Shakambhari Navratri 2020 Wishes: शाकंभरी नवरात्रि पौष माह में शुक्ल अष्टमी से शुरू होती है और पौष पूर्णिमा पर समाप्त होती है. पौष शुक्ल अष्टमी को बाणदा अष्टमी (Banada Ashtami) या बाणदाष्टमी (Banadashtami) के रूप में जाना जाता है. अधिकांश नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होती है, सिर्फ शाकंभरी नवरात्रि है जो अष्टमी से शुरू होती है और पूर्णिमा पर समाप्त होती है. इसलिए शाकंभरी नवरात्रि कुल आठ दिनों तक मनाई जाती है. शाकंभरी माता देवी भगवती का अवतार हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी भगवती ने पृथ्वी पर अकाल और खाने के गंभीर संकट को कम करने के लिए शाकंभरी रूप में अवतार लिया. इन्हें सब्जियों, फलों और हरी पत्तियों की देवी के रूप में भी जाना जाता है और फलों और सब्जियों के हरे रंग के परिवेश के साथ चित्रित किया जाता है.
शाकंभरी नवरात्रि का समापन पौष पूर्णिमा पर होता है, जिसे शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. शाकंभरी पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि देवी शाकंभरी का उसी दिन अवतार हुआ था. शाकंभरी नवरात्रि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय है. कर्नाटक में शाकंभरी देवी को बनशंकरी देवी के रूप में जाना जाता है. इस दौरान लोग शुद्ध शकाहारी भोजन करते हैं. सुख समृद्धि के लिए मां शाकंभरी का व्रत रखा जाता है. इस शुभ अवसर लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को शाकंभरी नवरात्रि की शुभकामनाएं देते हैं. आप भी अपने करीबियों को इस पावन अवसर पर नीचे दिए गए मैसेजेस भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं.
मां दुर्गा की असीम कृपा से आप सबका
जीवन सदा हंसता मुस्कुराता रहे
शाकंभरी नवरात्रि की शुभकामनाएं!
मां भरती झोली खाली
मां अम्बे वैष्णों वाली
मां संकट हरने वाली
मां विपदा मिटाने वाली
मां के सभी भक्तों को
शाकंभरी नवरात्रि की शुभकामनाएं!
सुख, शान्ति और समृध्दि की
मंगलमय कामनाओं के साथ
शाकंभरी नवरात्रि की शुभकामनाएं!
मां शाकंभरी आपको बल, बुद्धि, सुख,
ऐश्वर्या और संपन्नता प्रदान करें
शाकंभरी नवरात्रि की शुभकामनाएं!
शाकंभरी नवरात्रि के इस पावन अवसर पर
आपको माता रानी का आशीर्वाद मिले.
शाकंभरी नवरात्रि की शुभकामनाएं!
मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था, इसी कारण माता 'शाकंभरी' नाम से विख्यात हुईं. पुराणों में यह उल्लेख है कि देवी ने यह अवतार तब लिया, जब दानवों के उत्पात से सृष्टि में अकाल पड़ गया, तब देवी शाकंभरी रूप में प्रकट हुईं.