Sankashti Chaturthi 2019: 24 जनवरी को है साल की पहली संकष्टी चतुर्थी, इस विधि से व्रत और पूजा करने से दूर हो जाते हैं जीवन के सारे कष्ट
भगवान गणेश (Photo Credits: Pixabay)

Sankashti Chaturthi 2019: हर महीने की चतुर्थी तिथि (Chaturthi tithi) पर संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत किया जाता है जो भगवान गणेश (Lord Ganesh) को समर्पित है. नए साल की पहली संकष्टी चतुर्थी 24 जनवरी को गुरुवार के दिन पड़ रही है. गुरुवार के दिन संकष्टी चतुर्थी का संयोग बेहद शुभ माना जाता है. इसे गणेश चतुर्थी, तिलकुट चतुर्थी, सकट चौथ जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार, हर महीने में दो बार चतुर्थी होती है. अमावस्या के बाद आनेवाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है, जबकि पूर्णिमा के बाद आनेवाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है.

मान्यता है कि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने और विधि-विधान से भगवान गणेश (Ganesh Bhagwan) की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सारे कष्ट दूर होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

व्रत विधि

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करने के बाद महिलाएं इस व्रत का संकल्प लेती हैं और पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं. शाम को विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्र के उदय होने के बाद नीचे की ओर देखते हुए अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करती हैं.

शुभ मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है और 24 जनवरी 2019 को रात में 09 बजकर 31 मिनट पर चंद्रोदय होगा. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi Vrat in Year 2019: संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वालों के जीवन से सारे कष्ट दूर करते हैं भगवान गणेश, देखें साल 2019 में पड़नेवाली तिथियों की लिस्ट

पूजा विधि

  • चतुर्थी तिथि पर सुबह उठने के बाद स्नान करें, फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनें और इस व्रत का संकल्प लें.
  • पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर स्थापित करें.
  • इसके बाद भगवान गणेश को जल, अक्षत, दूर्वा, पुष्प, लड्डू, पान-सुपारी, धूप इत्यादि अर्पित करें.
  • फिर 'ओम गं गणपतये नम:' मंत्र का जप करते हुए भगवान गणेश को प्रणाम करें.
  • इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर रोली से एक त्रिकोण बनाएं.
  • त्रिकोण के अग्र भाग पर घी का एक दीपक रखें, व्रत कथा पढ़ें और भगवान गणेश की आरती उतारें.
  • भगवान गणेश की पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और अपना व्रत पूर्ण करें.

गौरतलब है कि भगवान गणेश की पूजा प्रथम पूज्य देवता के तौर पर की जाती है और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी आराधना की जाती है. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने पर भगवान गणेश भक्तों के संकटों को दूर करते हैं, इसलिए महिलाएं अपने पुत्रों की मंगलकामना, दीर्घायु और जीवन के समस्त संकटों से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत करती हैं.