Ratha Saptami 2023 Wishes in Hindi: सूर्य की उपासना के पर्व रथ सप्तमी (Ratha Saptami) को हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 28 जनवरी 2023 को रथ सप्तमी मनाई जा रही है. रथ सप्तमी को माघ सप्तमी (Magh Saptami), माघ जयंती (Magh Jayanti), सूर्य जयंती (Surya Jayanti), आरोग्य सप्तमी (Aarogya Saptami) और अचला सप्तमी (Achala Saptami) जैसे कई नामों से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने और उनकी उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है. इसके साथ ही उत्तम आरोग्य का वरदान भक्तों को मिलता है. ऐसी मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर सूर्य देव का प्रादुर्भाव हुआ था और वो एकमात्र ऐसे देवता हैं जो साक्षात भक्तों को दर्शन देते हैं, इसलिए कहा जाता है कि इस दिन सूर्योपासना और सूर्य चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
रथ सप्तमी यानी अचला सप्तमी के दिन व्रत रखकर उनकी पूजा करने से उत्तम आरोग्य के साथ-साथ निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. इस पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं. ऐसे में आप भी इन विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए अपनों को रथ सप्तमी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- रथ सप्तमी का पर्व आए बनकर उजाला,
खुल जाए आपकी किस्मत का ताला,
हमेशा आप पर रहे मेहरबान ऊपर वाला,
यही दुआ करता है आपका ये चाहने वाला.
रथ सप्तमी की शुभकामनाएं
2- पालनहार हैं जो विश्व के,
साथ घोड़ों की करते हैं जो सवारी,
न कभी झुके न ही कभी रुके,
ऐसे सूर्य देव आपको सुख-समृद्धि दें.
रथ सप्तमी की शुभकामनाएं
3- मंदिर की घंटी, आरती की थाली,
नदी के किनारे सूरज की लाली,
जिंदगी में आए खुशियों की बहार,
मुबारक हो आपको रथ सप्तमी का त्योहार.
रथ सप्तमी की शुभकामनाएं
4- खुशियों का त्योहार आया है,
सूर्य देव से सब जगमगाया है,
खेत-खलिहान धन और धान,
यूं ही बनी रहे हमारी शान.
रथ सप्तमी की शुभकामनाएं
5- सद्विचार, सदाचार, प्रेम और भक्ति,
यही है सूर्य देव को प्रसन्न करने की शक्ति.
रथ सप्तमी की शुभकामनाएं
रथ सप्तमी से जुड़ी प्रचलित मान्यता के अनुसार, इसी दिन सूर्य देव के सातों घोड़े उनके रथ का वहन करना शुरु करते हैं, इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य देते समय जल में लाल रोली, लाल फूल और गुड़ का उपयोग किया जाता है, फिर दीपदान करने का विधान है.