Gujarati New Year 2022: कब हैं गुजराती नववर्ष? जानें इसका महत्व, तिथि एवं धार्मिक अनुष्ठान के नियम!
नव वर्ष 2022 (Photo Credits: File Image)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार बड़ी दीवाली के अगले दिन यानी कार्तिक मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन गुजराती नववर्ष मनाया जाता है. इसके साथ ही गुजराती विक्रम संवत 2076 शुरू हो जायेगा. इस नव वर्ष को ‘बेसातु बारस’ या ‘बेस्टु वरासी’ के नाम से भी मनाया जाता है. चूंकि अधिकांश गुजराती व्यवसाय को प्रमुखता देते हुए किसी ना किसी व्यवसाय से जुड़े होते हैं, इसलिए नववर्ष पर वह अपना पुराना बहीखाता बंद कर नये बही खाते की शुरुआत करते हैं. गुजराती संस्कृति में बहीखाता को चोपड़ा कहते हैं. इस दिन गुजराती व्यवसायी लक्ष्मी जी के साथ अपने नये चोपड़े की भी पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यवसाय में लाभ की वृद्धि होती है. गौरतलब है कि इस वर्ष गुजराती नववर्ष 25 अक्टूबर के दिन मनाया जायेगा. आइये जानें किसी भी गुजराती भाषी के लिए इस दिन का क्या महत्व है, तथा वे इसे किस तरह सेलिब्रेट करते हैं.

चंद्र चक्र पर आधारित पंचांग के अनुसार गुजरात में कार्तिक साल का पहला महीना होता है, और इसी कार्तिक मास की प्रतिपदा गुजराती नववर्ष का पहला दिन भी होता है, इसलिए इस दिन को वित्तीय नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है. गौरतलब है कि इसी दिन से नया विक्रम संवत 2078 भी शुरू हो जायेगा.

गुजराती नववर्ष का इतिहास महत्व

मान्यता है कि एक बार श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों द्वारा इंद्र की पूजा-प्रार्थना करते देख कर कहा कि उनके जीवन यापन में इंद्र की नहीं उनके खेतों और मवेशियों की बड़ी भूमिका है. उन्होंने कहा, गोकुलवासी इंद्र की नहीं गोवर्धन और गाय की पूजा करें. वही उनके सच्चे पालक हैं. गोकुल वासी इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन और गाय की पूजा करने लगे. यह देख इंद्र क्रोधित होकर गोकुल पर अतिवृष्ट करने लगे. इससे गोकुल में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी. श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ट उंगली पर उठाकर सारे गोकुल वासियों को उसी छांव में बुला लिया. अंततः इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ, उन्होंने श्रीकृष्ण से छमा याचना की. तभी से गोवर्धन की पूजा करते हुए इस दिन को नववर्ष के रूप में मनाने का सिलसिला शुरू हुआ. गोवर्धन पूजा की रीति-रिवाज के साथ'गुजराती नवा वर्ष' के स्वागत के रूप में किया जाने लगा.

गुजराती नव वर्ष तिथि एवं शुभ मुहूर्त

प्रतिपदा प्रारंभः 04.18 PM (25 अक्टूबर 2022,मंगलवार) से

प्रतिपदा समाप्तः 02.42 PM (26 अक्टूबर 2022,बुधवार) तक

सुबह का मुहूर्तः (लाभ, अमृता) 06.41 AM से 09.32 AM, (26 अक्टूबर 2022) तक

सुबह का मुहूर्तः (शुभा)        10.58 AM, से 12.23 PM (26 अक्टूबर 2022) तक

दोपहर का मुहूर्तः (चारा, लाभ)  03.15 PM  से  06.06 PM (26 अक्टूबर, 2022) तक

बेस्टु वरासी (नववर्ष) के लिए अनुष्ठान?

चूंकि गुजराती समाज के लोग ज्यादातर व्यवसायी प्रवृत्ति के होते हैं, इसलिए यह दिन उनके लिए विशेष मायने रखता है. इस दिन गुजराती व्यवसायी पुराने चोपड़ा को समाप्त कर नये चोपड़ा का श्रीगणेश करते हैं. इसकी पूजा अनुष्ठान के दौरान चोपड़े पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उस पर रोली और अक्षत छिड़कते हैं. फिर शुभ-लाभ लिखते हैं, मान्यता अनुसार विशुद्ध भक्ति और सच्ची आस्था के साथ इस दिन माँ लक्ष्मी और चोपड़ा की पूजा एवं प्रार्थना करने से नया साल अधिक व्यावसायिक रूप से बहुत समृद्धशाली और लाभकारी साबित होता है. इसी दिन परिवार में गोवर्धन पूजा भी धूमधाम से मनाया जाता है, और गुजराती समाज एक दूसरे को नववर्ष के तोहफों के साथ बधाइयां देते हैं.