Coronavirus Health Update: दुनिया भर में इस वक्त ऐलोपैथिक, आयुर्वेदिक, आदि की कई दवाइयां बनायी जा रही हैं. लेकिन अभी कोरोना की कोई दवा नहीं आयी है जो वायरस को मार सके. नई दिल्ली (Delhi) के आरएमएल अस्पताल के डॉ. ए के वार्ष्णेय की मानें तो जो दवाइयां आ रही हैं वो कितनी कामयाब होंगी अभी इसका पता नहीं चला है. जहां तक आयुर्वेदिक दवाइयों का सवाल है, तो वो केवल इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए होती हैं. वायरस को नष्ट करने में कितनी कामयाब होती हैं, इसके कोई प्रमाण अभी तक नहीं मिले हैं. प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. वार्ष्णेय ने कहा कि कोरोना की दवाइयों को लेकर परीक्षण जारी हैं. हमारे देश के वैज्ञानिक भी पुरजोर कोशिश में हैं, कि जल्द से जल्द इसकी दवाई बन जाए.
कोरोना वायरस के अब तक के आए मामलों में ज्यादातर लोग कम लक्षण वाले हैं या एसिम्प्टोमेटिक हैं. जो कुछ ही दिन में अपने आप ठीक हो जाते हैं. ऐसे में भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में डेथ रेट भी काफी कम है. इस पर डॉ. वार्ष्णेय ने बताया कि देश में कोरोना (Coronavirus) मरीजों की ठीक होने की दर 55 प्रतिशत तक है. यह बहुत सकारात्मक है कि लोग रिकवर हो रहे हैं. भारत को लेकर जो अनुमान है, वो यह है कि कुल संक्रमितों में से 97 प्रतिशत लोग ठीक हो जाएंगे.
क्योंकि मृत्यु दर 3 प्रतिशत तक ही है. एक बार संक्रमण हो गया है तो ठीक होने में 2 से 4 हफ्ते लग जाते हैं. इस बीच कई और नए केस आते हैं इसलिए संक्रमण की संख्या ज्यादा लग रही है. लेकिन इसमें कई लोग हैं जो कुछ ही दिन में ठीक हो जाते हैं. कुल मिलाकर हमारे देश में संक्रमण से ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं.
बारिश के मौसम में कोरोना वायरस का कितना खतरा हैं?
बारिश में अगर भीग जाते हैं तो मास्क भी भीग जाएगा. ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए बारिश में बाहर आते-जाते समय थोड़ा सावधानी रखें. बारिश ये भी परेशानी होगी कि सामाम्य फ्लू और वायरस के फ्लू का पता करना इस तरह आसान नहीं होगा. भीगने से बचें और अपने साथ एक दो मास्क ज्यादा लेकर निकलें. इसके साथ ही बारिश में कई अन्य बीमारियां भी होती हैं. उनसे बचने के लिए इम्यूनिटी को बढ़ा कर रखना है ताकि मौसमी बीमारियां भी न लगें. बच्चे और बुजुर्ग खास तौर से भीगने से बचें.
क्या AC में कोरोना के संक्रमण का खतरा होता है?
अगर कोई घर में है और विंडो एसी लगा है और परिवार के लोग हैं, तो वायरस का कोई खतरा तब तक नहीं है, जब तक घर में कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं है. वहीं ऑफिस या बड़ी जगह में सेंट्रल एसी होता है. अगर वहां कोई संक्रमित है तो, छींक या खांसी से निकलने पर वायरस पूरे ऑफिस या उस जगह में घूमता रहता है. इसलिए वहां संक्रमित होने का खतरा है.
प्री सिम्प्टोमेटिक कैरियर क्या होता है?
जिस दिन कोई व्यक्ति संक्रमित होता है, उस दिन इनक्यूबेशन पीरियड शुरू हो जाता है. वायरस प्रवेश करने के बाद गले में मल्टीप्लाई होता है. अगर वह बढ़ेगा नहीं तो, व्यक्ति में लक्षण नहीं दिखेंगे. इस स्टेज में वायरस शरीर में रहता है लेकिन लक्षण नहीं दिखते हैं. लक्षण नहीं दिखने पर वो व्यक्ति मास्क नहीं लगाता है और इस बीच उसके मुंह से ड्रॉपलेट (droplets) बाहर आते हैं तो वह सामने वाले व्यक्ति को संक्रमित करेगा. ऐसे लोग प्री-सिम्प्टोमेटिक कैरियर होते हैं. अक्सर वायरस के शरीर में प्रवेश के करने के 3-4 दिन बाद ही लक्षण आते हैं, इसलिए तब तक वह व्यक्ति दूसरों के लिए कैरियर होता है. इसीलिए सभी को मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है.