चैत्र (मार्च-अप्रैल) महीने का पहला दिन जम्मू और कश्मीर में नवरेह (Navreh) या कश्मीरी नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. शुभ दिन को व्यापक रूप से कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा मनाया जाता है. इस दिन लोग हर किसी को गर्मजोशी के साथ मिलते हैं. नवरेह संस्कृत शब्द 'नव-वर्षा' से बना है, जिसका अर्थ है नववर्ष. इस दिन चावल के साथ रोटी, दही, नमक, मिश्री, कुछ अखरोट या बादाम, चांदी का सिक्का और 10 रुपये के नोट, एक कलम, एक दर्पण, कुछ फूल (गुलाब, गेंदा, क्रोकस या चमेली), नया पंचांग, इसके अलावा, कश्मीरी जंत्री (एक पंचांग पुस्तक जिसमें कश्मीरी परंपरा के अनुसार सभी महत्वपूर्ण तिथियों का लेखा-जोखा है) के साथ एक थाली तैयार करने की एक प्रथा है. इस साल नवरेह 13 अप्रैल 2021 को मनाया जा रहा है.
दिलचस्प बात यह है कि यह सब रात के दौरान ही तैयार किया जाता है क्योंकि सुबह सबसे पहले इन चीजों से सजी थाली को देखना होता है, और फिर अपना दिन शुरू करना होता है. कश्मीरी पंडित सोंठ या कश्मीरी वसंत त्योहार पर सुबह में इस तैयार थाली को देखने की रस्म का पालन करते हैं. माना जाता है कि कश्मीरी हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सप्तर्षि युग की शुरुआत लगभग 5079 साल पहले इसी दिन हुई थी. इस दिन लोग एक दूसरे को ग्रीटिंग्स भेजकर शुभकामनाएं देते हैं, आप भी नीचे दिए गए मैसेजेस भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सामना ना हो कभी तन्हाइयों से,
हर अरमान हर ख्वाब पूरा हो आपका,
यही दुआ है दिल की गहराइयों से...
नवरेह की शुभकामनाएं
2- शाखों पर सजता नए पत्तों का श्रृंगार,
मीठे पकवानों की होती चारों तरफ बहार,
मीठी बोली से करते, सब एक-दूजे का दीदार,
खुशियों के साथ चलो मनाएं नव वर्ष इस बार.
नवरेह की शुभकामनाएं
3- देखो नूतन वर्ष है आया,
धरा पुलकित हुई गगन मुस्काया,
किंचित चिंताओं में डूबा कल,
ढूंढ़ ही लेगा नया वर्ष कोई हल,
देखो नए साल का पहला पल,
क्षितिज के उस पार है उभर आया.
नवरेह की शुभकामनाएं
4- एक खूबसूरती, एक ताजगी,
एक सपना, एक सच्चाई,
एक कल्पना, एक एहसास,
एक आस्था, एक विश्वास
यही है एक अच्छे साल की शुरुआत.
नवरेह की शुभकामनाएं
5- सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार,
आने वाला हर दिन लाए खुशियों का त्योहार,
इस उम्मीद के साथ आओ भूलकर सारे गम,
नव वर्ष का हम सब करें वेलकम...
नवरेह की शुभकामनाएं
किवदंती है कि सप्तर्षियों एक साथ शारिका पर्वत पर आते थे. जिसे कश्मीर में हरि परबत के रूप में भी जाना जाता है. यह पर्वत देवी शारिका का निवास स्थान था इसलिए इसका नाम शारिका पड़ा. नवरेह पर कश्मीरी पंडित देवी शारिका का आशीर्वाद लेने के लिए हरि पर्वत पर जाते हैं. नए साल पर बच्चे नए कपड़े पहनते हैं!