Goa Liberation Day 2021: अपने नैसर्गिक सौंदर्य के कारण आक्रमण-दर-आक्रमण सहता रहा गोवा? जानें गोवा की संघर्ष एवं पूर्ण आजादी की गाथा!
गोवा मुक्ति दिवस (Photo Credits: File Photo)

19 दिसंबर का दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में स्‍वर्णाक्षरों में दर्ज है, क्योंकि 451 वर्ष के बाद इसी दिन भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव को पुर्तगालियों के कब्जे से छुड़वा अखंड भारत का हिस्सा बनाया था. कम ही लोग जानते होंगे कि 15 अगस्त 1947 को भारतीयों स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत को देश से खदेड़ कर आजादी हासिल की थी, यहाँ तक कि हैदराबाद, जम्मू कश्मीर और जूनागढ़ तक को थोड़ी कोशिशों के बाद हासिल कर लिया था, लेकिन गोवा पर उस समय भी भारत का नहीं बल्कि पुर्तगालियों का कब्जा था. लेकिन आजादी के 14 वर्ष बाद अंतत: 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से छुड़ाने में सफल रही. इसके बाद से ही इस दिन ‘गोवा मुक्ति दिवस’ मनाया जाता है. आखिर क्या है गोवा का इतिहास एवं संघर्ष? और क्यों इतने सालों बाद उसे आजादी दिला सकी भारत सरकार?

गोवाः आक्रमण-दर-आक्रमण

गोवा को नैसर्गिक सौंदर्य प्राप्त है, और संभवतया यही वजह है कि अधिकांश शासक गोवा को अपने कब्जे में लेने के लिए इस पर हमले और कब्जा करते रहे हैं. गोवा की कहानी शुरु होती है तीसरी सदी ईसा पूर्व मौर्य वंश के आधिपत्य और शासन से. इसके बाद गोवा पर कोल्हापुर के सातवाहन वंश के शासकों ने कब्जा किया, तत्पश्चात बादामी के चालुक्य शासकों ने गोवा पर आक्रमण कर अपना आधिपत्य जमाया. वे 170 साल यहां काबिज रहे. 1312 में दिल्ली सल्तनत ने इसे अपने नियंत्रण में लिया, लेकिन जल्दी ही हरिहर-1 ने गोवा पर कब्जा कर लिया. वे गोवा की खूबसूरती के दीवाने थे. हरिहर-1 ने सौ साल तक यहां शासन किया. 1469 में गुलबर्ग के बहामी सुल्तान ने गोवा पर आक्रमण कर सत्ता जमाया. बहामी शासकों पर आक्रमण कर बीजापुर शासक मोहम्मद आदिल शाह ने इसपर कब्जा किया. उसने गोवा को अपनी दूसरी राजधानी घोषित किया.

इस तरह गोवा पुर्तगालियों के कब्जे में आया

मोहम्मद आदिल शाह की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए मार्च 1510 में अलफांसो द अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों आसानी से गोवा पर आक्रमण कर अपने कब्जे में ले लिया. हांलाकि आदिल ने पुर्तगालियों को गोवा से खदेड़ने की कोशिश की, मगर तब तक काफी देर हो चुकी थी. अलफांसो की सशक्त सेना और सुनियोजित साजिश के आगे आदिल को पराजय स्वीकार करनी पड़ी. उसने एक हिंदू तिमोजा को गोवा का प्रशासक बनाया. 25 सालों में गोवा का काफी विकास हुआ. साल 1809 में नैपोलियन ने पुनः गोवा को पुर्तगालियों से छुड़ाकर उस पर कब्जा किया. बाद में एंग्लो पुर्तगाली गठबंधन में 1875 से 1947 तक ब्रिटिश हुकूमत का ही इस पर शासन था.

आजादी के बाद भी क्यों नहीं मिला गोवा भारत को?

साल 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र भारत एवं ब्रिटिश हुकूमत के बीच भारतीय क्षेत्रों के बंटवारे के दरम्यान भारत ने गोवा को भारत के अधिकार में रखने का प्रस्ताव रखा, लेकिन उसी समय पुर्तगालियों ने गोवा पर अपने अधिकार की बात रखी. गोवा और ब्रिटिश हुकूमत के बीच बेहतर रिश्ते को प्रमुखता देते हुए अंग्रेजों ने गोवा को पुनः पुर्तगालियों को सौंप दिया. अंग्रेजों का आधारहीन तर्क था कि गोवा पर पुर्तगालियों के अधिकार के समय भारत में गणराज्य स्थापित नहीं था. यह भी पढ़ें : Annapurna Jayanti 2021 Greetings: अन्नपूर्णा जयंती की इन WhatsApp Messages, HD Images, SMS, Quotes, Wishes के जरिए दें शुभकामनाएं

इस तरह गोवा हुआ भारत का!

गोवा को भारत से बाहर रखने का ब्रिटिश षड़यंत्र नवगठित भारत सरकार को रास नहीं आया था. लेकिन वक्त की नजाकत को देखते हुए सभी खामोश थे. भारत में गणतंत्र स्थापना के कुछ सालों के बाद भारतीय रक्षामंत्री कृष्ण मेनन ने पुर्तगालियों से भारत छोड़ने की अपील की, लेकिन पुर्तगाली प्रशासन किसी भी कीमत पर झुकने या हटने को तैयार नहीं थे. इसके पूर्व कि भारत सरकार कोई कठोर कदम उठाती 1954 में गोवा के राष्ट्रवादियों ने दादर और नगर हवेली पर कब्जा कर भारत सरकार के समर्थन से प्रशासन की स्थापना की. भारत सरकार के पास यही सुनहरा अवसर था. 1961 में गोवा पर आक्रमण कर दिया. इसके लिए मेजर जनरल केपी कैंडेथ को 17 इन्फैंट्री डिवीजन और 50 पैरा बिग्रेड का अधिकार सौंपा. 2 दिसंबर को भारतीय सेना द्वारा गोवा मुक्ति अभियान शुरु किया गया. इंडियन एयर फोर्स ने 8 और 9 दिसंबर को पुर्तगालियों के ठिकाने पर जमकर बमबारी की. बचने का कोई रास्ता नहीं मिलते देख गोवा के तत्कालीन गवर्नर मेन्यू वासलो डि-सिल्वा ने भारतीय सेना के सामने आत्म समर्पण कर समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये. इस तरह भारत सरकार ने गोवा को भारतीय गणराज्य का 25वां राज्य घोषित किया गया.