शरीर की कोशिकाओं (Cells) में एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस (SARS-COV-2 Virus) के प्रवेश को रोककर उसकी संक्रमण क्षमता को कम करके इसे निष्क्रिय करने के लिए वैज्ञानिकों (Scientists) ने एक अभिनव तंत्र (Innovative System) विकसित किया है. दरअसल, शोधकर्ताओं ने सश्लेषित पेप्टाइड्स के एक ऐसे नए वर्ग को डिजाइन किए जाने की सूचना दी है, जो न केवल कोशिकाओं में एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस के प्रवेश को रोक सकता है, बल्कि विषाणुओं (वायरस कणों) को भी एक साथ उलझा कर इस प्रकार जोड़ सकता है, जिससे उनकी संक्रमित करने की क्षमता कम हो सकती है. यह नया प्रयास एसएआरएस- सीओवी-2 जैसे वायरस को निष्क्रिय करने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था (तन्त्र) प्रदान करता है और पेप्टाइड्स के एक नए संभावित वर्ग को एंटीवायरल के रूप में सामने लाता है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक वैधानिक निकाय, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के कोविड -19 आईआरपीएचए कॉल के तहत इस अनुसंधान का समर्थन किया गया था.
विकसित (डिजाइन) किए गए पेप्टाइड्स सर्पिलाकार (हेलिकल) और हेयरपिन जैसे आकार में होते हैं और इनमे प्रत्येक अपनी तरह के दूसरे स्वरूप के साथ जुड़ने में सक्षम होते हैं, जिसे द्वितय (डाइमर) के रूप में जाना जाता है. प्रत्येक डाईमेरिक 'बंडल' दो लक्ष्य अणुओं के साथ परस्पर क्रिया के लिए दो सतहों (फेसेस) को प्रस्तुत करता है. नेचर केमिकल बायोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि दो सतहें दो अलग-अलग लक्ष्य प्रोटीनों से बंधी होंगी और चारों को एक जटिल संजाल में बाँधने के बाद लक्ष्य की कार्रवाई को अवरुद्ध कर देंगी.
शोधकर्ताओं की टीम ने मानव कोशिकाओं में एसएआरएस – सीओवी -2 रिसेप्टरों के एसएआरएस – सीओवी -2 के स्पाइक (एस) प्रोटीन और एसएआरएस – सीओवी -2 के एसीई 2 प्रोटीन के बीच परस्पर क्रिया को लक्षित करने के लिए एसआईएच -5 नामक पेप्टाइड का उपयोग करके अपनी परिकल्पना का परीक्षण करने का निर्णय लिया था.
एस प्रोटीन एक त्रितय (ट्राईमर) अर्थात - तीन समान पॉलीपेप्टाइड्स का एक परिसर है. प्रत्येक पॉलीपेप्टाइड में एक रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) होता है जो मेजबान सेल की सतह पर एसीई2 रिसेप्टर को बांधता है. यह अंतःक्रिया कोशिका में वायरल प्रवेश की सुविधा प्रदान करती है. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरा प्रेस रिलीज.
एसआईएच -5 पेप्टाइड को मानव एसीई2 के लिए आरबीडी के बंधन को अवरुद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया था. जब एक एसआईएच -5 डाईमर को किसी एस प्रोटीन का सामना करना पड़ता है तब उसकी एक सतह एस प्रोटीन ट्राईमर पर तीन आरबीडी में से एक से कसकर अटकी होती है और उसकी दूसरी सतह किसी भिन्न एस प्रोटीन सेइ आरबीडी से बंधी हुई होती है. इस परस्पर – आबद्धता (क्रॉस-लिंकिंग) ने एसआईएच -5 को एक ही समय में दोनों एस प्रोटीन को बाँधने (ब्लॉक करने) की अनुमति दे दी.
क्रायो-ईएम के तहत, एसआईएच -5 द्वारा लक्षित एस प्रोटीन एक सिर से दूसरे सिर के साथ जुड़ा हुआ दिख रहा होता है और स्पाइक प्रोटीन को आपस में डाईमर बनाने के लिए विवश कर देता है. इसके बाद शोधकर्ताओं ने दिखाया कि एसआईएच -5 ने विभिन्न वायरस कणों से स्पाइक प्रोटीन को क्रॉस-लिंक करके उस वायरस को कुशलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया था.
शोधकर्ताओं की इस टीम में भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के बी खत्री, आई प्रमाणिक, एसके मल्लादी, आरएस राजमणि, पी घोष, एन सेनगुप्ता, आर वरदराजन, एस दत्ता और जे चटर्जी, सीएसआईआर-सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान के आर रहीसुद्दीन, एस कुमार, एन कुमार, एस कुमारन शामिल आरपी रिंगे शामिल थे. इन्होंने प्रयोगशाला में स्तनधारी कोशिकाओं में विषाक्तता (टोक्सिसिटी) के लिए पेप्टाइड का परीक्षण किया और इसे सुरक्षित पाया.
जब हैम्स्टर्स को पेप्टाइड की खुराक के साथ जोड़ा गया और बाद में उसे एसएआरएस – सीओवी -2 की उच्च मात्रा के संपर्क में लाया गया, तब उन्होंने वायरल लोड में कमी के साथ-साथ फेफड़ों में बहुत कम सेल क्षति को प्रदर्शित किया, जो केवल वायरस के संपर्क में आने वाले हैम्स्टर्स की तुलना में एंटीवायरल के रूप में पेप्टाइड्स के वर्ग की इस संभाव्यता को उजागर करता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि मामूली से संशोधनों और पेप्टाइड इंजीनियरिंग के साथ यह लैब-निर्मित मिनीप्रोटीन अन्य प्रकार के प्रोटीन-प्रोटीन परस्पर अंतर्क्रिया (इंटरैक्शन) को भी रोक सकती है.