जर्मनी में नहीं मिल रहे मकान, बढ़ गया है किराया
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में घर की समस्या बढ़ती जा रही है. नए मकान बनने की गति धीमी है और उसकी तुलना में मांग बहुत ज्यादा है. ऐसे में मकानों का किराया खूब बढ़ रहा है. घर खरीदने और बेचने वाले भी कई वजहों से परेशान हैं.कई जर्मन शहरों में मकान के किराए इस साल भी बढ़ गए हैं. दूसरी तरफ मकान बनाने लायक जमीन के प्लॉट, घर और जिन अपार्टमेंट में मालिक खुद रहते हैं उनकी कीमतें घट गई हैं. जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च, डीआईडब्ल्यू के किए विश्लेषण में यह बात सामने आई है. जर्मन अर्थव्यवस्था कई मुश्किलों से जूझ रही है, उसमें एक मसला लोगों के लिए घर जुटाने का भी है.

2024 में मकान का किराया 4 फीसदी बढ़ा. अगर 2010 से तुलना करें तो इतने सालों में केवल मकान किराया 64 फीसदी बढ़ा है. इसमें बिजली, पानी और दूसरी सुविधाओं के खर्च को शामिल नहीं किया गया है. दूसरी तरफ फ्लैट और कुछ दूसरी तरह के मकान या संपत्ति खरीदने वालों ने कीमतों में लगभग पांच फीसदी की कमी देखी है. ये आंकड़े जर्मनी के 150 से ज्यादा शहरों में रियल एस्टेट एसोसिएशन से खरीदने और किराए के लिए हुए लेन देन से मिले हैं. इस विश्लेषण में कुछ हजार की आबादी वाले छोटे टाउन से बड़े शहरों तक को शामिल किया गया.

जर्मनी में घर के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लोग

बहुत कम ही मकान खाली

हालांकि मकान की कीमतें साल के मध्य से ही बढ़ रही हैं. इसकी वजह मुख्य रूप से ब्याज दरों का कम होना और बढ़ती आबादी के कारण मकानों की ऊंची मांग का होना है. इतना ही नहीं नए मकानों का कम बनना भी इसकी एक बड़ी वजह है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मकान की कमी है, इसका पता "खाली मकानों की ऐतिहासिक रूप से कम दर" से भी पता चल जाता है. खाली मकानों की दर 2022 के बाद से ही औसतन 2.5 फीसदी से नीचे है. बड़े शहरों में तो हालात और भी बुरे हैं. मसलन बर्लिन में खाली मकान की दर 1 फीसदी है. घर का बाजार मुश्किल में है, यह तब माना जाता है जब खाली मकानों की दर 3 फीसदी से नीचे होती है.

जर्मनी की युवतियों पर बेघर होने का खतरा ज्यादा

बढ़ती ब्याज दरों की वजह से जर्मनी में लंबे समय तक चला प्रॉपर्टी बूम 2022 में रुक गया. डीआईडब्ल्यू के मुताबिक स्वतंत्र मकानों की कीमत खासतौर से बहुत तेजी से गिरी, इसके बाद मकान बनाने के लिए जमीन के प्लॉट और मालिकों के रहने वाले फ्लैट का नंबर है.

बड़े शहरों में रियल एस्टेट और जमीन के प्लॉट की कीमत ज्यादा गिरी है. यहां औसत रूप से कीमतें 13 फीसदी तक घटी हैं. स्वतंत्र मकानों और कुछ जगहों पर तो यह 16 फीसदी तक नीचे गई है. हालांकि इस गिरावट के बावजूद जमीन के प्लॉट, स्वतंत्र मकान और छत वाले घर पूरे देश में औसत रूप से बूम पीरियड शुरू होने के समय से लगभग दोगुने महंगे हैं. इसी तरह मकान मालिकों के निवास वाले फ्लैट करीब 117 फीसदी ज्यादा महंगे हैं.

मांग और आपूर्ति की समस्या

मकानों की बढ़ती मांग और घटती आपूर्ति इसका प्रमुख कारण है. डीआईडब्ल्यू के अर्थ शास्त्री माल्टे रीथ का कहना है, "तात्कालिक रूप से गिरती कीमतें यह सच्चाई नहीं छुपा सकतीं कि घरों की कमी असल समस्या है." 2023 में तीन लाख से कम नए घर बने और इस साल के पूर्वानुमान भी कोई उम्मीद नहीं जगा रहे हैं.

नए मकानों का निर्माण जर्मनी में बीते सालों में कई वजहों से धीमा पड़ा है खासतौर से मांग के मुकाबले. इसमें ऊंची ब्याज दर, मजदूरों की कमी और निर्माण से जुड़े नियमों का खास योगदान है. दूसरी तरफ आप्रवासियों और शरणार्थियों की बढ़ी संख्या ने मौजूदा बुनियादी ढांचे पर बोझ बढ़ा दिया है.

रीथ का कहना है, "नई संघीय सरकार को अपने एजेंडे में इस मुद्दे को तुरंत शामिल करना चाहिए कि सार्वजनिक निर्माण और प्रक्रियाओं तथा नियमों को सरल बना कर इसका सामना किया जाएगा."

इसी साल सरकार ने बिल्डरों और इस सेक्टर से जुड़े अन्य पक्षों की एक बैठक बुला कर समाधान की दिशा में काम करने पर जोर दिया था. हालांकि इसके नतीजे जमीन पर दिखाई दें इसमें समय लगेगा. इस बीच अब सरकार भी गिर चुकी है और 2025 के फरवरी में नई सरकार के लिए चुनाव होने के आसार हैं.

एनआर/वीके (डीपीए)