Parshuram Jayanti 2021 Messages in Hindi: हर साल अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) भी मनाई जाती है. भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) को जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का छठा अवतार माना जाता है. उनके जन्म दिवस को परशुराम जयंती के तौर पर मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती मनाई जाती है और यह पावन तिथि आज (14 मई 2021) है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म इसी पावन तिथि पर प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए उनके जन्मोत्सव को प्रदोष काल में मनाना उत्तम फलदायी माना जाता है. परशुराम का जन्म त्रेतायुग में भार्गव वंश में हुआ था, उनके पिता का नाम ऋषि जमदग्नि था, जबकि माता का नाम रेणुका था.
परशुराम जयंती के दिन भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. परशुराम जयंती के पावन अवसर पर आप अपनों को बधाई ने दें ऐसा कैसे हो सकता है? इस शुभ अवसर पर आप अपनों को इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- शांत है तो श्रीराम हैं,
भड़क गए तो परशुराम हैं,
जय श्री राम...
जय श्री परशुराम...
परशुराम जयंती की शुभकामनाएं
2- शस्त्र और शास्त्र दोनों ही हैं उपयोगी,
यही पाठ सिखा गए हैं हमें योगी,
जय श्री परशुराम....
परशुराम जयंती की शुभकामनाएं
3- परशुराम हैं प्रतीक प्यार का,
राम हैं प्रतीक सत्य सनातन का,
इस प्रकार परशुराम का अर्थ है,
पराक्रम के कारक और सत्य के धारक.
परशुराम जयंती की शुभकामनाएं
4- आओ सब मनाएं परशुराम जयंती,
लेकर प्रभु का नाम करें गुणगान,
मांगे आशीष श्री परशुराम जी से,
जप कर उनका नाम...
परशुराम जयंती की शुभकामनाएं
5- गुरु हैं वो अंतःकरण के,
अंतर जाने अनंत और मरण के,
नमन करता सारा संसार जिसे,
बने जल भी अमृत उनके चरण के.
परशुराम जयंती की शुभकामनाएं
प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मणों और ऋषियों पर होने वाले अत्याचारों को खत्म करने के लिए हुआ था. कहा जाता है कि जिन लोगों को संतान नहीं है, उन्हें इस दिन व्रत रखकर भगवान परशुराम के पूजा करनी चाहिए, इससे उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है. कहा जाता है कि एक बार जब परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पहुंचे थे, तब गणेश जी ने उन्हें जाने से रोक दिया था, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसा से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया था. इसके बाद से भगवान गणेश को एकदंत भी कहा जाने लगा.