पोंगल देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है. दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु, पोंगल के त्योहार को मनाने के लिए प्रसिद्ध है जो 4 दिनों तक चलता है. त्योहार आमतौर पर हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है. पोंगल एक चार-दिवसीय फसल का त्यौहार है जो ज्यादातर दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाता है, खासकर तमिलनाडु में. यह सर्दियों में तब मनाया जाता है जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध के चरम पर पहुंच जाता है और उत्तरी गोलार्ध (हिंदू कैलेंडर के अनुसार) पर वापस लौटना शुरू कर देता है. पोंगल 14 जनवरी से शुरू होगा और 18 जनवरी तक चलेगा. चार दिवसीय त्योहार की शुरुआत भोगी त्योहार (Bhogi Festival) से शुरू होती है. उसके बाद 15 जनवरी को सूर्य पोंगल (Surya Pongal), तीसरे दिन 16 जनवरी को मट्टू पोंगल (Mattu Pongal),चौथे दिन 17 जनवरी को कन्नुम पोंगल (Kaanum Pongal) मनाया जाता है.
'पोंगल' शब्द चावल से जुड़ा है और इसका मतलब है “उबालना. इस दिन को आम तौर पर सफल फसल के लिए सूर्य देव का अभिवादन करने के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग दूध चावल उबालकर इस त्योहार शुरू के शुरू होने से पहले सूर्य को अर्पित करते हैं. चूंकि यह चार दिवसीय त्योहार है, इसलिए प्रत्येक दिन का अपना महत्व है. पहले दिन को भोगी त्योहार कहा जाता है, इस दिन भगवान इंद्र की पूजा की जाती है. इस दिन एक लोकप्रिय रिवाज है कि घर के सभी बेकार सामानों को लकड़ी और गोबर से बने उपले में जलाया जाता ताकि साल भर की घर की दरिद्रता भी इस आग के साथ जल जाए.
त्योहार का दूसरा दिन थाई पोंगल या सूर्य पोंगल के रूप में जाना जाता है. यह वह दिन है जब लोग सूर्य देव को दूध में उबाले हुए चावल चढ़ाते हैं. लोग कोलम के साथ अपने घर के प्रवेश द्वार भी सजाते हैं. यह आमतौर पर सुबह जल्दी स्नान करने के बाद किया जाता है. तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के रूप में मनाया जाता है जहां लोग गायों की पूजा करते हैं. पौराणिक कथा अनुसार भगवान शिव ने अपने बैल- बसवा (Basava) को पृथ्वी पर संदेश देने के भेजा कि शिव नश्वर तेल मालिश, स्नान और महीने में एक बार भोजन चाहते हैं. बसवा भ्रमित हो गए और भगवन शिव के कहे अनुसार विपरीत संदेश पहुंचाए. जिसके परिणाम स्वरुप शिवने सजा के रूप में बसवा को हमेशा के लिए पृथ्वी पर लौटने और लोगों को खेतों की जुताई करके अधिक भोजन उगाने में मदद करने के लिए कहा.
चौथा और अंतिम दिन कन्नुम पोंगल के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बचे हुए खाने (भोजन) को गन्ने और सुपारी के साथ एक धुली हुई हल्दी की पत्ती पर रखा जाता है. इसके बाद महिलाएं अपने भाइयों की समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं. दक्षिण का एक विशाल त्योहार, पोंगल अपने विशेष पारंपरिक व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है.
1- सूरज हुए दक्षिण से उत्तर,
लो शुभ दिन अब आया है,
मौज मस्ती में दिन बीते,
अब आया हैपी पोंगल है.
पोंगल की शुभकामनाएं
2- टेंशन को भूलकर खुशियां मनाओ,
लैपटॉप से अपने डोंगल हटाओ,
मिलकर सब मेरे साथ पोंगल मनाओ.
पोंगल की शुभकामनाएं
3- आज से सूर्य हुए हैं उत्तरायण,
शुभ तिथियों का हुआ है आगमन,
आपके जीवन में शुभ घड़ी आए,
फैमली के संग पोंगल मनाएं.
पोंगल की शुभकामनाएं
4- पोंगल का पावन त्योहार,
आपके जीवन में लाए खुशियां अपार,
मुबारक हो आपको साल का पहला त्योहार.
पोंगल की शुभकामनाएं
5- हर सपने हों पूरे आपके,
धन-दौलत समृद्धि मिले आपको,
जो भी विश हो पूरी हो जाए,
पोंगल आपके लिए ऐसी सौगात लाए.
पोंगल की शुभकामनाएं
पोंगल के त्योहार की उत्पत्ति 1,000 साल से भी पहले की हो सकती है. उत्सव का एक हिस्सा मौसम के पहले चावल की फसल होना है. पोंगल दूध के साथ उबले हुए चावल की एक खीर का नाम है, जिसे त्योहार के दिन खाया जाता है.