World Music Day 2021: भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार संगीत का चमत्कार सृष्टि के निर्माण के समय ही देख लिया गया था. भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण का कार्य पूरा करने के बाद महसूस किया कि प्रकृति कहीं कुछ अधूरा रह गया है. तब विष्णु जी ने ब्रह्मा से कहा कि वह अपने कमंडल से जल की कुछ बूंदें पृथ्वी पर छिड़कें. ब्रह्मा द्वारा ऐसा करते ही हाथों में वीणा लिये माता सरस्वती प्रकट हुईं. सरस्वती ने ज्यों ही वीणा के तारों को झंकृत किया, पूरी प्रकृति में मानो जान आ गयी. झरनों से कल-कल की ध्वनि, कोयल की कू कू पत्तों की सरसराट आदि ने मानों सृष्टि में प्राण भर दिया हो. इस तरह विश्व संगीत दिवस का भारत से गहरा संबंध माना जा सकता है. संगीत की विभिन्न खूबियों के कारण ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस मनाया जाता है.
विश्व संगीत दिवस का इतिहास
फ्रांसीसियों में संगीत के प्रति गहरी दीवानगी देखने को मिलती है. इस रुझान को देखते हुए साल 1982 में फ्रांस सरकार ने 21 जून को संगीत के नाम समर्पित करते हुए इस दिन विश्व संगीत दिवस मनाने का फैसला किया था. धीरे-धीरे संगीत की सुर लहरियां दुनिया भर में बिखरने लगीं. मूल फ्रांस में तो सिर्फ 21 जून को यह दिवस विशेष मनाया जाता है, लेकिन यहां के कई शहरों में एक महीने पहले से लोग संगीत लहरियों में डूबने-उतराने लगते हैं. इस पूरे माह विशेष रूप से म्युजिक रिलीज, सीडी लॉन्चिंग, कॉन्सर्ट जैसे संगीत प्रधान कार्यक्रम शुरु किये जाते हैं. यह भी पढ़े: International Yoga Day 2021: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योगी आदित्यनाथ ने इस साल घर से ‘योग’ का किया आग्रह
यहां के सारे सभागृह तीन दिन पहले फुल हो जाते हैं. बच्चो-बच्चों में संगीत के प्रति इतनी दीवानगी होती है 21 जून के दिन लोगों के घर खाली रहते हैं. इस दिन सड़कों पर भी लोग साज बजाते दिखते हैं, कुछ जगहों पर इस दिन विदेशों से भी संगीत कार्यक्रम देने यहां आते हैं. इसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों की दीवानगी देखते बनती है. इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है.
संगीत का महत्व
संगीत सिर्फ सारेगामापा जैसे सात सुरों में बांधा नहीं जा सकता और ना ही इसे किसी देश अथवा भाषा की सीमा में बाधा जा सकता. देखा जाये तो संगीत की धुनें हवा में, पत्तियों की खड़खड़ाहटों, बिजली की कड़क, कोयल की कू कू, और नदी की कल-कल करती धुनों में भी सुनने को मिलती है, बस जरूरत है इसे महसूस करने की. संगीत के प्रति दीवानगी केवल मनुष्यों में नहीं पशुओं में भी अकसर सुनने को मिलती है. कहा जाता है कि अकबर के नवरत्नों में एक तानसेन के बारे में कहा जाता है कि जब वे राग भैरवी गाते थे तो शेर और हिरण संगीत की धुन में बंधे चाले आते थे. इसी तरह हरियाणा की एक भैंस के बारे में मशहूर है कि जिस दिन गायक मुकेश के गाने सुनती थी, उस दिन वह अन्य दिनों से ज्यादा दूध देती थी.
किन-किन देशों में मनाते हैं संगीत दिवस?
21 जून के दिन फ्रांस समेत करीब 17 से अधिक देशों मसलन भारत, आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, लक्समवर्ग, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, कोस्टारिका, इजाराइल, चीन, लेबनाम, मलेशिया, मोरक्को, पाकिस्तान, फ़िलीपींस, रोमानिया और कोलम्बिया देशों में अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. कुछ देशों में ‘संगीत दिवस’ को ‘सगीत समारोह’ के नाम से भी जाना जाता है. भारत में इस अवसर पर कहीं संगीत प्रतियोगिता का आयोजन होता है तो कहीं म्युजिकल प्रोग्राम या शास्त्रीय संगीत की सुर लहरी बिखर रही होती है. जिसे देखने-सुनने के लिए भारी संख्या में संगीत-प्रेमी एकत्र होते हैं.
जानें किस राग में किस रोग का है इलाज
मरहूम संगीतकार नौशाद ने एक बार अपने इंटरव्यू में बताया था कि शास्त्रीय संगीत में बड़ी ताकत होती है. हर राग का अपना महत्व होता है. विज्ञान ने भी माना है कुछ रोगों के लिए कुछ राग इम्युनिटी बढाने का भी कार्य करते हैं. यानी राग में रोग निरोधक क्षमता होती है. उदाहरण के लिए राग पूरिया धनाश्री अनिद्रा की समस्या से मुक्ति दिलाती है. राग दरबारी और राग मालकौंस मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाता है. राग शिवरंजिनी मन को शांत एवं सुखद अनुभूति प्रदान कराता है. राग मोहिनी आत्मविश्वास बढ़ाता है. राग भैरवी ब्लड प्रेशर और पूरे तंत्रिका तंत्र को कंट्रोल करता. राग पहाड़ी स्नायु तंत्र (Nerve fibers) को दुरुस्त करता है. राग दरबारी कान्हड़ा अस्थमा, राग भैरवी साइनस, राग तोड़ी सिरदर्द और क्रोध से मुक्ति दिलाता है. रोग और रोगियों पर संगीत का असर पिछले साल कुछ अस्पतालों में भी देखने को मिला, जब मानसिक रूप से टूट चुके कोरोना मरीजों के मनोरंजन के लिए डॉक्टर और नर्सों ने नृत्य-संगीत किया था. इसका मरीजों पर बहुत सकारात्मक असर पड़ा था.