Vat Savitri Puja 2021: वट सावित्री पूजा के साथ पर्यावरण का पुण्य भी कमाएं! जानें वट-वृक्ष के जड़ों, तने व पत्तों के औषधीय गुण!
हैप्पी वट सावित्री 2021 (Photo Credits: File Image)

Vat Savitri Puja 2021: अगर लंबी आयु और अच्छी सेहत की दरकार है तो हमें प्रकृति को सर्वपरि मानना होगा. यद्यपि सनातन धर्म में पीपल, तुलसी, वट, केला के वृक्षों की पूजा की प्राचीन परंपरा रही है. इनके आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ इनमें तमाम औषधीय गुण भी निहित होते हैं. हम बात करेंगे वट-वृक्ष की. वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) में भारतीय महिलाएं ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर पति के चिरायु हेतु यह व्रत रखती हैं और वट-वृक्ष की पूजा करती हैं. वट-वृक्ष (Banyan Tree) की आयु किसी भी वनस्पति अथवा जीव के मुकाबले सबसे ज्यादा होती है, लेकिन इस वृक्ष में तमाम औषधीय गुण भी होते हैं. इसलिए अगर पति को दीर्घायु देनेवाले इस वृक्ष की पूजा के साथ प्रत्येक वट सावित्री पर्व पर एक वट-वृक्ष रोपें तो इससे पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ इसके तमाम औषधीय गुणों का ज्यादा से ज्यादा लाभ भी अर्जित कर सकते हैं. आइये जानें क्या-क्या हैं इसके औषधीय लाभ.

अधिकतम ऑक्सीजन का स्त्रोत

पिछले दिनों कोरोना महामारी के दरम्यान देश में ऑक्सीजन की कमी से हजारों लोग असमय मृत्यु के शिकार हुए, और तब लोगों ने वट एवं पीपल वृक्ष को शिद्दत के साथ याद किया. वनस्पति शास्त्रियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वट-वृक्ष 24 घंटे में 22 घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है. अगर गांवों के साथ-साथ शहरों में भी वट-वृक्ष की पूजा के साथ-साथ एक वट-वृक्ष भी लगाने का संकल्प लें तो प्रकृति में ऑक्सीजन की मात्रा बढेगी, जिससे पर्यावरण संतुलित रहेगा.

प्रतिरोधक क्षमता (buffering capacity) में सुधार!

वट-वृक्ष शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. वनस्पति विज्ञानियों के मुताबिक वट-वृक्ष कि पत्तियों में हेक्सेन, ब्यूटेनॉल, क्लोरोफॉर्म और पानी जैसे उपयोगी तत्व मौजूद होते हैं. ये तत्व संयुक्त रूप से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक साबित होते हैं. इसलिए अगर वट-वृक्ष की कोपलों (मुलायम पत्तियों) का नियमित सेवन किया जाये तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. यह भी पढ़ें: Vat Savitri Vrat 2021: क्या है वट-वृक्ष की पूजा का महात्म्य? जानें पूजा विधि और मुहूर्त? और क्या है इस दिन चने का महत्व?

मधुमेह में कारगर

तथ्य बताते हैं कि भारत में हर दसवां व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है, किसी को कम तो किसी को ज्यादा. मधुमेह पर नियंत्रण के लिए वट-वृक्ष की जड़ें काफी कारगर साबित हो सकती हैं. क्योंकि वट के पेड़ की जड़ में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर को कम करनेवाला तत्व) पाया जाता है. इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सक भी मधुमेह की समस्या से निजात पाने के लिए बरगद के पेड़ की जड़ का अर्क पीने की सलाह देते हैं.

कोलेस्ट्रॉल को करता है नियंत्रित

वट-वृक्ष पर किये गये शोध से पता चलता है कि इस वृक्ष की पत्तियों से तैयार जलीय अर्क (Water Extract) का नियमित सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित रहता है. इसलिए कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर नियमित रूप से वट की पत्तियों से तैयार जलीय अर्क का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए.

जोड़ों के दर्द से दिलाए निजात

वनस्पति शास्त्रियों के मुताबिक वट-वृक्ष की पत्तियों में हेक्सेन, ब्यूटेनॉल और जल मौजूद होते हैं. ये सभी तत्व संयुक्त रूप से प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में कारगर होते हैं. चूंकि प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण मानव शरीर की हड्डियों के जोड़ों में दर्द जिसे आर्थराइटिस कहते हैं कि समस्या उत्पन्न हो सकती है. वही वट की पत्तियों में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेट्री तत्व जोड़ों में उत्पन्न सूजन को रोकने में मदद करते हैं. इसलिए अर्थराइटिस पीड़ितों को वट के मुलायम पत्तियों का सेवन अवश्य करना चाहिए.