
Mokshada Ekadashi Puja Vidhi: मार्गशीर्ष/अगहन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (ग्यारहवें दिन) का बहुत महत्व है. मार्गशीर्ष की मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के महात्म्य के बारे में बताया था. मोक्षदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी के रूप में जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि वैकुंठ (वैकुंठ द्वार), भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के धाम के दरवाजे इस दिन खुले रहते हैं. इसके अलावा जो लोग मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं (मोक्ष- जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के दुष्चक्र से छुटकारा) और अपने पापों से छुटकारा पाना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, इसलिए इसका नाम मोक्षदा है. इसके लिए भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और पूजा करते हैं, इसके बाद अगले दिन व्रत का पारण करते हैं. जानें मोक्षदा एकादशी व्रत का मुहूर्त और पूजन विधि.
मोक्षदा एकादशी व्रत का मुहूर्त:-
एकादशी तिथि प्रारंभ- 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 25 दिसंबर को देर रात 1 बजकर 54 मिनट तक
जानें क्या है वैकुंठ एकादशी पूजा विधान:-
एकादशी व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है. एकादशी का व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही आरंभ हो जाता है और द्वादशी तिथि को व्रत के पारण के बाद ही व्रत समाप्त होता है. इस व्रत में नियमों का पालन करना चाहिए. 25 दिसंबर को एकादशी की तिथि पर व्रत आरंभ करने से पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए. स्नान के लिए लोग गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, लेकिन यह संभव न हो तो, पानी में गंगाजल मिलकर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद, साफ कपड़ा पहनें. पूजा स्थल को गंगाजल को छिड़क कर पवित्र करें और भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद भगवान को रोली, चंदन, अक्षत आदि अर्पित करें. अपने घर के मंदिर क्षेत्र में एक तेल का दीपक जलाएं और ध्यान (ध्यान) करें. इस दिन पीले फूलों से श्रृंगार करने के बाद भगवान को भोग लगाएं.
ओम नमो भगवते वासुदेवाय- मंत्र का जप करें.
विष्णु भगवान को तुलसी के पत्ते चढ़ाएं. भगवान विष्णु का आह्वान करें और उनका आशीर्वाद लें. इसके उपरांत भगवान गणेश जी, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें. जल, चंदन का लेप, सिंदूर, कच्चे चावल को हल्दी (अक्षत), प्राकृतिक गंध, फूल, तुलसी के पत्ते, धूप, दीप से अर्पित करें. आप खीर या हलवा या कोई और मिठाई तैयार कर भगवान विष्णु को भोग लगाएं. आप फल, पान और सुपारी और दक्षिणा में भूसी के साथ एक भूरे रंग का नारियल भी चढ़ा सकते हैं.