Sankashti Chaturthi 2019: आज है गणेश संकष्टी चौथ, विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है यह दिन
भगवान गणेश (Photo Credits: Dagdusheth Ganpati)

Sankashti Chaturthi 2019: गणेश जी के महत्वपूर्ण पर्वों में एक है संकष्टी गणेश चतुर्थी  (Sankashti Chaturthi) और आज साल की पहली संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है. भगवान गणेश (Lord Ganesha) को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है और वे सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माने जाते हैं. मान्यता है कि सच्ची निष्ठा के साथ गणेश संकष्टी का व्रत एवं पूजन करने से सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं और रुके हुए मांगलिक कार्य पूरे होते हैं. भगवान गणेश हर तरह की सुख-सम्पदा की प्राप्ति का वरदान देते हैं.

हिंदू शास्त्रों में इस संकष्टी का विशेष महत्व बताया गया है. पुराणों के अनुसार माघ माह (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की यह चतुर्थी सबसे बड़ी चतुर्थी बताई जाती है. अलग-अलग जगहों पर इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. जैसे तिल संकटा चौथ, माघी चतुर्थी या तिल चौथ आदि. मान्यता है कि इस अवसर पर श्री गणेश जी की पूजा अर्चना करने से सुख और समृद्धि के साथ ही पुत्र-पौत्र एवं ऐश्वर्य से जीवन फलीभूत हो जाता है.

पौराणिक कथा

कहा जाता है कि एकबार देवलोक पर भारी मुसीबत आ गयी. इस संकट से मुक्ति पाने के लिए सभी देवतागण शिव जी से मदद मांगने पहुंचे. उस समय शिव जी, पार्वती, गणेश जी एवं कार्तिकेय जी बैठे हुए थे. शिव जी को शांत देख कार्तिकेय और गणेश जी ने कहा पिताश्री आप कहें तो इन देवताओं के सारे संकट मैं जाकर दूर कर दूं. मगर शिव जी गणेश और कार्तिकेय में से किसी एक को ही देवताओं की मदद के लिए भेजना चाहते थे. शिव जी ने कहा कि तुम दोनों में जो भी पृथ्वी की परिक्रमा करके सबसे पहले वापस आ जायेगा वही देवताओं की मदद के लिए जायेगा. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2019: 24 जनवरी को है साल की पहली संकष्टी चतुर्थी, इस विधि से व्रत और पूजा करने से दूर हो जाते हैं जीवन के सारे कष्ट

शिव जी के मुख से इस तरह की शर्त सुनते कार्तिकेय मोर पर बैठकर संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा पर निकल पड़े. इधर अपने भारी पेट और नन्हें सवारी चूहे के कारण गणेश जी सोच में पड़ गये कि संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा इतनी जल्दी कैसे पूरी की जा सकती है. अंततः उन्होंने एक युक्ति निकाली और पास बैठे शिव-पार्वती के इर्द-गिर्द सात परिक्रमा कर वापस उन्हीं के पास आकर बैठ गये. थोड़ी देर में कार्तिकेय जब लौटे तो गणेश जी को उसी मुद्रा में बैठे देख समझे कि उन्होंने स्पर्धा जीत ली है.

उन्होंने शिव जी से कहा कि वह देवताओं की मदद के लिए तैयार हैं. शिव जी ने गणेश जी से पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करने की वजह पूछी, तो गणेश जी ने कहा, माता पिता के चरणों में ही समस्त लोक विद्यमान होता है, इसलिए मैंने आप दोनों की परिक्रमा कर ली. गणेश जी का जवाब सुनकर शिव-पार्वती दोनों प्रसन्न हुए. शिव जी ने गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि चतुर्थी के दिन जो भी तुम्हारा पूजन कर रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा, वह दैहिक, भौतिक एवं दैविक ताप से मुक्ति प्राप्त कर लेगा. कहा जाता है कि इसके पश्चात ही गणेश जी के इस व्रत की परंपरा शुरु हुई. यह व्रत अधिकांशतया विवाहित महिलाएं ही करती हैं.

कैसे करें व्रत?

प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण पहनें. चूंकि गणेश जी को लाल रंग बहुत पसंद है, इसलिए इस अवसर पर लाल वस्त्र ही पहनना श्रेयस्कर होता है. साफ सुथरे आसन पर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुंह कर भगवान गणेश को पंचामृत से स्नान कराकर फल-फूल एवं अक्षत चढ़ा कर पूरे विधि विधान से पूजन करें. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi Vrat in Year 2019: संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वालों के जीवन से सारे कष्ट दूर करते हैं भगवान गणेश, देखें साल 2019 में पड़नेवाली तिथियों की लिस्ट

इस पर्व विशेष पर तिल गुड़ से निर्मित लड्डू का भोग लगाने की परंपरा है. यह पूजा किसी पुरोहित से कराने के बजाय खुद करना श्रेयस्कर होता है. माघ माह में गरीबों को तिल गुड़ एवं वस्त्रों आदि का दान करने की भी परंपरा है.