Paush Purnima 2022: स्नान-दान के पर्व पौष पूर्णिमा पर करें श्रीहरि एवं मां लक्ष्मी की पूजा! दरिद्रता दूर होगी! जानें इसका महात्म्य, पूजा-विधि एवं शुभ मुहूर्त!
भगवान सूर्य (Photo Credits: Facebook)

Paush Purnima 2022: पौष मास की पूर्णिमा के दिन गंगा-स्नान, दान-धर्म और श्रीहरि तथा माँ लक्ष्मी का व्रत एवं पूजा-अर्चना करने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है. इस साल यह व्रत-पूजा 17 जनवरी 2022 दिन सोमवार को रखा जायेगा. सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा का बहुत महत्व है. इस दिन गंगा अथवा किसी पवित्र नदी अथवा स्वच्छ पानी के सरोवर में डुबकी लगाने, दान-ध्यान और जप का विधान है. इस भगवान विष्णु एवं माँ लक्ष्मी की पूजा-अर्चना एवं व्रत करने से घर में सुख, शांति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. घर में नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. ऐसी भी मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ उदय होता है, इसलिए इस दिन चंद्रदेव की कृपा से रोग-शोक से भी मुक्ति मिलती है. यह भी पढ़े: Paush Maas 2019: पौष मास में सूर्य देव की उपासना का है खास महत्व, इस महीने इन व्रतों को करने से सफलता, आरोग्य, संतान सुख और सौभाग्य का मिलता है वरदान

पौष पूर्णिमा का महत्व

पौष पूर्णिमा के दिन गंगा-स्नान का विशेष महत्व बताया गया है, गंगा नदी उपलब्ध नहीं हैं तो किसी नदी या सरोवर में स्नान करें. इसलिए इस दिन प्रयागराज की त्रिवेणी, वाराणसी एवं हरिद्वार में गंगा-स्नान के लिए लाखों की तादाद में लोग इकट्ठे होकर गंगा में डुबकी लगाते हैं. अगर नदी में स्नान संभव नहीं है तो स्नान के पानी में कुछ बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी गंगा-स्नान का पुण्य प्राप्त होता है. भागवद् पुराण के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे स्नान और सूर्योपासना के पश्चात गरीबों को भोजन, वस्त्र, कंबल इत्यादि दान देने से जीवन के समस्त कष्ट नष्ट हो जाते हैं. इस दिन माँ लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा एवं व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.

ऐसे करें व्रत एवं पूजन

पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान एवं सूर्योपासना करें व्रत का संकल्प लें, अब स्वच्छ वस्त्र धारण कर घर की अच्छे से सफाई करें. मंदिर में सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा अथवा तस्वीरों पर गंगाजल से स्नान करायें. इस दिन भगवान सत्य नारायण की कथा सुनने की परंपरा है. विष्णुजी की के सामने धूप-दीप प्रज्जवलित करें. पूजा में पीला फूल, पीला चंदन, तुलसी, रोली, अक्षत, पान, सुपारी अर्पित करें. भोग में शुद्ध आटे की पंजीरी एवं पंचामृत अर्पित करें. कथा के पश्चात विष्णु का सहस्त्रनाम का पाठ कर हवन करें और अंत में श्रीहरि की आरती उतारें.

पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पौष पूर्णिमाः 03.18 AM (17 जनवरी 2022)

पौष पूर्णिमाः 05.17 AM (18 जनवरी 2022)

चूंकि उदया तिथि में पौष पूर्णिमा 17 जनवरी 2022 को है, इसलिए इसी दिन व्रत एवं पूजा होगी.