Valmiki Jayanti 2025 Messages: वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti 2025) रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयंती के सम्मान में मनाया जाता है. वाल्मीकि ने हिंदू धर्म के महानतम महाकाव्यों में से एक रामायण की रचना भी की थी. इस दिन को प्रगट दिवस भी कहा जाता है. महर्षि वाल्मीकि ऋषि बनने से पहले एक डाकू थे. नारद मुनि से मिलने के बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और भगवान राम के प्रति उनके मन में भक्ति जागृत हुई और उन्होंने काफी सालों तक तपस्या की. तपस्या में सफल होने के बाद उनका नाम वाल्मीकि पड़ा. वाल्मीकि का मतलब होता है चींटियों के टीले से उत्पन्न' या 'दीमक से उत्पन्न हुआ. यह नाम उन्हें उनके अत्यधिक तपस्या के दौरान मिला था, जब उनकी चारों ओर दीमक के विशाल टीले या बांबी बन गई थी. महर्षि वाल्मीकि न केवल संस्कृत साहित्य के प्रथम कवि माने जाते हैं, बल्कि उन्होंने हिंदू धर्म के महानतम महाकाव्यों में से एक रामायण की रचना भी की थी.
रामायण, जो संस्कृत भाषा में रचित है, भगवान राम के आदर्श जीवन की कथा कहती है. इसमें 24,000 श्लोक हैं और यह सात कांडों में विभाजित है. यह ग्रंथ न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस दिन रामायण का पाठ करना और राम के नाम का जप करना बेहद शुभ माना जाता है. इसके साथ ही इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और फोटो एसएमएस को प्रियजनों संग शेयर कर उन्हें हैप्पी वाल्मीकि जयंती कह सकते हैं.
1. महर्षि वाल्मीकि जी ने लिखी
कथा श्री राम जी की
हमको बताई ऋषिवर ने
बातें महापुराण रामायण की
हैप्पी वाल्मीकि जयंती की बधाई

2. गुरुवर वाल्मीकि ने ज्ञान की गंगा बहाई है,
क्या आपने उसमें डुबकी लगाई है.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं

3. आपको ज्ञान मिले ऋषि वाल्मीकि से,
धन-दौलत-वैभव मिले मां लक्ष्मी से,
शक्ति मिले आदि शक्ति मां दुर्गा से,
सुख-शांति और उन्नति मिले प्रभु श्री राम से,
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं

4. ज्ञान की खान है महर्षि वाल्मीकि,
सत्य का नाम हैं महर्षि वाल्मीकि,
सबसे महान है महर्षि वाल्मीकि
महर्षि वाल्मीकि जयंती की बधाई

पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि भगवान राम से उनके वनवास के दौरान मिले थे. जब भगवान राम ने माता सीता को अयोध्या छोड़ने के लिए कहा, तो वाल्मीकि ऋषि ने उन्हें आश्रय दिया. सीता ने उनके आश्रम में जुड़वाँ बच्चों, लव और कुश को जन्म दिया. महर्षि वाल्मीकि बचपन में ही उनके गुरु बन गए और उन्हें रामायण की शिक्षा दी.













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