Birth Control Oldest Methods: साल 1550 ईसा पूर्व मिस्त्र के एबरर्स एपीरस और 1850 ईसा पूर्व काहून पपीरस के पास बर्थ कंट्रोल के कुछ दस्तावेज मौजूद हैं. दस्तावेज के अनुसार शुक्राणु (Sperm) को योनि (Vagina) में प्रवेश से रोकने के लिए शहद, बबुल के पत्तों और लिंट के मिश्रण को योनि में प्रवेश कराया जाता था. ऐसा भी कहा जाता है कि प्राचीन ग्रीस में बर्थ कंट्रोल के लिए सिलफियम का उपयोग किया जाता था. हालांकि मध्ययुगीन युरोप में गर्भावस्था (Pregnancy) को रोकने के लिए किसी भी तरह के प्रयास को कैथोलिक चर्च द्वारा अनैतिक माना जाता था. यह अलग बात है कि महिलाओं ने बर्थ कंट्रोल (Birth Control) के हर संभव उपाय का इस्तेमाल किया. मध्य युग में महिलाओं के गर्भधारण को रोकने के लिए सेक्स के दौरान अपनी जांघों के आसपास अंडकोष टाई करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया. इसके अलावा खोजबीन के दौरान इंग्लैंड में डुडले कैसल के खंडहरों में प्राचीनतम कंडोम बरामद किये गये थे. जो पशुओं की आंतों से बने थे. तब इनका सबसे ज्यादा उपयोग अंग्रेजी गृहयुद्ध के दौरान यौन संचारित रोगों को फैलने से रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया. अलबत्ता 20वीं शताब्दी के तक आते-आते कंडोम (Condoms) आसानी से उपलब्ध होने लगा था.
बर्थ कंट्रोल और कानून
बर्थ कंट्रोल आंदोलन की शुरुआत 19वीं और 20 वीं सदी के प्रारंभ में हुई थी. थॉमस माल्थस के विचारों पर आधारित माल्थुसियन लीग की स्थापना 1877 में यूनाइटेड किंगडम में की गई थी, ताकि आम जनता को परिवार नियोजन के महत्व के बारे में शिक्षित किया जा सके. यह एनी बेसेंट और चार्ल्स ब्रैडलौग के नोल्टन परीक्षण के दौरान किया गया था, जिन पर बर्थ कंट्रोल के विभिन्न तरीकों को प्रकाशित करने के आरोप में मुकदमा चलाया गया था. संयुक्त राज्य अमेरिका में मार्गरेट सेंगर और ओटू बोबसीन ने 1914 में जन्म नियंत्रण वाक्यांश को लोकप्रिय बनाया. सेंगर मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में सक्रिय थे. 1930 के दशक तक उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा हासिल कर ली थी. उस समय Comstock (कॉम्सटॉक) कानून के तहत, जन्म नियंत्रण जानकारी का वितरण अथवा प्रसारण करना अवैध था. जन्म नियंत्रण जानकारियों को आम लोगों में वितरित करने के आरोप में उसे 1914 में गिरफ्तार किया गया और शीघ्र ही जमानत पर रिहा भी कर दिया गया. यह भी पढ़ें: वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्शन डे: जानें गर्भनिरोध के कुछ आसान और कारगर तरीके
साइट्रिक एसिड (Citric Acid)
कहा जाता है कि साइट्रिक एसिड में शुक्राणु नाशक गुण होते हैं. महिलाएं उन्हें अपनी योनि में डालने से पहले नींबू के रस में स्पंज से सोख लेती थीं. तलमुड में उल्लेखित है कि प्राचीनकाल में यहूदी समुदायों में जन्म नियंत्रण का एक लोकप्रिय तरीका था. कहा जाता है कि ग्रेट कैसानोवा ने अपने प्रेमियों में आधा नींबू का छिलका एक आदिम ग्रीवा कैप या डायाफ्रॉम के रूप में डाला था. बचे हुए नींबू का रस शुक्राणु का सफाया करता था.
पेनीरॉयल (Pennyroyal)
पेनीरॉयल एक पौधा है, जिसमें से पुदीना जैसी खुशबू आती है. प्राचीन यूनानियों और रोमनों ने इसे एक खाना पकाने की जड़ी बूटी और शराब में एक स्वादिष्ट घटक के रूप में इस्तेमाल किया. उन्होंने मासिक धर्म और गर्भपात के लिए प्रेरित करने के लिए पेनीरॉयल चाय भी पी. चाय का बहुत ज्यादा अत्यधिक इस्तेमाल करने से यह विषाक्त हो सकता है, अथवा शरीर का कोई हिस्सा भी प्रभावित हो सकता है.
कपास (Cotton)
बर्थ कंट्रोल के लिए कपास का उपयोग के सबूत उन साइटों पर पाये गये, जहां कपास के धागे तांबे के मोतियों में संरक्षित थे. इन खोजों को नवपाषाण युग (5000 से 6000 ईसा पूर्व) का माना जाता है. महिलाओं को सलाह दी जाती थी कि खजूर, बबूल के पेड़ की छाल और शहद का पेस्ट बनाकर सीड वुल में डालकर उसे पेसरी के रूप में योनि में डालें. यह वही कपास था, जिसने जन्म नियंत्रण के रूप में इसके प्रभाव को बढ़ावा दिया. जिन दिनों अमेरिका गुलाम था, उस समय महिलाएं गर्भ रोकने के लिए कपास की जड़ों को चबाती थीं. कपास की जड़ और छाल में ऐसे पदार्थ होते हैं, जो कॉपर्स ल्यूटियम में हस्तक्षेप करते हैं. कॉपर्स ल्यूटियम प्रोजेस्टेरॉन को निषेचित अंडों के प्रत्यारोपण के लिए गर्भाशय में स्त्राव करता है. कॉपर्स ल्युटियम के कार्यों को बाधित कर कपास रूट छाल प्रोजेस्टेरॉन उत्पादन को रोकता है, जिसके बिना गर्भाधारण जारी नहीं रह सकता. यह भी पढ़ें: महिलाओं को मिलेगा गर्भ निरोधक गोलियों से छुटकारा, अब पुरुष लेंगे बर्थ कंट्रोल का जिम्मा
पपीता (Papaya)
दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में, गर्भावस्था को रोकने या खत्म करने के लिए कच्चे पपीते का इस्तेमाल किया जाता था. अगर पपीता एक बार पक जाता है तो इसमें फाइटोकेमिकल्स खत्म करते हैं, जो वस्तुतः प्रोजेस्टेरॉन में हस्तक्षेप करता है. इस तरह वह इसके गर्भनिरोधक और गर्भपात के गुणों को डिस्टर्ब करता है. पपीते के बीज वास्तव में पुरु, गर्भनिरोधक के रूप में काम कर सकते हैं. पपीते के बीज रोजाना लेने से पुरुष के शुक्राणु को कम कर सकता है. दीर्घकाल के लिए यह एक सुरक्षित तरीका हो सकता है. इसके विपरीत पुरुष जब पपीता के बीज लेना बंद कर देता है तो उसके शुक्राणु सामान्य रूप से बनने लगते हैं.
पारा (Mercury)
प्राचीन अस्स्युरियन और इजिप्शियनों से लेकर ग्रीक तक के लोगों के लिए दुनिया भर में पारा औषधीय गुणों वाला माना जाता है. इसका इस्तेमाल त्वचा पर पड़े चकत्तों के इलाज के लिए किया जाता था. प्राचीन चीन में महिलाओं को गर्भावस्था से बचाने के लिए गर्म पारा पीने की सलाह दी जाती थी, इससे किसी महिला के शरीर अंदरूनी हिस्सों को समझने के लिए ठीक था, लेकिन गर्भधारण के लिए नहीं. वस्तुतः यह गर्भनिरोधक के रूप में कार्य करता है. हालांकि पारा बहुत विषैला तत्व है, यह किडनी, फेफड़ों और मस्तिष्क को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाता है, जिसकी वजह से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.