भारत के पूर्व राष्ट्रपति वी.वी. गिरी की पुण्यतिथि आज
पूर्व राष्ट्रपति वी.वी.गिरी ( Photo Credits : Wikimedia Commons)

भारत के पूर्व राष्ट्रपति वी.वी.गिरी (President V.V.Giri) की आज पुण्यतिथि है. वे देश के चौथे राष्ट्रपति थे. वी.वी. गिरी का पूरा नाम वराहगिरी वेंकट गिरी था. उन्होंने श्रमिकों के कल्याण के लिए तत्परता से कार्य किया. श्रमिक आंदोलनों में भाग लिया. इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय आंदोलनों में भी उनकी सशक्त भागीदारी थी. राष्ट्रपति का पद,भारत का सर्वोच्च संवैधानिक पद है. श्रमिक नेता से लेकर इस राष्ट्रपति पद तक का सफर तय करने वाले, वी.वी. गिरी की जीवन यात्रा का परिचय पाते हैं.

उड़ीसा में जन्मे वी.वी. गिरी

वराहगिरी वेंकटगिरी का जन्म ओडिशा के गंजम जिले के ब्रह्मपुर के एक ग्राम हुआ था. उनके पिता का नाम वी.वी. जोगिया पंतुलु था. वे एक सफल वकील और प्रसिद्ध राजनीतिक कार्यकर्ता थे. वी.वी. गिरी की माता ने भी असहयोग आंदोलन में महती भूमिका निभाई थी. वेंकटगिरी की प्रारंभिक शिक्षा बेहरामपुर में हुई. वर्ष 1913 में कानून की पढ़ाई करने के लिए वे आयरलैंड गये. वहां एक कॉलेज में प्रवेश लिया. वर्ष 1916 में उन्होंने आयरलैंड के ही एक आंदोलन में भाग लिया, जो श्रमिक अधिकारों पर केंद्रित था. इस आंदोलन में सक्रिय होने के कारण, उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया.

श्रमिक आंदोलनों के अगुआ रहे वेंकटगिरी

भारत लौटने के बाद वी.वी. गिरी, श्रमिक से संगठनों में सक्रिय हो गए. उन्होंने श्रमिक आंदोलनों में भाग लिया. वे श्रमिक से संगठन के महासचिव चुने गए. वर्ष 1922 तक वी.वी. गिरि श्रमिकों के हित में काम करने वाले, एन.एम. जोशी के एक विश्वसनीय सहयोगी बन गए. उन्होंने मजदूर वर्ग की भलाई के लिए, कार्य कर रहे संगठनों के साथ खुद को जोड़ा. ट्रेड यूनियन आंदोलन के लिए अपनी प्रतिबद्धता और मेहनत के कारण, वे आल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष निर्वाचित किए गए. 1937-39 और 1946-47 के बीच वो मद्रास सरकार में श्रम, उद्योग, सहकारिता और वाणिज्य विभागों के मंत्री रहे. उसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे जेल भी गए. यह भी पढ़ें : Kabir Das Jayanti 2021 HD Images: संत कबीर दास जी के इन प्यारे WhatsApp Status, GIF Greetings, Photo SMS, Wallpapers के जरिए दें बधाई

स्वतंत्र भारत में गिरी की राजनीतिक यात्रा

भारत की स्वतंत्रता के बाद वी.वी. गिरि को उच्चायुक्त के रूप में सीलोन (श्रीलंका) भेजा गया. वहाँ अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद, वे भारत लौट आए. प्रथम लोकसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई और वे संसद पहुंचे. वे श्रम मंत्री बनाए गए, हालांकि बाद में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया. वे विभिन्न प्रदेशों के राज्यपाल भी रहे. इनमें उत्तर प्रदेश, केरल, मैसूर शामिल है. विभिन्न पदों पर रहते हुए भी उन्होंने कामगार वर्ग के कल्याण के लिए विभिन्न प्रयास किए.

जब गिरी बने देश के चौथे राष्ट्रपति

राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद चुनाव हुए. वी.वी. गिरी ने राष्ट्रपति पद के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा था. वे चुनाव में विजयी भी हुए और इस तरह भारत के चौथे राष्ट्रपति बने. उन्हें श्रमिकों के उत्थान और देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. 85 वर्ष की उम्र, 24 जून 1980 को में वी.वी. गिरी का मद्रास में निधन हो गया. वे अच्छे लेखक और वक्ता भी थे. उन्होंने भारतीय उद्योग और औद्योगिक समस्याओं से संबंधित किताब भी लिखी थी. भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में टिकट भी जारी किया था. श्रमिक कल्याण के लिए कार्य करने वाले राष्ट्रपति वी.वी. गिरी सदैव याद किए जाएंगे.