी या कुक्कुट के साथ सीधे निकट या लंबे समय तक संपर्क या मुर्गियों और संक्रमित पक्षियों के बेहद पास रहने से होती है. यह वायरस इंसानों में आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश करता है. एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस काफी खतरनाक होता है और यह इंसानों की जान तक ले सकता है. इसलिए डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि अगर बर्ड फ्लू का संक्रमण इलाके में फैला है तो नॉनवेज खरीदते वक्त साफ-सफाई रखें और संक्रमित एरिया में मास्क लगाकर ही जाएं. हालांकि अभी तक पाया गया है कि इन्फ्लूएंजा वायरस मानव को मानव में प्रेषित नहीं करता है.

 

सबसे पहले कहां से आया वायरस

 

वायरस का प्रकार एवियन इन्फ्लूएंजा ए (H5N1) अत्यधिक रोगजनक वायरस है. मनुष्यों में इसे पहली बार 1997 में पाया गया, जब चीन के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र हांगकांग में एक पोल्ट्री में इस वायरस का प्रकोप मिला. 2003 में इसके फिर से उभरने के बाद से, ए (H5N1) का प्रकोप एशिया, यूरोप और अफ्रीका में पोल्ट्री तक पहुंच गई. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 16 देशों की 846 प्रयोगशालों ने मानव में वायरस के मामलों की पुष्टि की. 2003 से 2016 तक एवियन इन्फ्लूएंजा ए (H5N1) वायरस मरने वालों की संख्या 449 थी. इन 16 देशों में से 4 दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में थे; बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया और थाईलैंड.

 

चीन (China) में पाया गया था वायरस

 

साल 2013 में 10 प्रयोगशाला ने चीन में मानव में एवियन इन्फ्लूएंजा के ए (H5N6) वायरस की पुष्टि की और इससे 6 मौतें भी हुई. उसी साल मार्च 2013 में, इन्फ्लूएंजा वायरस के एक उपप्रकार, ए (H7N9) का पहली बार चीन में मनुष्यों में पता चला था. इस बार कुल 722 प्रयोगशाला में ए (H7N9) वायरस के साथ मानव संक्रमण की पुष्टि की और इससे 286 मौतें हुई. एवियन इन्फ्लूएंजा के ही ए ((H9N2) वायरस का  28 प्रयोगशाला ने पुष्टि की. वैश्विक स्तर पर हल्के लक्षणों का भी पता चला.

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भारत में अब तक मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा का कोई मामला नहीं पाया गया है. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के तहत काम कर रहा एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम, भारत में एवियन इन्फ्लूएंजा की निगरानी रख रहा है. भारत कुछ राज्यों राजस्थान (Rajasthan), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) व हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) समेत कुछ अन्य राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं जिसके बाद अलर्ट जारी कर दिया गया है.