Nautapa 2021: कब शुरू होगा नौतपा? जानें इसका ज्योतिषीय, धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits ANI)

कोरोना वायरस की दूसरी लहर और ब्लैक एवं ह्वाइट फंगस जैसी चुनौतियों के बीच नौतपा (Nautapa) का तांडव भी शुरु होने वाला है. ज्योतिषियों के अनुसार 25 मई से नौतपा (Nautapa) अपने पूरे प्रभाव के साथ शुरु हो रहा है, जिसके अनुसार 3 जून 2021 तक जारी रहेगा. इस दरम्यान सूर्य अपने सर्वोच्च ताप में रहेगा. इसलिए गर्मी भी चरम पर होगी. इसी दरम्यान आगामी मानसून का कयास भी लगाया जा सकेगा कि इस बार कहां कैसी बारीश हो सकती है? आइये जानें नौतपा का धार्मिक, ज्योतिषीय एवं वैज्ञानिक महत्व, साथ ही यह भी कि क्या शनि के वक्री होने का असर नौतपा पर हो सकता है? यह भी पढ़ें: Buddha Purnima Date: कब है वैशाख पूर्णिमा? जानें शुभ योग, मुहूर्त एवं पूजा विधान और कैसे मिलती है अकाल-मृत्यु के भय से मुक्ति?

क्या और क्यों होता है नौतपा?

भौगोलिक परिवर्तन के अनुरूप नौतपा काल में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 10 से 23 अंश 40 कला में रहने तक नौतपा की स्थिति बनती है. सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों तक प्रवास करते हैं. लेकिन शुरू के 9 दिन तक ताप चरम पर होता है, इसीलिए 9 दिनों के समय को ही नौतपा कहते हैं. इस बार नौतपा 25 मई से 3 जून 2021 तक रहेगा. गौरतलब है कि इन नौ दिनों तक सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है.

नौतपा का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि 25 मई से सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही नौतपा की शुरुआत हो जायेगी, जो 3 जून 2021 तक रहेगा. इन दिनों मौसम में उमस और सूर्य की चिटकती गर्मी के कारण न घर में राहत मिलती है और ना बाहर. ये नौ दिन सीजन का सबसे गरम दिन होता है. यद्यपि कभी-कभी अत्यधिक गर्मी के कारण बारिश का योग भी बन जाता है, तो गर्मी की तीव्रता में राहत प्रदान करता है.

नौतपा का पौराणिक महत्व सनातन धर्म में सूर्य देवता का विशेष स्‍थान है. श्रीमद् भागवत में भी नौतपा का वर्णन उल्लेखित है. मान्यता है कि ज्योतिष शास्त्र के साथ ही नौतपा भी शुरु हुआ है. ज्येष्ठ माह में सूर्य के वृषभ राशि के 10 अंश से लेकर 23 अंश 40 कला तक को नौतपा कहा जाता है. सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं. इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा कहा जाता है.

नौतपा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक नजरिये के अनुसार नौतपा काल में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं. इस वजह से पृथ्वी पर तापमान बढ़ जाता है. नौतपा के दौरान अधिक गर्मी के चलते मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है और समुद्र की लहरें आकर्षित होती हैं. मान्यता है कि नौतपा में अगर तेज गर्मी पड़ती है, तभी मानसून में अच्छी बारीश की संभावना बनती है. अगर नौतपा में गर्मी की तीव्रता कम होगी तो मानसून का योग भी सामान्य रहता है. इसलिए नौतपा पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होता है.

शनि के वक्री होने से क्या नौतपा का ताप कम होगा

नौतपा के पहले 23 मई से शनि के अपनी मकर राशि में वक्री होने से तपती गर्मी से राहत मिल सकती है. कुछ जगहों पर बूंदाबांदी और कुछ जगहों पर तेज हवा एवं आंधी-तूफान के साथ बारिश की भी संभावना है. नौतपा के आखिरी दो दिन तेज हवा-आंधी चलने व बारिश होने के भी योग बन रहे हैं. ज्योतिष शास्त्री श्री रवींद्र पाण्डेय की मानें तो संवत्सर के राजा मंगल हैं और रोहिणी समुद्र में निवास करता है, इसलिए मानसून अपने समय पर ही आयेगा. लेकिन शनि के वक्री होने से नौतपा के दरम्यान कहीं कम तो कहीं ज्यादा बारिश हो सकती है. यह कृषि के लिए शुभ साबित हो सकता है.