महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में महाबलशाली हनुमान जी की तमाम खूबियों का चित्रण ही नहीं बल्कि कई रहस्यों को भी उजागर किया है. चालीसा की 31 वीं चौपाई में गोस्वामी जी ने हनुमान जी में निहित दैवीय शक्तियों का खुलासा करते हुए उद्घाटित किया कि उनमें माता जानकी द्वारा प्रदत्त आठ सिद्धियां और नौ निधियां निहित हैं. हनुमान जी को प्रसन्न कर जिसे ये सिद्धियां अथवा नौ निधियां प्राप्त हो जाये, सर्वशक्ति मान बन जाता है. यहां हम उन नवनधियों की शक्ति और उसके परिणाम की बात करेंगे, जिसका जिक्र चालीसा के इस 31वें चौपाई में उल्लेखित है.
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता,
अस बर दीन्ह जानकी माता,
मान्यता है कि हनुमान जी बड़ी आसानी से अपने भक्तों पर खुश होकर उनके सारे संकट दूर कर देते हैं, लेकिन उनके बारे में यह भी धारणा है कि वह किसी से रुष्ठ हो जाएं, तो कोई भी शक्ति उनसे आपको नहीं बचा सकती. इसलिए हनुमान जी से तमाम सिद्धियां एवं निधियां प्राप्ति के लिए उनकी पूजा-अर्चना सच्ची आस्था, पूर्ण निष्ठा तथा विधि-विधान से ही करना चाहिए.
'ब्रह्माण्ड पुराण’ एवं ‘वायु पुराण’ में वर्णित है कि जो वस्तुएं अति दुर्लभ होती हैं, निधियां कहलाती हैं. हनुमान जी की पूजा करते समय मन ही मन यह संकल्प जरूर लें कि हे महावीर हनुमान जी आप अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों के दाता हैं, प्रभु ये सभी सिद्धियाँ एवं निधियां हमें प्रदान करे. आज हम माता सीता द्वारा हनुमान जी को वरदान स्वरूप प्रदान इन्हीं नौ निधियों की शक्तियों ओर उनकी क्षमताओं पर.बात करेंगे.
पद्म निधि:- यह निधि मनुष्य को सात्विक प्रवृत्ति का बनाता है. जिसका उपभोग व्यक्ति विशेष पीढ़ियों तक करता है. सात्विक गुणों से संपन्न व्यक्ति स्वर्ण-चांदी जैसे बहुमूल्य धातुओं का संग्रह करके उसे लोगों को दान करते हैं और दानवीर कहलाते हैं.
नील निधिः- नील निधि में सत्व एवं रज दोनों गुण होते हैं. यह निधि व्यवसाय से कमाई जाती है. इसे मधुर स्वभाव वाली निधि भी कहा जाता है. ऐसी निधि से युक्त व्यक्ति ज्यादातर जनहित के कार्य करता और खूब नाम-दाम अर्जित करता है.
महापद्म निधि:- यह निधि पद्म निधि की तरह सात्विक होती है. फर्क सिर्फ यही है कि इसका प्रभाव 7 पीढ़ियों तक रहता है. यह निधि व्यक्ति को सुसंपन्न एवं दानी बनाता है.
मुकुंद निधि:- इस निधि में रजोगुण का प्रभाव ज्यादा होता है. इसे राजसी स्वभाव वाली निधि भी कहा जाता है. इस निधि से युक्त इंसान का मन भोग आदि में लगा रहता है. यह निधि एक पीढ़ी तक ही सुरक्षित रहती है.
मकर निधि:- मकर निधि को तामसी निधि भी कहते हैं. इस निधि से युक्त व्यक्ति अस्त्र-शस्त्र से सुसज्ज रहता है. ऐसे व्यक्ति का ज्यादा समय शासन-प्रशासन में गुजरता है. उनकी मृत्यु युद्ध वीरगति प्राप्त कर होती है.
कच्छप निधि:- कच्छप निधि के जातक अपनी संपत्ति गुप्त रखते हैं. इसका उपयोग न तो वह स्वयं करता है न किसी और को करने देते हैं.
नंद निधि:- इस निधि में भी रज और तम दोनों गुणों का मिश्रण होता है. मान्यता है कि यह निधि भक्त को दीर्घायु बनाती और निरंतर तरक्की की सीढ़ियों की ओर ले जाती है. अमूमन ऐसा जातक कुंटुंब का मुखिया होता है.
शंख निधि:- इस निधि को हासिल करनेवाला व्यक्ति अपनी ही दुनिया में रहना पसंद करता है. उसकी आय अच्छी होने के बावजूद उसका परिवार गरीबी में जीवनयापन करता है.
खर्व निधि:- इसे मिश्रित निधि भी कहते हैं. इस निधि से संपन्न व्यक्ति मिले-जुले स्वभाव वाला होता है. वह कब क्या करेगा, इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर पाता.